मै हूँ
सृष्टि की एक
अद्भुत विडंबना
शायद इसीलिए
जो भी गुजरा पास से
कुछ खरोचें ही दे गया
दामन में मेरे
जो सदियों सीलती रही
भिगोती रही मेरी अंतर्रात्मा को
पता नहीं
तुमने मेरी
खोखली होती जड़े
देखी या नहीं ,
मेरी साखो पे बने वो घोसले
जो कभी आबाद थे पंक्षियों की चहचहाहट से
उनकी वीरानिया तुमने समझी या नहीं,
तुम भी आकर बैठे
औरों की तरह मेरी छाँव में
कुछ कंकड़ भी उछाले, मेरी ओर तुमने
अपनी बेचैनी को दूर करने को.........
तुम्हे तो बस
कुछ पल गुजारने थे................
मेरे दामन में
जो गुजार दिए तुमने
दे गए तो बस
उलटे कदमो के निशान जाते जाते
सब मुसाफिर ही थे
ये जानकर भी मैंने किसी को मुसाफिर न समझा
और कोई ठहरा भी नहीं
यहाँ मेरा
हमराह बनके
मेरे दामन में
ReplyDeleteजो गुजार दिए तुमने
दे गए तो बस
उलटे कदमो के निशान जाते जाते
ला-जवाब बिंब!!
सुज्ञ ji bahut bahut shukriyan...aapka sneh accha lga
Deleteसब मुसाफिर ही थे
ReplyDeleteये जानकर भी मैंने किसी को मुसाफिर न समझा
और कोई ठहरा भी नहीं
यहाँ मेरा हमराह बनके
...लाज़वाब! बहुत सुंदर और भावपूर्ण प्रस्तुति...
पता नहीं
ReplyDeleteतुमने मेरी
खोखली होती जड़े
देखी या नहीं ,
मेरी साखो पे बने वो घोसले
जो कभी आबाद थे पंक्षियों की चहचहाहट से
उनकी वीरानिया तुमने समझी या नहीं, ... निःशब्द होकर सुन रही हूँ , बहुत खूब
Rashmi Prabha ji, aapke bahumulya comments ke liye tahe dil se shukriyan
Deletebhut sunder rachna...laazwab :)
ReplyDeleteShukriya Er. Sahab
Deleteवाह ...बहुत खूब
ReplyDeleteSda ji aabhar.....
Deletebahut sundar rachna ...bahut khoob.
ReplyDeleteRajesh Kumari ji shukriya
Deleteतुम भी आकर बैठे
ReplyDeleteऔरों की तरह मेरी छाँव में
कुछ कंकड़ भी उछाले, मेरी ओर तुमने
अपनी बेचैनी को दूर करने को.........
तुम्हे तो बस
कुछ पल गुजारने थे................
मेरे दामन में
जो गुजार दिए तुमने
दे गए तो बस
उलटे कदमो के निशान जाते जाते !
और उन क़दमों की सीलती यादें भी....!!
Punam ji aapko rachna pasand aayi .aapka behad shukriya
Deleteपता नहीं
ReplyDeleteतुमने मेरी
खोखली होती जड़े
देखी या नहीं ,
मेरी साखो पे बने वो घोसले
जो कभी आबाद थे पंक्षियों की चहचहाहट से
उनकी वीरानिया तुमने समझी या नहीं,
वाह बहुत खूब ...जिंदगी वो लम्हें जब खुद में अकेलापन पसरने लगता हैं ...
Sach kaha di aapne ye wahi pal hai jinhe khud hi sambhalna padta hai .sahejker rakhneke liye..........aabhar
Deleteकुछ कंकड़ भी उछाले, मेरी ओर तुमने
ReplyDeleteअपनी बेचैनी को दूर करने को.........
वाह...बेजोड़ रचना...बधाई
नीरज
Neeraj Goswami ji .aabhar
Deleteकुछ कंकड़ भी उछाले, मेरी ओर तुमने
ReplyDeleteअपनी बेचैनी को दूर करने को.
