तेरी तस्वीर को दिल से लगाये बैठे है
हम अपनी ख्यालो की अलग दुनिया बसाये बैठे है
जिंदगी जो , अब तक व्यर्थ थी, मेरी
उसे तेरे लिए फागुन का मदमाता मौसम बनाये बैठे है
महकी महकी सी साँसे मेरी
तुमसे मिलने की है अभिलाषा मेरी
अकेले ही चला था अमृत की तलाश में
अब, तुझे पाने की आस में अपनी मृग तृषा बुझाये बैठे है
दर्द की अंधी गली है , कोई भी न मोड़ है
सभी स्वप्न टूटकर बिखरे है यहाँ, फिर भी
हम तेरी खातिर उन गलियों से
रिश्ता निभाए बैठे है
तेरी तस्वीर क्या मिली , मुझे यूँ लगा आइना मिल गया मुझको
'सूरत-ए- अमर' आईने में देखी नहीं कभी, तेरी तस्वीर को आईना बनाये बैठे है
मिल गयी 'रौनक ए जहा' मुझको ,तेरे नाम से
हम अपने नाम को तुझसे मिलाये बैठे है
बहारो ने भी लंगर डाल दिए, तेरे नाम से
जो झील के उस पार डेरा जमाये बैठे है
मेरी हसरतो के तकाजो ने तेरे लिए, जिंदगी से कुछ पल उधार लिए
हम अपनी हैसियत तो भूले ही थे , वो भी अब अपनी दुनिया भुलाये बैठे है
बहुत खूब ,दिल की गलियों की ये यादे ....बहुत अच्छी लगी ...ऐसे ही लिखते रहो ..
ReplyDelete.बहुत अच्छी लगी
ReplyDeleteलाजवाब
ReplyDeleteकुछ यादें... कुछ ख्वाब... यादें होती ही हैं संजोने के लिए... खूबसूरत रचना
ReplyDeleteकिसी के प्यार में सारी हदें तोड़ देना ... इन्तहा है प्यार की ... बहुत खूब लिखा है ...
ReplyDeleteबहुत अच्छी लगी !
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुति , :)
ReplyDeleteआपको व् आपके परिवार को नवरात्री की हार्दिक शुभकामनाये
bahut pyari si prastuti:)
ReplyDeleteदर्द की अंधी गली है , कोई भी न मोड़ है
ReplyDeleteसभी स्वप्न टूटकर बिखरे है यहाँ, फिर भी
हम तेरी खातिर उन गलियों से
रिश्ता निभाए बैठे है
....बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति..नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं !
"wo bhi ab apni duniya bhulaye baithe hai" bahut khubsurat rachna, APKI KVITAYE ANMOL HOTI HAI
ReplyDeletebhut khub.
ReplyDeletedil ke sare gm ko kagj
pr utar diya.
'सूरत-ए- अमर' आईने में देखी नहीं कभी, तेरी तस्वीर को आईना बनाये बैठे है
ReplyDeletebahut sundar ,srangar ras me doobi huee shandar prastuti ke lie aapka abhar.
ग़ज़ल और कविता का मिश्रित रूप.
ReplyDeleteपरन्तु कहने का अंदाज बहुत ही लाजवाब. आभार!!
यादों में डूबी सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत खूब अमरेन्द्र जी...
ReplyDeleteमेरी हसरतो के तकाजो ने तेरे लिए, जिंदगी से कुछ पल उधार लिए
ReplyDeleteहम अपनी हैसियत तो भूले ही थे , वो भी अब अपनी दुनिया भुलाये बैठे है ..,...........कभी मिलते कभी बिछड़ते
कभी लड़ते कभी झगड़ते
वीत गये वो सुनहरे पल
काश हम उन लम्हों की अहेमियत समझते ........बहुत अची रचना अमरेन्द्र जी..........
तेरी तस्वीर क्या मिली , मुझे यूँ लगा आइना मिल गया मुझको
ReplyDelete'सूरत-ए- अमर' आईने में देखी नहीं कभी, तेरी तस्वीर को आईना बनाये बैठे है .....
