कल रात
हुई
जोर की बारिश
बाद, तुम्हारे जाने के,
तो डर लगा !
आज घर
में
फिर, चूल्हा न जला
गीली लकड़ियों से
तो डर लगा !
वो भूखे बैठे,
पेट पकडे
कुलबुलाते नंगे
मेरे बच्चे,
तो डर लगा !
तुम्हारे आने की आहट
सुनी, कई बार मैंने
मगर
तुम न आये
तो डर लगा !
सांझ ढले
सबसे छिपते छिपाते
मै बेचने निकली
तुम्हारे घर की इज्जत
तो डर लगा !
अमर ****