वृक्ष का यह आत्मकथ्य मन में अनेक प्रश्न उत्पन्न करता है।
Mahendra Verma ji sach kaha aapne .........humkai bar aise sawalo ke jawab ke liye nirutter ho chuke hai ......aabhar
Deleteसब मुसाफिर ही थे
ReplyDeleteये जानकर भी मैंने किसी को मुसाफिर न समझा
और कोई ठहरा भी नहीं
यहाँ मेरा हमराह बनके....बहुत ही उम्दा भावो को समेटा है आपने...... दिल को छू गयी......
Sushma ji rachna ka maan rakhne ke liye bahut bahut shukriya
Deleteसब मुसाफिर ही थे
ReplyDeleteये जानकर भी मैंने किसी को मुसाफिर न समझा
और कोई ठहरा भी नहीं
यहाँ मेरा
हमराह बनके
साथ छूट जाता है लेकिन यादें रह जाती हैं साथ निभाने के लिए....
Sandhya Sharma ji sach kaha aapne .......her baar kuch na kuch chut hi jata hai.................
Deleteaabhar
सब मुसाफिर ही थे
ReplyDeleteये जानकर भी मैंने किसी को मुसाफिर न समझा
और कोई ठहरा भी नहीं
यहाँ मेरा हमराह बनके
बहुत उत्कृष्ठ भाव रचना है ..
Reena Maurya ji shukriya
Deleteakelepan ko bahut khoobsurati se ukera hai aapne...
ReplyDeleteKavita Verma ji shukriya......aap apna sneh aise hi banaye rahiye .............
Deleteतुम भी आकर बैठे
ReplyDeleteऔरों की तरह मेरी छाँव में
कुछ कंकड़ भी उछाले, मेरी ओर तुमने
अपनी बेचैनी को दूर करने को.........
तुम्हे तो बस
कुछ पल गुजारने थे................
मेरे दामन में
जो गुजार दिए तुमने
दे गए तो बस
उलटे कदमो के निशान जाते जाते
Amrendraji...jindagi mai na chahte huay bhi kuch logo ko ham apne paas nahi rakh sakte sadev ke liye. Unki yaadein bas aatma par nishaan ban kar rah jaati hai. Aise nishaan jinhe vakt ki lehre bhi bahakar nahi le ja paati.
Very beautifully expressed as always.
Shaifali ji itne sunder comments ke liye aapka tahedil se shukriya...........
Deleteसूत्रधार ji shukriya
ReplyDeletehttp://bulletinofblog.blogspot.in/2012/02/blog-post_02.html
ReplyDeleteAdarniya Rashmi ji, bahut bahut shukriya........aane hume b shamil kiya apni mitra mandali me ........mai aapka bahut bahut aabhari hun.........
Deleteअमर जी , बहुत ख़ूब ... हर बार की तरह एक और निः शब्द कर देने वाली रचना . बधाई
ReplyDeleteमेरे नए पोस्ट पे आप के आगमन का इंतज़ार रहेगा.
Shukriya Shashi ji
Deletebahut sundar abhivyakti amrendra jee.
ReplyDeleteNisha ji tahedil se shukriyan
Deleteसब मुसाफिर ही थे
ReplyDeleteये जानकर भी मैंने किसी को मुसाफिर न समझा
और कोई ठहरा भी नहीं
यहाँ मेरा
हमराह बनके
बहुत खूब अमरेन्द्र भाई .प्रगाढ़ अनुभूतियों को परवाज़ देती रचना .
Shukriya Veerubhai ji.bahut accha lga aapka yahan tak aana aur meri rachna ka maan rakhna
Deleteउम्दा भावो को समेटा है आपने...... दिल को छू गयी....आपकी रचना
ReplyDeleteकुछ लाइने दिल के बडे करीब से गुज़र गई....
Sanjay ji bahut bahut shukriyan.........
Deleteसब मुसाफिर ही थे
ReplyDeleteये जानकर भी मैंने किसी को मुसाफिर न समझा
और कोई ठहरा भी नहीं
यहाँ मेरा हमराह बनके bahut sunder dil ko choonewaali rachanaa .bahut badhaai apko.
