अब दिन हो या रात हो,
बस तू मेरे साथ हो ,
दूर रहकर भी तू दूर नही है मुझसे , इस बात का तुझे भी एहसास हो,
मै जानता हूँ हर पल तू रह न पायेगी मेरे साथ ,
फ़िर भी मै चाहता हूँ अब दिन हो या रात हो ,
बस तू मेरे साथ हो,
अब ये फैसला तू ही कर,
मेरा साथ देगी या देगी जहर,
तू होकर मेरे पास भी,
न जाने क्यू दूर सी लगती है,
न जाने क्यू तेरी हर अदा कातिल सी लगती है,
तू महजबी भी लगती है कटारी भी लगती है ,
फिर भी तेरी हर अदा जान से प्यारी सी लगती है,
अब दिन हो या रात हो,
तू मेरे साथ हो,
तू मेरे साथ हो ,
बस तू मेरे साथ हो.......
आज 10/07/2012 को आपकी यह पोस्ट (विभा रानी श्रीवास्तव जी की प्रस्तुति मे ) http://nayi-purani-halchal.blogspot.com पर पर लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!
ReplyDeleteShukriya Yashwant ji
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