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Wednesday, February 1, 2012

"सीलती यादें "


मै  हूँ  
सृष्टि  की  एक  
अद्भुत  विडंबना 
शायद इसीलिए 
जो  भी  गुजरा पास  से  
कुछ  खरोचें  ही  दे  गया  
दामन  में  मेरे  
जो सदियों सीलती रही 
भिगोती  रही  मेरी  अंतर्रात्मा  को       

पता  नहीं  
तुमने   मेरी  
खोखली  होती  जड़े  
देखी  या  नहीं , 
मेरी  साखो  पे  बने  वो  घोसले  
जो  कभी  आबाद  थे पंक्षियों की  चहचहाहट   से  
उनकी  वीरानिया तुमने समझी  या  नहीं,  

तुम भी आकर बैठे 
औरों की तरह मेरी छाँव में 
कुछ  कंकड़  भी  उछाले, मेरी ओर तुमने   
अपनी  बेचैनी  को  दूर  करने  को.........  
तुम्हे  तो  बस 
कुछ  पल  गुजारने थे................   
मेरे दामन में 
जो  गुजार  दिए  तुमने 
दे  गए  तो  बस  
उलटे कदमो  के  निशान  जाते  जाते  

सब  मुसाफिर ही थे 
ये जानकर भी मैंने किसी को मुसाफिर न समझा 
और कोई ठहरा भी नहीं 
यहाँ मेरा 
 
हमराह बनके 

80 comments:

  1. मेरे दामन में
    जो गुजार दिए तुमने
    दे गए तो बस
    उलटे कदमो के निशान जाते जाते

    ला-जवाब बिंब!!

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    Replies
    1. सुज्ञ ji bahut bahut shukriyan...aapka sneh accha lga

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  2. सब मुसाफिर ही थे
    ये जानकर भी मैंने किसी को मुसाफिर न समझा
    और कोई ठहरा भी नहीं
    यहाँ मेरा हमराह बनके

    ...लाज़वाब! बहुत सुंदर और भावपूर्ण प्रस्तुति...

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  3. पता नहीं
    तुमने मेरी
    खोखली होती जड़े
    देखी या नहीं ,
    मेरी साखो पे बने वो घोसले
    जो कभी आबाद थे पंक्षियों की चहचहाहट से
    उनकी वीरानिया तुमने समझी या नहीं, ... निःशब्द होकर सुन रही हूँ , बहुत खूब

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    Replies
    1. Rashmi Prabha ji, aapke bahumulya comments ke liye tahe dil se shukriyan

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  4. वाह ...बहुत खूब

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  5. तुम भी आकर बैठे
    औरों की तरह मेरी छाँव में
    कुछ कंकड़ भी उछाले, मेरी ओर तुमने
    अपनी बेचैनी को दूर करने को.........
    तुम्हे तो बस
    कुछ पल गुजारने थे................
    मेरे दामन में
    जो गुजार दिए तुमने
    दे गए तो बस
    उलटे कदमो के निशान जाते जाते !

    और उन क़दमों की सीलती यादें भी....!!

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    Replies
    1. Punam ji aapko rachna pasand aayi .aapka behad shukriya

      Delete
  6. पता नहीं
    तुमने मेरी
    खोखली होती जड़े
    देखी या नहीं ,
    मेरी साखो पे बने वो घोसले
    जो कभी आबाद थे पंक्षियों की चहचहाहट से
    उनकी वीरानिया तुमने समझी या नहीं,

    वाह बहुत खूब ...जिंदगी वो लम्हें जब खुद में अकेलापन पसरने लगता हैं ...

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    Replies
    1. Sach kaha di aapne ye wahi pal hai jinhe khud hi sambhalna padta hai .sahejker rakhneke liye..........aabhar

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  7. कुछ कंकड़ भी उछाले, मेरी ओर तुमने
    अपनी बेचैनी को दूर करने को.........

    वाह...बेजोड़ रचना...बधाई

    नीरज

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  8. कुछ कंकड़ भी उछाले, मेरी ओर तुमने
    अपनी बेचैनी को दूर करने को.

    वृक्ष का यह आत्मकथ्य मन में अनेक प्रश्न उत्पन्न करता है।

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    Replies
    1. Mahendra Verma ji sach kaha aapne .........humkai bar aise sawalo ke jawab ke liye nirutter ho chuke hai ......aabhar

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  9. सब मुसाफिर ही थे
    ये जानकर भी मैंने किसी को मुसाफिर न समझा
    और कोई ठहरा भी नहीं
    यहाँ मेरा हमराह बनके....बहुत ही उम्दा भावो को समेटा है आपने...... दिल को छू गयी......

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    Replies
    1. Sushma ji rachna ka maan rakhne ke liye bahut bahut shukriya

      Delete
  10. सब मुसाफिर ही थे
    ये जानकर भी मैंने किसी को मुसाफिर न समझा
    और कोई ठहरा भी नहीं
    यहाँ मेरा
    हमराह बनके

    साथ छूट जाता है लेकिन यादें रह जाती हैं साथ निभाने के लिए....

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    Replies
    1. Sandhya Sharma ji sach kaha aapne .......her baar kuch na kuch chut hi jata hai.................
      aabhar

      Delete
  11. सब मुसाफिर ही थे
    ये जानकर भी मैंने किसी को मुसाफिर न समझा
    और कोई ठहरा भी नहीं
    यहाँ मेरा हमराह बनके
    बहुत उत्‍कृष्‍ठ भाव रचना है ..

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  12. akelepan ko bahut khoobsurati se ukera hai aapne...