Prerna ji shukriyan.aapka sneh paker man prafullit hua
Deleteबहुत खूबसूरत भाव
ReplyDeleteबेहतरीन भाव पूर्ण सार्थक रचना,
ReplyDeletemy new post...40,वीं वैवाहिक वर्षगाँठ-पर...
Dheerendra ji hardik aabhar
Deleteसुन्दर रचना.....
ReplyDeleteसराहनीय........बधाई.....
नेता,कुत्ता और वेश्या
dinesh ji shukriyan
Deleteतुम्हे तो बस
ReplyDeleteकुछ पल गुजारने थे................
मेरे दामन में
जो गुजार दिए तुमने
दे गए तो बस
उलटे कदमो के निशान जाते जाते
Bahut Sunder , Umda Abhivykti
Dr. Sharma ji bahut accha laga aapka yaha tak aana aur rachna ka maan rakhna
Deleteबहुत खूब
ReplyDeleteShukriya deepsk ji
Deleteबहुत बहुत सुन्दर....
ReplyDeleteशुभकामनाएँ.
hardik Aabhar Vidya ji
Deleteदिल की गहराई से लिखी हुई बेहद ख़ूबसूरत रचना! हर एक शब्द दिल को छू गई! तस्वीर बहुत सुन्दर है!
ReplyDeleteUrmi ji aapka tahe dil se swagat hai.............
Deleteसुन्दर लिखा है |अच्छी लगी..
ReplyDeleteAmrita tanmay ji behad shukriya.aapke sneh ka mai hamesha se hi akanshi hun ..............aabhar
Deletedil ki vedna ko gehen shabd diye hain.
ReplyDeleteshukrriya anamika ji
Deletenamaskar ..bahut hi sunder abhivyakti ........gahan shabdo ki sunder ladi .badhai swikaren
ReplyDeleteShashi ji bahutbahut shukriya
Deleteगहरे जज्बात भरे है इन पंक्तियों में.सुन्दर प्रस्तुति.
ReplyDeleteपुरवईया : आपन देश के बयार- कलेंडर
shukriya upendra nath ji
Deleteब्लॉगर्स मीट वीकली (29)सबसे पहले मेरे सारे ब्लोगर साथियों को प्रेरणा
ReplyDeleteअर्गल का प्रणाम और सलाम/आप सभी का ब्लोगर्स मीट वीकली (२९)में स्वागत है
/आप आइये और अपने संदेशों द्वारा हमें अनुग्रहित कीजिये /आप का आशीर्वाद
इस मंच को हमेशा मिलता रहे यही कामना है...
Read More...
http://hbfint.blogspot.in/2012/02/29-cure-for-cancer.html
Shukriya Prerna ji
Deleteखूबसूरत भाव...
ReplyDeleteShukriya Ji
Deleteसब मुसाफिर ही थे
ReplyDeleteये जानकर भी मैंने किसी को मुसाफिर न समझा
और कोई ठहरा भी नहीं
यहाँ मेरा हमराह बनके ...
ये दुनिया बेवफा ही होती है ... मन के जज्बातों को लिखा है आपने ... बहुत खूब ..
Naswa Sahab bahut bahut aabhar aapka
Deleteइक पेड़ के बिम्ब से सुंदर काव्य सृजन किया आपने ...
ReplyDeleteShukriya Heer ji.aap apna sneh aise hi hum per banaye rahiye
DeleteBehtarin rachna.
ReplyDeleteGpal Tiwari ji shukriyan
Deletebhavanao aur kalpanao ko parvaaz deti rachana ........bhahut hi khubsurat kriti
ReplyDeleteShukriya Pratistha ji aapka aan bahut accha laga
Deleteसब मुसाफिर ही थे
ReplyDeleteये जानकर भी मैंने किसी को मुसाफिर न समझा
par tees to rah hi jaati hai, kisi ka chala jana wapas na aane ke liye...bahut umda kriti, shubhkaamnaayen.
Shukriya Dr. Shabnam ji
Deleteदे गए तो बस
ReplyDeleteउलटे कदमो के निशान जाते जाते,
सुंदर पंक्तियाँ बहुत अच्छी रचना,.....
Dheerendra ji shukriyan
Deleteप्रभावशाली रचना ...
ReplyDeleteसोंचने पर मजबूर करती ..