जब तक
तुम्हारी खुशिया तुम्हारे साथ है
तुम कही भी रहों,
पर जब भी तुम उदास होना
आँखों में बारिश का अहसास होना
चाहो तुम किसी अपने के,
काँधे पे सर रख कर रोना
तब बिन बताये
बिन बुलाये
चले आना
मै इन्तेजार करूँगा तुम्हारा
मै भी साथ दूंगा तुम्हारा
अभी मुझ पे तुम्हारा एहसान बाकी है
मै बहुत रोया था उस रात
जो तुमने सहारा दिया था,
अपने आँचल का
"बहुत भीगा था उस रात
वो आँचल तुम्हारा,
उसकी वो नमी अब भी तेरे रुखसार पे है,"
तब से अब तक न रो सका हूँ मै
जब कि आँसू-ए- समुन्दर अपने सबाब पे है
चले आना इसी बहाने,
क्या पता ये बाँध कब टूट जाये
और इस सैलाब में,
मै बह जाऊ,
इससे पहले तुम चले आना
इसे बहाने.........
जब भी आना बिन बताये'
बिन बुलाये;
बुलाया तो गैरों को जाता है
अपने तो बस चले आते है ,
अपनों से मिलने
तुम भी चले आना'
ये कैसी व्यथा, कैसी उदासी.
ReplyDeletejab bhi yaad aati hai uski to kuch derd sa de jati hai .ye usi ki vytha hai aur uski hi udasi hai ............
ReplyDeleteHriday ki pukar apne hi sunte hai..bin bulaye chale v aate hai...hriday se nikalti rachana....sundar
ReplyDeleteजब तक
ReplyDeleteतुम्हारी खुशिया तुम्हारे साथ है
तुम कही भी रहों,
पर जब भी तुम उदास होना
आँखों में बारिश का अहसास होना
चाहो तुम किसी अपने के,
काँधे पे सर रख कर रोना
तब बिन बताये
बिन बुलाये
चले आना
मै इन्तेजार करूँगा तुम्हारा
मै भी साथ दूंगा तुम्हारा
वाह अमरेन्द्र जी कहते हैं की अच्छी रचना तभी रचती है जब दिल उदास होता है , लाजवाब... बहुत गहरे और समर्पण के भाव है, पूरी रचना में...
देखना एक दिन वो बिन बुलाये ही चले आयेंगे क्योंकि...
बुलाया तो गैरों को जाता है
अपने तो बस चले आते है...
तो छोडिये ये उदासी... शुभकामनाये...
bahut khoob.
ReplyDeletebahut hee khoob.
dil se nikli huee rachna ke liye aabhaar.
"मै इन्तेजार करूँगा तुम्हारा
ReplyDeleteमै भी साथ दूंगा तुम्हारा
अभी मुझ पे तुम्हारा एहसान बाकी है"
प्रिय अमरेन्द्र ,यदि लोग इस बात को समझकर जीवन में अपना लें तो कोई समस्या ही नहीं रहेगी.बहुत सुंदर और भावपूर्ण सकारात्मक सोच है.तुम्हारी यह रचना रचनाकार के आह! से उपजी प्रतीत होती है.
मै बहुत रोया था उस रात
ReplyDeleteजो तुमने सहारा दिया था,
अपने आँचल का
"बहुत भीगा था उस रात
वो आँचल तुम्हारा,
वाह मेरे भाई कमाल कर रखा है !
वैसे तो आपका ब्लॉग ही कमाल का है, पर जब भी नया कुछ मिलता है काफ्फी बढ़िया लगता है !
Bahut lajawaab ... Amrendr ji ... gahri udaasi liye aapki rachna dil mein utar gai ...
ReplyDeleteजब इतनी आह होगी आवाज में तो कौन रुक पायेगा दोस्त देखो न रचना पढ़ते ही हमारे हाथ कैसे चलने लगे | :)
ReplyDeleteबहुत खूबसूरती से दर्द को दर्शाने में कामयाब रचना |
सही कहा, अपनों को बिना बुलाए ही आना चाहिए।
ReplyDeleteमै बहुत रोया था उस रात
ReplyDeleteजो तुमने सहारा दिया था,
अपने आँचल का
"बहुत भीगा था उस रात
वो आँचल तुम्हारा,
उसकी वो नमी अब भी तेरे रुखसार पे है,"
बहुत ही बेहतरीन रचना...
बहुत खूबसूरती से दर्द को दर्शाने में कामयाब रचना |
ReplyDeleteदर्द भरे प्रेम की खूबसूरत अभिव्यक्ति ।
ReplyDeletedil ko chune vali rachna...
ReplyDeleteवाह अमरेन्द्र जी
ReplyDeleteएक और सुन्दर कविता आपकी कलम से !
