"अंधेरो में
रास्ते दिखते है यहाँ,
दिन के उजाले करते है
बगावत,
रातो को
जुगनू अपनी चमक
बिखेरता है,
सुबह का सूरज
घना अँधेरा है "
"जहा तक भी देखूँ
कुछ दिखता नहीं ,
बंद कर लू
जो आँखे
तो फिर वही तेरा
फरेबी चेहरा है "
"राहों में आकर तेरी
राहों में नहीं थे ,
इक तुम थे
जो मेरे मन मंदिर में होकर भी,
मेरे नहीं थे "