हों तुम क्या मेरे लिए
कैसे बताऊँ,
मै तुमसे अब कैसे छुपाऊ
कुछ मैं आधा अधुरा हूँ
कुछ तुम पूरी - पूरी है,
फिर मै कैसे कहू की
ये तुम हो !
ये मै हूँ !
जब की हम एक है
गिर रही है बिजली
सागर में दूर कही,
उठ रही है तरंगे
मेरे मन में यहीं कही,
छा रहा है आँखों में नशा
तेरे खुमार का,
फिर मै कैसे कह दूँ
ये तुम हो !
ये मै हूँ !
जब की हम एक है
तुम बदले तो क्या बदले
पर्वतों के भी रंग
बदल गए,
पंछी ठहरे रात को
और दिन में मचल गए,
फिर मै कैसे कह दूँ की
ये तुम हो
ये मै हूँ
जब की हम एक है
गंगा -जल
मैला नहीं है आज भी,
न जाने कितनो ने,
इसमें डुबकी लगायी
वो तो तारनहार है,
तारेगी,
मेरे इस जीवन को ,
तुम तो सदियों से मेरी हों
जन्मो - जन्मो को तारोगी
फिर मै कैसे कह दूँ
की ये तुम हो
यें में हूँ
जब की हम एक है
"मेरे जीवन साथी"
काफी सुंदर तरीके से अपनी भावनाओं को अभिवयक्त किया है .
ReplyDeleteऐसा कमाल का लिखा है आपने कि पढ़ते समय एक बार भी ले बाधित नहीं हुआ और भाव तो सीधे मन तक पहुँच गए..
ReplyDeletebahut badiya kya baat hai
ReplyDeleteSanjay ji Shukriya
ReplyDeleteMeet Sir Pranam & Shukriya
ReplyDeleteबहुत ही भावपूर्ण कविता ...... सुंदर प्रस्तुति.
ReplyDeleteनये दशक का नया भारत ( भाग- २ ) : गरीबी कैसे मिटे ?
काफी सुंदर तरीके से अपनी भावनाओं को अभिवयक्त किया है|
ReplyDeletebahut sunder bhaw hain.
ReplyDeleteप्रभावी भावाभिव्यक्ति.....
ReplyDeleteफिर मै कैसे कह दूँ की
ReplyDeleteये तुम हो
ये मै हूँ
जब की हम एक है
प्रेम की सुन्दर अभिव्यक्ति। बधाई ।
Upendra ji shukriya..
ReplyDeletePatali-The-Village ji Shukriya yaha tak aane aur rachna ka maan rakhne k liye
ReplyDeletemridula pradhan ji shukriya
ReplyDeleteDr. Monika Sharma Ji shukriya
ReplyDeleteAadarniya Nirmala Kapil ji Bahut - Bahut Shukriya
ReplyDeleteबहुत सुंदर है आपकी भावानुभूति !लिखते रहिये ! बधाई
ReplyDeletePranam (BADI "MAA") aapka ashirwad aise hi milta rahe bus ye hi abhilasha hai
ReplyDeleteitna achhca jeevan saathi mil jaye.., to aur kya chahiye jeevan ko.....
ReplyDeletebahut sunder khwaish........
Bahut snder likhte hain aap.......khwahish karte rahiye jarur poori hogi......
ReplyDeleteCS Devendra K Sharma "Man without Brain" ji bahut bahut shukriya yaha tak aane k liye
ReplyDeleteSandhya ji hausla afjai k liye bahut bahut shukriya
ReplyDelete"तुम तो सदियों से मेरी हों
ReplyDeleteजन्मो - जन्मो को तारोगी
फिर मै कैसे कह दूँ
की ये तुम हो
यें में हूँ
जब कि हम एक है "
भावपूर्ण मन कि सच्ची अभिव्यक्ति......
आपका मेरे ब्लॉग पर आने का शुक्रिया!!
Shukriya poonam Ji
ReplyDelete"तुम तो सदियों से मेरी हों
ReplyDeleteजन्मो - जन्मो को तारोगी
फिर मै कैसे कह दूँ
की ये तुम हो
यें में हूँ ...
लाजवाब ... बहुत उम्दा प्रस्तुति ... दिल की गहराइयों में प्रेम बसा हो जैसे ..
Naswa Ji aapka yaha thak aana aur rachna ko sarahne k liye apko bahut bahut shukriya
ReplyDeletelajavab....behad sundar...
ReplyDeletebhavnayen bahut achhi hain...........man k taar chhuti hui rachna.........
ReplyDeleteफिर मै कैसे कह दूँ की
ReplyDeleteये तुम हो
ये मै हूँ
जब की हम एक है
दिल की गहराइयों se प्रेम की सुन्दर अभिव्यक्ति।
आपका मेरे ब्लॉग पर आने का शुक्रिया!
अमेन्द्र जी नमस्ते !
ReplyDelete"कुछ मैं आधा अधुरा हूँ
कुछ तुम पूरी - पूरी हो"
वाह!.....बहुत खूब शब्द दियें है आपने अपनी भावनाओं को........
