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Saturday, December 4, 2010

मजबूत प्रतिद्वंदी

जब भी मन होता है 
तुमसे मिलने का 
उसी पेड़ की छाव में 
आ जाता हूँ, 

पछी घोसले नहीं बनाते
अब इस पेड़ पर 
तो क्या हुआ 
छाव में बैठते तो है ,

ये आज भी ,
उन हठीले तुफानो का सबसे मजबूत प्रतिद्वंदी है 
जिसमे न जाने कितने घर उजड़  गए   
और ये  खड़ा देखता रहा ,
 
"बस रिश्ते कमजोर पड़ गए 
जो इसकी छाव में बने"