प्रेमपगी मन की वेदना ...बहुत सुंदर
ReplyDeleteहमें तो एक गाना याद आ गया आपकी पोस्ट पढ़कर.
ReplyDeleteहम इंतज़ार करेंगे तेरा क़यामत तक.
जब भी आना बिन बताये'
ReplyDeleteबिन बुलाये;
बुलाया तो गैरों को जाता है
अपने तो बस चले आते है ,
अपनों से मिलने
तुम भी चले आना'
ant bahut hi khoobsurat hai ,kyonki isme adhikaar bandha hua hai ,bahut pyaari rachna .
बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति.
ReplyDeleteअपनों को दिल से याद किया और पुकारा है आपने.
शानदार प्रस्तुति के लिए आभार.
मेरे ब्लॉग पर आयें.रामजन्म का बुलावा है.
काफी पहले आये थे आप.भूलिएगा नहीं.
अभी मुझ पे तुम्हारा एहसान बाकी है...
ReplyDeletebahut hi sundar abhivayakti...utna too upkar samajh koi jitna saath nibha de...doosaron ke hsaanon ko yaad rakhna badi baat hai...
.
ReplyDeleteअभी मुझ पे तुम्हारा एहसान बाकी है...
Beautiful expression. Very few people are grateful in this world.
.
itni vyatha, dard..:)
ReplyDeletebahut khub!
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति..
ReplyDeleteश्री श्री 1008 श्री खेतेश्वर जयंती पर हार्दिक शुभकामनाएँ.
ReplyDeleteअपनों को दिल से याद किया और पुकारा है आपने.
ReplyDeleteशानदार प्रस्तुति के लिए आभार.
बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति.
अच्छी अभिव्यक्ति ...शुभकामनायें !!
ReplyDeleteजब भी आना बिन बताये'
ReplyDeleteबिन बुलाये;
बुलाया तो गैरों को जाता है
अपने तो बस चले आते है ,
अपनों से मिलने
तुम भी चले आना'
अच्छी अभिव्यक्ति ...शुभकामनायें !!
डा० अमर कुमार , ji shurkiya hausla afjai ke liye , aise hi aate rahiyega
ReplyDeleteAmrita Tanmay ji mere gher(Blog) padharne ke liye shukriya
ReplyDeleteसंध्या शर्मा ji shukriya
ReplyDeleteविशाल ji rachna ka maan rakhne ke liye shukriya
ReplyDeleteRajiv ji aapko rachna pasand aayi, shukriya
ReplyDeleteDinesh ji rachna ka maan rakhne ke liye bahut bahut shukriya
ReplyDeleteदिगम्बर नासवा ji rachna ka maan rakhne ke liye bahut bahut shukriya
ReplyDeleteMinakshi Pant ji bus yahi chahat hai ki wo laut aaye,
ReplyDeleteshukriya yaha tak aane ke liye
मनोज कुमार ji shukriya
ReplyDeleteShah Nawaz ji shukriya
ReplyDeleteअरुण चन्द्र रॉय ji aapke bahumulya comments ke liye bahut bahut shukriya
ReplyDeleteडॉ टी एस दराल ji yaha tak aane aur rachna ka maan rakhne ke liye bahut-bahut shukriya
ReplyDeletesushma 'आहुति' ji shukriya
ReplyDeleteसंजय भास्कर ji bahut bahut shukriya ,aise hi aap saath banaye rahiyega
ReplyDeleteडॉ॰ मोनिका शर्मा ji yaha tak aane aur apna bahumulya comments dene ke liye shukriya
ReplyDeleteKunwar Kusumesh ji shurkiya
ReplyDeleteज्योति सिंह ji shukriya
ReplyDeleteRakesh Kumar ji shukriya
ReplyDeleteVaanbhatt ji rachna ka maan rakhne ke liye shukriya
ReplyDeleteZEAL ji aapko tahe dil se salam , zab bhi aap yaha aati hai bda apnapan sa lagta hai ...........
ReplyDeleteMukesh Kumar Sinha ji rachna ko sarahne ke liye shukriya
ReplyDeleteSawai SIingh Rajpurohit ji shukriya
ReplyDeleteहो के आशिक परी रुख और भी नाज़ुक बनता जाएं रंग जितना खिलता जाएं है कि उतना उढ़ता जाएं है।
ReplyDeleteआप का ब्लॉग पढ़ कर मन को तस्सली मिली कि कोई आज भी है अच्छा लिखने वाला।
आप को समय मिले तो कभी हमारे ब्लॉग पर दस्तखत थे हमे और हमारे अनुसरणकर्ताओ को अच्छा लगेगा।
शिवकुमार ( शिवा) ji tahe dil se swagat kerta hu aapka, aise hi apna pyar banaye rakhiyega
ReplyDeleteसतीश सक्सेना ji shukriya
ReplyDelete...वाह अमरेन्द्र!