नितान्त अलग भावभूमि पर सुन्दर कविता के लिए बधाई...
बहुत बढ़िया...
ReplyDeleteबहुत ख़ूबसूरत रचना लिखा है आपने ! शानदार प्रस्तुती!
ReplyDeleteआपको एवं आपके परिवार को नवरात्रि पर्व की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें !
Anu Di bahut bahut shukriya aapne rachna ka maan rakha........pranam
ReplyDeleteअरुण चन्द्र रॉय ji aapkorachna acchi lagai .shukriya ............
ReplyDeleteAmrita Tanmay ji hausla afjai ke liye bahut bahut aabhar
ReplyDeleteSandhya Sharma Ji Shurkiya.......
ReplyDeleteदिगम्बर नासवा ji tahe dil se shukriya rachna ke saath mera bhi maan rakhne ke liye
ReplyDeleteसुनील गज्जाणी ji shukriya yaha tak aane ke liye
ReplyDeleteshashi purwarji shukriya
ReplyDeleteMukesh Kumar Sinha ji rachna ka maan rakhne ke liye aabhra.............
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteबहुत ख़ूबसूरत रचना ........
ReplyDeleteमिल गयी 'रौनक ए जहा' मुझको ,तेरे नाम से
ReplyDeleteहम अपने नाम को तुझसे मिलाये बैठे है
बहारो ने भी लंगर डाल दिए, तेरे नाम से
जो झील के उस पार डेरा जमाये बैठे है
bahot hi khubsurat panktiyan hain...lajawab rachna.
bahut achchha likha hai.
ReplyDeleteKailash C Sharma ji yahat tak aane aur rachna ka maan rahne ke liye bahut bahut shukriya
ReplyDeleteNisha Ji hausla afjai e liye bahut bahut shukriya
ReplyDeleteSubeer Rawat ji Rachna ke saath saath hamara bhi maan rakhne ke liye bahut bahut shukriya
ReplyDeleteयादों में डूबी बहुत ख़ूबसूरत रचना ........
ReplyDeleteSuman ji shukriya hauslaafjai ke liye
ReplyDeleteSangeeta Swaroop ji rachna ka maan rakhne ke liye shurkiya ......aise hi sneh banaye rakhe.......aabhar
ReplyDeleteMahesh Bermate ji shukriya .........
ReplyDeleteI am happy to get a blog as nice as I can find today. Fate led me to enjoy the beautiful words to me Definitely following! :)
ReplyDeleteFunny Photo
प्रिय अमरेन्द्र जी ...सुन्दर भाव प्यारी रचना मन को छू गयी ...
ReplyDeleteढेर सारी हार्दिक शुभ कामनाएं .....जय माता दी आप सपरिवार को ढेर सारी शुभ कामनाएं नवरात्रि पर -माँ दुर्गा असीम सुख शांति प्रदान करें
थोडा व्यस्तता वश कम मिल पा रहे है सबसे क्षमा करना
भ्रमर ५
दर्द की अंधी गली है , कोई भी न मोड़ है
सभी स्वप्न टूटकर बिखरे है यहाँ, फिर भी
हम तेरी खातिर उन गलियों से
रिश्ता निभाए बैठे है
B. S. gurjer ji shukriya
ReplyDeleteDr. Varsha singh ji rachna ka maan rakhne ke liye bahut bahut shukirya
ReplyDeleteAdarniya Sameer ji mera to gher me raunak hi aa gayi..........aapka aana hamesha hi subh hota hai mere liye ..aabhar
ReplyDeleteBabli ji shukriya *******
ReplyDeleteUmda rachna ! Bdhaai! HAPPY NAVRATRA! STAY HAPPY!
ReplyDeletenice
ReplyDeleteतेरी तस्वीर को दिल से लगाये बैठे है
ReplyDeleteहम अपनी ख्यालो की अलग दुनिया बसाये बैठे है
जिंदगी जो , अब तक व्यर्थ थी, मेरी
उसे तेरे लिए फागुन का मदमाता मौसम बनाये बैठे है nice
बहुत खूब .
