उसने छिपाया तो बहुत
पर छुपा न पायी
चेहरे की लाली
चेहरे की लाली
सुर्ख आँखों से बहे काजल का पानी
वो छिपा न पायी
यु तो भूली
वो सारी कहानी
बस दो पल कि कहानी
दर्द में डूबी
पूरी जिंदगानी भुला न पायी
गयी तो थी
रात के घोर अन्धियारें में
घर की चार दिवारी लाँघ कर
नहीं पता था उसे
कि वो जिसे लाँघ कर जा रही है
वो चार दिवारी उसके घर की नहीं
उसके माँ- बाप की जीवन रेखा है
किसी के प्यार में
बन्द हो गयी थी आँखे
उसकी
या ,
खुल गया था समाज का मुहं
उसके लिए
इन सब से वो अनजान थी
वो तो बस जाना
चाहती थी
ये सारे बंधन तोड़ कर
किसी ओर से जोड़ने के लिए
वो चली भी गयी
छोड़ गयी
अपने पीछे
बहुत कुछ अनकही सी कहानियाँ
दो दिन भी न सह सके
ये वज्रघात
उसके माँ बाप ....................
बेचारी क्या करती
वो आना तो चाहती थी
वापस वही
जहाँ से चार दिवारी ,
लांघ कर गयी थी
उस काली रात
पर उसे अहसास हो चला था
कि रात के सन्नाटे में चार दिवारी लांघना
आसान है
पर
दिन के उजाले में,
सब के सामने ,
अपने ही घर के दरवाजे से भीतर आना बहुत मुश्किल है
अमरेन्द्र 'अमर'
कविता के भाव बहुत सुन्दर है ....घर से भागी एक लड़की के मन की मनोदशा को बहुत खूबसूरती से व्यक्त किया है ...पर हिंदी लिखने में (वर्तनी )..कुछ जगह पर गलतियां हुई है ..उन्हें ठीक कर ले ........आभार
ReplyDeleteपर उसे अहसास हो चला था
ReplyDeleteकि रात के सन्नाटे में चाहर दिवारी लांघना
आसान है
पर
दिन के उजाले में,
सब के सामने ,
अपने ही घर के दरवाजे से
भीतर आना बहुत मुश्किल है
bhavnatmak prastuti ke lie aapka abhar.
यथार्थ को कहती अच्छी भावनात्मक प्रस्तुति
ReplyDeleteकिसी के प्यार में
ReplyDeleteबन्द हो गयी थी आँखे
उसकी
या ,
खुल गया था समाज का मुहं
उसके लिए
उसे तो कुछ भी न था पता ...
दिल को छू गई ये पंक्तियाँ! बहुत ख़ूबसूरत और भावपूर्ण रचना! बधाई!
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
bahut sundar likha hai.
ReplyDeleteकविता के भाव बहुत सुन्दर है
ReplyDeleteसुन्दर रचना , बधाई
ReplyDeleteASHOK ARORA
ReplyDeleteबेचारी क्या करती
वो आना तो चाहती थी
वापस वही
जहाँ से चाहर दिवारी ,
लांघ कर गयी थी
उस काली रात....
पर
दिन के उजाले में,
सब के सामने ,
अपने ही घर के दरवाजे से
भीतर आना बहुत मुश्किल है
........घर से भागी एक लड़की के मन की मनोदशा को बहुत खूबसूरती से व्यक्त किया है ...आप ने .....धन्यवाद....
बहुत सुंदर भाव.
ReplyDeleteachhi abhivyakti
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति ||
ReplyDeleteकिसी के प्यार में
ReplyDeleteबन्द हो गयी थी आँखे
उसकी
या ,
खुल गया था समाज का मुहं
उसके लिए
उसे तो कुछ भी न था पता ...
दिल को छू गए आपकी रचना के भाव ... बहुत अच्छी और भावपूर्ण रचना...
बहुत भावपूर्ण एवं मार्मिक प्रस्तुति ! बहुत सुन्दर !
ReplyDeleteकाश!! यह बात लाँघने के पहले समझी होती...
ReplyDeleteपुरुष प्रधान समाज में स्त्री की स्थिति को दर्शाती एक सुन्दर कविता. आभार.
ReplyDeletestri ke manobhav ki sunder prastuti.....
ReplyDeleteकि रात के सन्नाटे में चाहर दिवारी लांघना
ReplyDeleteआसान है
पर
दिन के उजाले में,
सब के सामने ,
अपने ही घर के दरवाजे से
भीतर आना बहुत मुश्किल है
कितनी सहजता से स्त्री की मजबूरी को आपने कह दिया इस कविता में ।
बहुत सुंदर ।
संवेदनशीलसेडान मुद्दे पर संवेदन शील लेखन , ..../ बहुत अच्छा प्रयास , शुभकामनायें जी /
ReplyDeleteAnu ji bahut shukriya , aapke itni keemti comments ke liye , mai aapka sdaaive abhari rahunga
ReplyDeleteDr. Sushila Gupta ji bahut bahut shukriya, aap yaha tak aayi aue apne sunder comments se mera(meri rachna) maan rakha...........aabhar
ReplyDeleteAdarniya Sangeeta Swaroop ji aabhar ..........aise hi hamara manobal badhate rahiye .............
ReplyDeleteBabli ji Shukriya....