ReplyDeletebahut sunder rachna..........shubhkamanaye....
ReplyDeletemere blog par ane ka shukriya.....
मर्मस्पर्शी रचना, अर्थों को समेटे हुए अच्छी लगी , बधाई
ReplyDeleteबहुत सुंदर सृजन भाई अमर जी बधाई और शुभकामनाएं |
ReplyDeleteसच है .. अपनों को बुलाने की क्या आवश्यकता ??
ReplyDeleteदिल की गहराई से निकली बेहतरीन रचना...
ReplyDeleteRajnish tripath ji aapke bahumulye comments ne to yaha char chand hi laga diye hai ,aapka tahe dil se shukriya ada kerta hu
ReplyDeleteदेवेन्द्र पाण्डेय ji shukriya saath dene ke liye
ReplyDeleteSuman ji rachna ki tareef kerne ke liye aapka bahut bahut shukriya
ReplyDeleteSunil KUmar ji shukriya
ReplyDeleteजयकृष्ण राय तुषार ji aapko bhi bahut bahut badhai
ReplyDeleteसंगीता पुरी ji aapka to mai kab se intejar ker raha tha .........aapaka aana acha lagta hai
ReplyDeleteUpendra ji is baar bahut dino ke baad aaana hua yaha pr ..aapka aana accha laga.....
ReplyDeleteबुलाया तो गैरों को जाता है
ReplyDeleteअपने तो बस चले आते है....
bahut sundar baat.
jab prem saccha hota hai to uski tadap bhi aisi hi hoti hai jiske dard se har aankh nam ho jaye........ aapki rachna us dard ko bya kar rahi.........aabhar bahut bhavmayi v dard se bhari rachna hai .....
ReplyDeleteअमरेंदर जी... एक बहुत सुन्दर दर्द भरा बुला .. तुम भी चले आना ... सुन्दर रचना
ReplyDeleteमै बहुत रोया था उस रात
ReplyDeleteजो तुमने सहारा दिया था,
अपने आँचल का
"बहुत भीगा था उस रात
वो आँचल तुम्हारा,
उसकी वो नमी अब भी तेरे रुखसार पे है,"
तब से अब तक न रो सका हूँ मै
जब कि आँसू-ए- समुन्दर अपने सबाब पे है
चले आना इसी बहाने,
क्या पता ये बाँध कब टूट जाये
bahut khoobsurat rachna, premras se kahin jyada badhkar bhaav liye....
shubhkamnayen
mridula pradhan ji bahut bahut shukriya
ReplyDeleteरजनी मल्होत्रा नैय्यर ji bahut bahut shukriya hausla afjai ke liye, aise hi aana jana laga rahe to accha lagta hai
ReplyDeleteडॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति ji rachna ka maan badhane ke liye bahut bahut shukriya
ReplyDeleteprritiy---------sneh ji shukriya,
ReplyDeleteसुँदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति . आभार .
ReplyDeleteउसकी वो नमी अब भी तेरे रुखसार पे है
ReplyDeleteवाह, बहुत खूब !
वो आँचल तुम्हारा,
ReplyDeleteउसकी वो नमी अब भी तेरे रुखसार पे है,"
"words with emotional touch"
regards
ashish ji shukriya
ReplyDeleteIndranil Bhattacharjee ........."सैल" ji yaha tak aane aur rachna ka maan rakhne ke liye bahut bahut shukriya
ReplyDeleteseema gupta ji thanx a loy for coming in my blog........
ReplyDeleteनमस्कार,
ReplyDeleteआपने लिखा कि तुम भी चले आना, लो जी हम चले आये,
उत्तम रचना।
एक दिन मेरे आंसू मुझसे पूछ बैठे,हमे रोज़ रोज़ क्यों बुलाते हो
ReplyDeleteहमने कहा ,हम याद तो उन्हे करते हैं,तुम क्यों चले आते हो ...
जाट देवता ji hausla afjai ke liye shukriya, umeed hai aise hi aage bhi aapka saath milta rahega
ReplyDeleteअमित श्रीवास्तव ji shukriya itna sunder complimet diya aapne********
ReplyDeletesunder udgaar....
ReplyDeletejai baba banaras........
pporviya ji jai baba banaras
ReplyDeleteप्रेम में विरह की समर्पित भाव भरी ह्रदयस्पर्शी रचना....
ReplyDeleteअमरेन्द्र जी नमस्ते!
ReplyDeleteकैसे है आप ...
प्रेम में हक़ होता है...ये हक़ माँगा नहीं जाता बस दिया जाता है....
बहुत खूबसूरत रचना ....