ReplyDeleteतेरी तस्वीर क्या मिली , मुझे यूँ लगा आइना मिल गया मुझको
ReplyDelete'सूरत-ए- अमर' आईने में देखी नहीं कभी, तेरी तस्वीर को आईना बनाये बैठे है !
वाह ! कितनी ख़ूबसूरत बयानबाजी है.. बहुत सुन्दर रचना. बधाई ...
मिल गयी 'रौनक ए जहा' मुझको ,तेरे नाम से
ReplyDeleteहम अपने नाम को तुझसे मिलाये बैठे है
बहारो ने भी लंगर डाल दिए, तेरे नाम से
जो झील के उस पार डेरा जमाये बैठे है ....vaah bahut sundar
सुन्दर अभिव्यक्ति,भावपूर्ण.
ReplyDeletebahut sundar manbhaawan pankti...
ReplyDeleteबहारो ने भी लंगर डाल दिए, तेरे नाम से
जो झील के उस पार डेरा जमाये बैठे है
shubhkaamnaayen.
दर्द की अंधी गली है , कोई भी न मोड़ है
ReplyDeleteसभी स्वप्न टूटकर बिखरे है यहाँ, फिर भी
हम तेरी खातिर उन गलियों से
रिश्ता निभाए बैठे है
मन की पीड़ा से उपजी बहुत मार्मिक, बहुत सुन्दर रचना...
yadon ke galiyaro se uthta shor shabdo me sunderta se samait liya hai.
ReplyDeleteअमरेन्द्र जी बहुत सुन्दर मूलभाव प्यार से लवरेज प्यारी रचना ..हर पंक्ति सटीक और प्यारी ..
ReplyDeleteबधाई आप को लाजबाब ...
धन्यवाद और आभार ..अपना स्नेह और समर्थन दीजियेगा
भ्रमर ५
दर्द की अंधी गली है , कोई भी न मोड़ है
सभी स्वप्न टूटकर बिखरे है यहाँ, फिर भी
हम तेरी खातिर उन गलियों से
रिश्ता निभाए बैठे है
वाह....बढ़िया लिखा है भाई......
ReplyDeleteमिल गयी 'रौनक ए जहा' मुझको ,तेरे नाम से
ReplyDeleteहम अपने नाम को तुझसे मिलाये बैठे है
बहारो ने भी लंगर डाल दिए, तेरे नाम से
जो झील के उस पार डेरा जमाये बैठे है.. bhaut hi accha likha hai aapne..
waah... bahut sundar abhivyakti...
ReplyDeleteMain Fir Aaya..
ReplyDeleteHappy Durga Puja...
बहुत ही अच्छा लगा| क्या खूब लिखते हैं !! आप मेरे पोस्ट पे आकर मेरा हौसला बढ़ने के लिए आपका धन्यवाद ! आप को बुराई पर अच्छाई की विजय के प्रतीक दशहरा पर्व पर हार्दिक शुभ कामनाएं एवं बधाई
ReplyDeleteSuman ji bahut bahut shukriya hausla afjai ke liye
ReplyDeleteAdarniya rashmi prabha ji taha tak aane aur rachna ke saath saath mera bhi maan rakhne kel iye tahe dil se shukriya
ReplyDeleteNivedita ji shukriya
ReplyDeleteSHASHI PANDEY ji bahut bahut shukriya
ReplyDeleteZEAL ji bahut bahut shukriya
ReplyDeleteVijay Pratap Singh Rajput ji tahe dil se shukriya .aise hi sneh banaye rakhiye .......