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    Replies
    1. Kavita Verma ji shukriya......aap apna sneh aise hi banaye rahiye .............

      Delete
  13. तुम भी आकर बैठे
    औरों की तरह मेरी छाँव में
    कुछ कंकड़ भी उछाले, मेरी ओर तुमने
    अपनी बेचैनी को दूर करने को.........
    तुम्हे तो बस
    कुछ पल गुजारने थे................
    मेरे दामन में
    जो गुजार दिए तुमने
    दे गए तो बस
    उलटे कदमो के निशान जाते जाते

    Amrendraji...jindagi mai na chahte huay bhi kuch logo ko ham apne paas nahi rakh sakte sadev ke liye. Unki yaadein bas aatma par nishaan ban kar rah jaati hai. Aise nishaan jinhe vakt ki lehre bhi bahakar nahi le ja paati.

    Very beautifully expressed as always.

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    Replies
    1. Shaifali ji itne sunder comments ke liye aapka tahedil se shukriya...........

      Delete
  14. http://bulletinofblog.blogspot.in/2012/02/blog-post_02.html

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    Replies
    1. Adarniya Rashmi ji, bahut bahut shukriya........aane hume b shamil kiya apni mitra mandali me ........mai aapka bahut bahut aabhari hun.........

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  15. अमर जी , बहुत ख़ूब ... हर बार की तरह एक और निः शब्द कर देने वाली रचना . बधाई
    मेरे नए पोस्ट पे आप के आगमन का इंतज़ार रहेगा.

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  16. सब मुसाफिर ही थे
    ये जानकर भी मैंने किसी को मुसाफिर न समझा
    और कोई ठहरा भी नहीं
    यहाँ मेरा

    हमराह बनके
    बहुत खूब अमरेन्द्र भाई .प्रगाढ़ अनुभूतियों को परवाज़ देती रचना .

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    Replies
    1. Shukriya Veerubhai ji.bahut accha lga aapka yahan tak aana aur meri rachna ka maan rakhna

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  17. उम्दा भावो को समेटा है आपने...... दिल को छू गयी....आपकी रचना
    कुछ लाइने दिल के बडे करीब से गुज़र गई....

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  18. सब मुसाफिर ही थे
    ये जानकर भी मैंने किसी को मुसाफिर न समझा
    और कोई ठहरा भी नहीं
    यहाँ मेरा हमराह बनके bahut sunder dil ko choonewaali rachanaa .bahut badhaai apko.

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    Replies
    1. Prerna ji shukriyan.aapka sneh paker man prafullit hua

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  19. बहुत खूबसूरत भाव

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  20. सुन्दर रचना.....
    सराहनीय........बधाई.....
    नेता,कुत्ता और वेश्या

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  21. तुम्हे तो बस
    कुछ पल गुजारने थे................
    मेरे दामन में
    जो गुजार दिए तुमने
    दे गए तो बस
    उलटे कदमो के निशान जाते जाते

    Bahut Sunder , Umda Abhivykti

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    Replies
    1. Dr. Sharma ji bahut accha laga aapka yaha tak aana aur rachna ka maan rakhna

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  22. बहुत बहुत सुन्दर....

    शुभकामनाएँ.

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  23. दिल की गहराई से लिखी हुई बेहद ख़ूबसूरत रचना! हर एक शब्द दिल को छू गई! तस्वीर बहुत सुन्दर है!

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  24. सुन्दर लिखा है |अच्छी लगी..

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    Replies
    1. Amrita tanmay ji behad shukriya.aapke sneh ka mai hamesha se hi akanshi hun ..............aabhar

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  25. namaskar ..bahut hi sunder abhivyakti ........gahan shabdo ki sunder ladi .badhai swikaren

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  26. गहरे जज्बात भरे है इन पंक्तियों में.सुन्दर प्रस्तुति.
    पुरवईया : आपन देश के बयार- कलेंडर

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  27. ब्लॉगर्स मीट वीकली (29)सबसे पहले मेरे सारे ब्लोगर साथियों को प्रेरणा
    अर्गल का प्रणाम और सलाम/आप सभी का ब्लोगर्स मीट वीकली (२९)में स्वागत है
    /आप आइये और अपने संदेशों द्वारा हमें अनुग्रहित कीजिये /आप का आशीर्वाद
    इस मंच को हमेशा मिलता रहे यही कामना है...
    Read More...
    http://hbfint.blogspot.in/2012/02/29-cure-for-cancer.html

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  28. खूबसूरत भाव...

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  29. सब मुसाफिर ही थे
    ये जानकर भी मैंने किसी को मुसाफिर न समझा
    और कोई ठहरा भी नहीं
    यहाँ मेरा हमराह बनके ...

    ये दुनिया बेवफा ही होती है ... मन के जज्बातों को लिखा है आपने ... बहुत खूब ..

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  30. इक पेड़ के बिम्ब से सुंदर काव्य सृजन किया आपने ...

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    Replies
    1. Shukriya Heer ji.aap apna sneh aise hi hum per banaye rahiye

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  31. bhavanao aur kalpanao ko parvaaz deti rachana ........bhahut hi khubsurat kriti

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  32. सब मुसाफिर ही थे
    ये जानकर भी मैंने किसी को मुसाफिर न समझा
    par tees to rah hi jaati hai, kisi ka chala jana wapas na aane ke liye...bahut umda kriti, shubhkaamnaayen.

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  33. दे गए तो बस
    उलटे कदमो के निशान जाते जाते,
    सुंदर पंक्तियाँ बहुत अच्छी रचना,.....

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  34. प्रभावशाली रचना ...
    सोंचने पर मजबूर करती ..

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