आप की बहुत अच्छी प्रस्तुति. के लिए आपका बहुत बहुत आभार आपको ......... अनेकानेक शुभकामनायें.
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आने एवं अपना बहुमूल्य कमेन्ट देने के लिए धन्यवाद , ऐसे ही आशीर्वाद देते रहें
दिनेश पारीक
http://kuchtumkahokuchmekahu.blogspot.com/
http://vangaydinesh.blogspot.com/2011/04/blog-post_26.html
सुरेन्द्र सिंह " झंझट " ji bahumulya comments dene ke liye bahut bahut shukriya
ReplyDeletePradeep ji bikul sahi kaha hai aapne.shukriya
ReplyDeleteDinesh pareek ji bus aise hi mlna julna laga hi rahega..........choti se ye duniya .........pehchane raste hai
ReplyDeleteमै बहुत रोया था उस रात
ReplyDeleteजो तुमने सहारा दिया था,
अपने आँचल का
"बहुत भीगा था उस रात
वो आँचल तुम्हारा,
उसकी वो नमी अब भी तेरे रुखसार पे है,"
वाह अमरेन्द्र जी !
सच में आपने रुला ही दिया..
पहली बार आया आपके ब्लॉग पर लेकिन जाने का मन ही नहीं कर रहा..
आपको इसी तरह हमेशा पढना चाहूँगा इसलिए आपका समर्थक बन रहा हूँ..
avinash001.blogspot.com
Avinash ji itne sunder comments dene ke liye bahut bahut shukriya
ReplyDelete!अपने तो बस चले आतें हैं ,तुम भी आना .मत रुलाना
ReplyDeleteveerubhai ji shukriya , aise hi aate rahiyega hamesha , rulaiyega nahi
ReplyDeleteमुझे याद पड़ता है कि कभी आप भी आये थे मेरे ब्लॉग पर.अब क्या हों गया है अमरेन्द्र भाई.कोई नाराजगी तो नहीं ?
ReplyDeleteअमरेन्द्र जी
ReplyDeleteनमस्ते!
........बहुत खूबसूरत रचना
Shukriya Bhaskar ji
ReplyDeleteपहली बार आपके ब्लॉग पर आना हुआ |
ReplyDeleteतारीफ के लिए हर शब्द छोटा है - बेमिशाल प्रस्तुति!
शुभकामनायें आपको !!
कृपया मेरे ब्लॉग पर आयें http://madanaryancom.blogspot.com/
जब भी आना बिन बताये'
ReplyDeleteबिन बुलाये;
बुलाया तो गैरों को जाता है
अपने तो बस चले आते है ,
अपनों से मिलने
तुम भी चले आना....
गहन अनुभूतियों की सुन्दर अभिव्यक्ति ...
हार्दिक बधाई.
मदन शर्मा ji bahut bahut shukriya , aapka yaha aana bahut accha laga , aasha hai aise hi milna julna laga rahega ,
ReplyDeleteDr (Miss) Sharad Singh ji tahedil se shukriya
ReplyDeleteबहुत खूबसूरती से दर्द को दर्शाने में कामयाब रचना
ReplyDeletewah...kya baat hai...adbhut..
ReplyDeletebahut dardnak
ReplyDeleteKya Karuna Hai Aapke Dil Me........................
Ahhhhhhh.
anju choudhary..(anu) ji yaha tak aane ke liye bahut bahut shukriya
ReplyDeleteसुखदेव 'करुण' ji rachna ki sarthakta ko sidh kerne ke liye bahut bahut shukriya
ReplyDeleteविजय रंजन ji aapka aane se gher me raunak aa gayi hai shukriya
ReplyDeleteinspirational form of poem....very Nice .i liked it.
ReplyDeleteShukriya Er. Atul Sharma ji
ReplyDeleteभावमय करते शब्दो के साथ ...बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
ReplyDeleteSada ji bahut bahut shukriya yaha tak aane aur rachna ka maan badhane ke liye
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत रचना आभार
ReplyDeleteMamta ji Hardik aabhar
Deleteमै बहुत रोया था उस रात
ReplyDeleteजो तुमने सहारा दिया था,
अपने आँचल का
"बहुत भीगा था उस रात
वो आँचल तुम्हारा,
उसकी वो नमी अब भी तेरे रुखसार पे है,"
lajabab rachana
great .
ReplyDeletePragya ji tahe dil se aapka shukriyan
Deleteतब से अब तक न रो सका हूँ मै
ReplyDeleteजब कि आँसू-ए- समुन्दर अपने सबाब पे है
चले आना इसी बहाने,
क्या पता ये बाँध कब टूट जाये
और इस सैलाब में,
मै बह जाऊ,
इससे पहले तुम चले आना
इसे बहाने.........
bahut dard hai.....
Shukriya Ragini Di ......
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