ReplyDeleteSurendra shukla" Bhramar"5 ji namaskar........rachna ke saath hamara bhi abhinandan kerne ke liye shukriya....aabhar
ReplyDeletevIRENDRA JI BAHUT BAHUT SHUKRIYA
ReplyDeleteAdraniya Kuwar ji bahut bahut shukriya
ReplyDeleteAnil Avtar ji shukriya hausla afjai ke liye shukriya
ReplyDeleteVandana ji shurkiya yaha tak aane aur rachna ka maan rakhne ke liye
ReplyDeleteArun Sathi ji hausla afjai ke lye shurkiya
ReplyDeleteडॉ. जेन्नी शबनम ji shukriya
ReplyDeleteDr (Miss) Sharad Singh ji bahut bahut shurkiya
ReplyDeleteअनामिका की सदायें ...... ji hausla afjai ke liye bahut bahut shurkiya
ReplyDeleteराजीव थेपड़ा ( भूतनाथ )ji abhinandan
ReplyDeleteSagar ji shukriya
ReplyDeleteबहुत खूब लिखा है.....
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया लगा.......
कुछ ऐसी ही कोशिश मैंने भी की है आप लोगो से आशीर्वाद चाहिए ...
&npbs; मेरे शब्द
बहुत खूब है जी!
ReplyDeleteshephali JI YAHA TAK AANE AUR RACHNA KA MAAN RAKHNE KE LIYE BAHUT BAHUT SHURKRIYA
ReplyDeleteप्रतीक माहेश्वरी SHUKRIYA
ReplyDeleteसुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ लाजवाब रचना लिखा है आपने ! शानदार प्रस्तुती!
ReplyDeleteमेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
http://seawave-babli.blogspot.com
Babli ji shukriya
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर .... एक एक पंक्तियों ने मन को छू लिया ...
ReplyDeleteकुछ दिनों से बाहर होने के कारण ब्लॉग पर नहीं आ सका
ReplyDeletebehad khoobsurat..
ReplyDeletesANJAY JI BAHUT BAHUT AABHAR
ReplyDeleteKavita verma ji bahut bahut shukriya
ReplyDeleteतेरी तस्वीर को आईना बनाये बैठे है, अब अपनी दुनिया भुलाये बैठे है
ReplyDeleteबहुत सुंदर!
जिंदगी जो , अब तक व्यर्थ थी, मेरी
ReplyDeleteउसे तेरे लिए फागुन का मदमाता मौसम बनाये बैठे है
बहुत खूबसूरत......
Veena ji rachna ke saath hanara bhi maan rakhen ke liye bahut bahut shukriya
ReplyDeletebehad khoobsoorati se varnana kar diya prem ka aapne...
ReplyDeletesamajh nahi aa raha hai ki koun si pankti ki tareef karun aur koun sa stanza bina tareef ke rahne du...
"दर्द की अंधी गली है, कोई भी न मोड़ है
ReplyDeleteसभी स्वप्न टूटकर बिखरे है यहाँ, फिर भी
हम तेरी खातिर उन गलियों से
रिश्ता निभाए बैठे है"
बहुत सुंदर !
मिल गयी 'रौनक ए जहा' मुझको ,तेरे नाम से
ReplyDeleteहम अपने नाम को तुझसे मिलाये बैठे है
बहारो ने भी लंगर डाल दिए, तेरे नाम से
जो झील के उस पार डेरा जमाये बैठे है
sundar prastuti aabhar .
bahut sundar rachna aabhar
ReplyDeleteDr. Shastri ji hardik abhinandan ............
ReplyDelete@Pooja ji bahut bahut shukriya aise hi aap apna sneh banaye rakhe
ReplyDelete@ Sushila ji aap aise hi apna sneh banaye rahiya ....aapka sahyog hamare liye bahut jaruri hai..
@Naveen Mani Tripathi ji shukriya
ReplyDelete@Mamta Bajpai
bahut bahut shukriya
मिल गयी 'रौनक ए जहा' मुझको ,तेरे नाम से
ReplyDeleteहम अपने नाम को तुझसे मिलाये बैठे है
बहारो ने भी लंगर डाल दिए, तेरे नाम से
जो झील के उस पार डेरा जमाये बैठे है
! बहुत सुन्दर शब्द ! अभी एक ही रचना पढ़ी है , इसलिए एक ही रचना के लिए कहूँगा , बहुत खूब !