Ankur Jain Ji yaha tak aane k liye bahut bahut shukriya
ReplyDeleteRajni ji yaha tak aane aur rachna sarahane k liye bahut bahut sukriya
ReplyDeletePradeep ji shukriya
ReplyDeleteअमरेन्द्र भाई, जीवन के अनछुए पहलुओं को आपने काफी खूबसूरती से उकेर दिया है। हार्दिक बधाई।
ReplyDelete---------
ज्योतिष,अंकविद्या,हस्तरेखा,टोने-टोटके।
सांपों को दुध पिलाना पुण्य का काम है ?
Rajnish ji shukriya .....
ReplyDeleteअमरेन्द्र अमर जी
ReplyDeleteक्या बात है ! बहुत तबीयत से लिखते हैं आप तो …
वाह वाऽऽऽह … !
हो तुम क्या मेरे लिए …
कैसे बताऊं ?
मै तुमसे अब कैसे छुपाऊं ?
सच बहुत कठिन काम है !
कह भी नहीं सकते और रह भी नहीं सकते …
ख़ूबसूरत रचना और ख़ूबसूरत ब्लॉग के लिए हार्दिक बधाई और मंगलकामनाएं !
शुभकामनाओं सहित
- राजेन्द्र स्वर्णकार
Rajendra Swarnkar ji bahut bahut aabhar apka ......aapke hauslo se hi mere pank parwaj hote hai ...ummed krta hu ab milna julna lag rahega .....
ReplyDeleteshukriya.......
Very nice expressions Amar ji............."Tum badle to kya badle parvaton ke bhi rang badal gaye"......Waah waah
ReplyDeletethanks a lot Rahul ji
ReplyDeletebahut sundar likha hai bhai..umda...!!
ReplyDeleteDear Bro Sanu Thanx for nice comment......
ReplyDeleteमन के भावों को खूबसूरत शब्द दिए हैं ..हम की भावना यूँही बनी रहे
ReplyDeleteSangita Di Ji Shukriya aapka ashirwad yu hi bana rahe.........
ReplyDeleteयही तो अहसास है जीवन साथी का...
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत रचना...
सुंदर भावाभिवयक्ति। बधाई।
ReplyDeletebahut khoob.
ReplyDeleteहों तुम क्या मेरे लिए
ReplyDeleteकैसे बताऊँ,
मै तुमसे अब कैसे छुपाऊ
कुछ मैं आधा अधुरा हूँ
कुछ तुम पूरी - पूरी है,
बहुत सुंदर भाव....
Pooja Di Ji Bahut bahut Shukriya
ReplyDeleteDr (Miss) Sharad Singh ji Thanx for attend my blog......
ReplyDeleteV!Vs ji yaha tak aane aur rachna ka maan rakhne k liye bahut bahut shukriya.umeed hai ab milna julnalaga rahega
ReplyDeleteVeena ji bahut bahut abhari hu aapka.....shukriya aapke itne sunder comments k liye
ReplyDeleteगणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाइयाँ !!
ReplyDeleteHappy Republic Day.........Jai HIND
सुंदर तरीके से अपनी भावनाओं को अभिवयक्त किया है .
ReplyDeleteShiva Ji yaha tak aane aur rachna ka maan rakhne ke liye bahut bahut shukriya........
ReplyDeleteतुम तो सदियों से मेरी हों
ReplyDeleteजन्मो - जन्मो को तारोगी
एक बेहद भाव पूर्ण रचना ...शुक्रिया
Kewal ram ji bahut bahut shukriya ................
ReplyDeleteजब की हम एक है
ReplyDeleteप्रेम की सुन्दर अभिव्यक्ति। बधाई ।
Deepak ji hausla afjai k liye bahut bahut shukriya
ReplyDeleteआप और आपके जीवन साथी दोनों ही बधाई के पात्र हैं.इतनी
ReplyDeleteसुंदर भावाभिव्यक्ति आपके पवित्र मानस से उद्घटित हुई की उसने सभी के मानस को आनंद रस से सराबोर कर दिया है.प्रभु से प्रार्थना करता हूँ कि भावाभिव्यक्ति की पावन सरिता यूँ ही आपके मानस से सदा प्रभावित होती रहे.
very nice poetry...
ReplyDeleteRakesh Kumar ji sabse pahle aapko meri or se Naman, aur ab itne acche aur itne pyare comments ke liye bahut bahut shukriya
ReplyDeleteSushma ji yaha tak aane ke liye shukriya
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर रागात्मक सम्बन्धों की कविता .
ReplyDeleteveerubhai ji shukriya
ReplyDeletebahut badiya prastuti..
ReplyDeleteKavita Rawat ji shukriya ...aise hi aana jana laga rahe to bahut accha lagega..aabhar
ReplyDeletejitni khoobsoorat bhavna utni hi sundar prstuti .
ReplyDeleteRajwant Raj Shab Shurkiya yaha tan aakne ayr rachna ka maan banaye rakhne ke liye
ReplyDeleteगंगा -जल
ReplyDeleteमैला नहीं है आज भी,
न जाने कितनो ने,
इसमें डुबकी लगायी
वो तो तारनहार है,
तारेगी,
very nice.