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Tuesday, September 22, 2009

मेरे जज्बात

आज मै हैरा हूँ अपने ही ज़ज्बात पर
कुछ इस कदर किया है परेशान ,
जो सोचता हूँ मेरे ख्यालो में है ,
न जाने क्यों वो मेरे ज़ज्बात में नही,
रात की तनहाईयो में वो आते है मेरे ख्यालो में ,
दिन के उजालो में खो जाते है कही ,
आज मै हैरा हूँ अपने ही ज़ज्बात पर

वो आवाज

"आज भी आवाज आती है उनकी मेरे कानो में ,
वही शिद्द्त ,वही नरमी उनके खनकते अरमानो में ,
अब तो जाना, छोड़ दिया है हमने महफिल में ,
फिर भी न जाने क्यों आवाज आती है मेरे कानो में "


"कभी गुलजार होती थी शामे मेरी उनकी ही आवाज से ,
अब तो दिया जलाने जाते है उनकी ही मजार पे ,
लोग कहते है देखो "अक्स" आज फ़िर देखने अपना 'अक्स '
आया है उनकी ही मजार पे ,
अब उन्हें क्या बताऊ, की आवाज आती है मेरे कानो में "

माँ का आंचल

जब भी आया माँ तेरे आँचल में ,
सारे गम भूल गया ज़माने के ,
मै जब तक भी रहा तेरे आँचल में,
ज़माने के गम मुझे छु भी न सके ,
उनका तो वास्ता था मुझसे चोली दामन का ,
फिर भी वो मुझे छोड़ के चल दिए ,
क्योकि "मेरी माँ " मेरे पास थी ....
"मै जब भी आया माँ तेरे आँचल में "
मै क्या कहु , सब पता है तुझे ,
मै कैसे कहू , लफ्ज ही नही मेरे पास ,
और जो लफ्ज है उनमे इतना साहस नही है
की वो बया करे उसकी शक्सियत ,
तब तू ही बता कैसे कहू ,
मै चाहता हूँ वो सब कहना जो अंदर है मेरे,
पर लफ्ज मेरे, मेरे से ही कर रहे है रुस्वाई ,
ले रहे है वो मेरा इम्तेहा ,
कैसे बताऊ अपने वो सारे राज,
अब बताऊ कैसे तुम्हे अपने दिल के वो अनछुपे राज,
मै उकेरना चाहता हूँ उन्हें कागज पर सुर्ख स्याही के रंग से,
पर वो है की यहाँ भी कर गए मुझसे घात,
शायद वो मुझे अहसां करा रहे है उस पल का ,
जब मै सब जान कर भी चुप रह जाता था ,
सब कुछ कहता था और कुछ न कह पता था ,
वो ले रहे है इम्तेहा उसी पल का ,
आज मै कहना भी चाहता हूँ तो ,
साथ नही दे रहे मेरा ,
अब मै क्या कहु , सब पता है तुझे ,
मै कैसे कहू ,लफ्ज ही नही मेरे पास ,
और जो लफ्ज है उनमे इतना साहस नही है ,

तेरी यादे

अब दिन हो या रात हो,
बस तू मेरे साथ हो ,
दूर रहकर भी तू दूर नही है मुझसे ,
इस बात का तुझे भी एहसास हो,

मै जानता हूँ हर पल तू रह पायेगी मेरे साथ ,
फ़िर भी मै चाहता हूँ अब दिन हो या रात हो ,
बस तू मेरे साथ हो,

अब ये फैसला तू ही कर,
मेरा साथ देगी या देगी जहर,
तू होकर मेरे पास भी,
जाने क्यू दूर सी लगती है,

जाने क्यू तेरी हर अदा कातिल सी लगती है,
तू महजबी भी लगती है कटारी भी लगती है ,
फिर भी तेरी हर अदा जान से प्यारी सी लगती है,

अब दिन हो या रात हो,
तू मेरे साथ हो,
तू मेरे साथ हो ,
बस तू मेरे साथ हो.......