उम्मीद की थी प्यार की तहजीब ने
शायद यही भूल थी मेरी,
जो आज गिरते हुए अश्को में
अपनी हसरत ढूनता हूँ ,
कुछ पल को ठहर जाता जो वक्त
तो अपनी वही सूरत ढूनता हूँ ,
गुजरे थे जिन गलियों से कभी हम
उन में प्यार के बादल ढूनता हूँ
शायद बरस जाये वो ही मुझपे
यही सोच कर रोज उस गली से गुजरता हूँ
मुझे इन्तेजार है उस दिन का
की शायद लौट आये वो तुम्हारी याददास्त
मेरी वो उम्मीद ,
मै पागल हूँ न
आज भी दरवाजे की तरफ देखता हूँ
Sunday, June 27, 2010
Wednesday, June 9, 2010
"फिर साथ - साथ चलते है"
मेरी जिंदगी के कुछ लम्हे,
खास बन गए,
जब तक थे साथ मेरे
मेरी सांस बन गए,
मै हूँ जब तक,
मै हूँ आपका ,
आप भले ही हमसे ,
घात कर गए ,
आप समझ न पाए
मेरे हालात को ,
बेवफाई का नाम दिया है,
मेरे जज्बात को ,
याद तुम्हे आती न होगी
मुमकिन है ये
पर जब आती होगी
तो बस "याद" आती होगी
बहते होंगे तेरे भी नैनों से झरने,
जब यादों के झुरमुट में आते होंगे,
कोई तो काँटा होगा,
जो तुम्हारे दामन में चुभ जाता होगा ,
बंद कर के अपनी आँखे,
तुम निकल न पाते होंगे ,
लाख कोशीस करके भी
कुछ पल को ठहर जाते होगे,
चलो मिलते है एक बार फिर से
शिकवे भी दूर करते है,
वक्त ने साथ दिया
तो फिर साथ - साथ चलते है,
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