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Monday, March 19, 2012

तो डर लगा !


कल रात
हुई 
जोर की बारिश 
बाद, तुम्हारे जाने के, 
तो डर लगा !

आज घर  
में
फिर, चूल्हा न जला 
गीली लकड़ियों से 
तो डर लगा !

वो भूखे बैठे,
पेट पकडे 
कुलबुलाते नंगे 
मेरे बच्चे,  
तो डर लगा !

तुम्हारे आने की आहट
सुनी, कई बार मैंने 
मगर 
तुम न आये 
तो डर लगा !

सांझ ढले 
सबसे छिपते छिपाते 
मै बेचने निकली 
तुम्हारे घर की इज्जत 
तो डर लगा !
अमर ****