ReplyDeleteZeal ji bahut bahut aabhar , aapne yaha aaker rachna ke maan me char chand laga diye apne comments ke dwara.............ek baar phir se aabhar
ReplyDeleteVidhya ji aapko kavita ke bhav pasand aaye accha laga, ab lag raha hai ki shayed ye rachna sarthak sidd ho rahi hai......aabhar
ReplyDeleteVirendra ji bahut bahut shukriya
ReplyDeleteAshok Arora ji bahut bahut aabhar , aap yaha tak aaye aur apne sunder comments ke dwara rachna ka maan rakha ...............
ReplyDeleteKusumesh ji shukriya
ReplyDeleteडॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण) ji aapka bahut bahut shukriya jo aapne rachna ko charcha manch tak lane me sahyog diya ..aabhar .........
ReplyDeleteAdarniya RAshmi Prabha JI tahe dil se shukriya ada krte hai .........aap aise hi apna sneh banaye rakhe ...........
ReplyDeleteAdarniya Madan Sharma Ji bahut Bahut Shukriya , jo aapke subh kadam yaha pade.............aabhar
ReplyDeleteSandhya Sharma Ji bahut bahut shukriya , aapke keemti sujhavo ke liye
ReplyDeleteAdarniya Sameer Ji Bahut Bahut Shukriya , jo aapne apne keemti samy se mere liye bhi kuch samay nikala, bahut bahut aabhar...............aise hi apna sneh banaye rakhiyega.....
ReplyDeleteSubeer Rawat ji bahut bahut shukriya , aap yaha tak aaye aur apne meri hauslaafjai ki .........
ReplyDeleteRoshi Ji hausla afjai ke liye bahut bahut aabhar.......
ReplyDeleteकविता नहीं भावों का आवेग...
ReplyDeleteBehtariin..Badhai swiikaren
ReplyDeleteअरुण चन्द्र रॉय ji bahut bahut shukriya hauysla afjai ke kene ke liye
ReplyDeleteनीरज गोस्वामी ji aabhar
ReplyDeleteवो चली भी गयी
ReplyDeleteछोड़ गयी
अपने पीछे
बहुत कुछ अनकही सी कहानियाँ
दो दिन भी न सह सके
ये वज्रघात
उसके माँ बाप ....................सुन्दर सन्देश देती रचना
अपने ब्लाग् को जोड़े यहां से 1 ब्लॉग सबका
ReplyDeleteफालोवर बनकर उत्साह वर्धन कीजिये
कविता के भाव बहुत सुन्दर है
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर और मर्मस्पर्शी रचना !
ReplyDeleteदिन के उजाले में,
ReplyDeleteसब के सामने ,
अपने ही घर के दरवाजे से
भीतर आना बहुत मुश्किल है
bahut smvednae rahi hogi uske dimaag maen ..
वंचित
ReplyDeletesimple but deep expression.good.
ReplyDeleteजैसे ही आसमान पे देखा हिलाले-ईद.
ReplyDeleteदुनिया ख़ुशी से झूम उठी है,मनाले ईद.
ईद मुबारक
Sawai Singh Rajpurohit ji bahut bahut shukriya
ReplyDeleteसुनील गज्जाणी ji hausla afjai ke liye bahut bahut shukriya
ReplyDeleteIndranil Bhattacharjee ........."सैल" ji hausla afjai ke liye bahut bahut shukriya
ReplyDeleteदर्शन कौर' दर्शी ' ji yaha tak aane aur rachna ka maan rakhne ke liye bahut bahut shukriya
ReplyDeleteजाट देवता (संदीप पवाँर) ji rachna ka maan rakhneke liye bahut bahut shukriya
ReplyDeleteNISHA MAHARANA ji yaha tak aane aur rachna ka maan rakhne ke liye bahut bahut shukriya
ReplyDeleteKunwar Kusumesh ji aapko bhi ED Mubarak ho bahut bahut Shubkamnaye
ReplyDeleteईद की सिवैन्याँ, तीज का प्रसाद |
ReplyDeleteगजानन चतुर्थी, हमारी फ़रियाद ||
आइये, घूम जाइए ||
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Ravikar ji yaha tak aane ka bahut bahut shukriya.......hum aur aap sath sath hi ghumne chalenge ..........aabhar
ReplyDeleteHi I really liked your blog.
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पर उसे अहसास हो चला था
ReplyDeleteकि रात के सन्नाटे में चार दिवारी लांघना
आसान है
पर
दिन के उजाले में,
सब के सामने ,
अपने ही घर के दरवाजे से
भीतर आना बहुत मुश्किल है
एक कटु सत्य को उजागर करती बेहतरीन रचना।
samaj ke paramparawadi soch ki bali chadh hin jaati hai ladki. ghar ke darwaaje sada ke liye band ho jaate hain, din ke ujaale ho yaa raat ke andhere, wapasi naamumkin hai...
ReplyDeleteकि रात के सन्नाटे में चार दिवारी लांघना
आसान है
पर
दिन के उजाले में,
सब के सामने ,
अपने ही घर के दरवाजे से
भीतर आना बहुत मुश्किल है
bahut samvedanshil rachna, badhai.
Ojaswi Kaushal ji bahut bahut shukriya jo aapne yaha aaker rachna ka maan rakha .aabhar
ReplyDeleteवन्दना ji kya kare hamne swayam hi to samaj ki paramaparao ko kabhi na kabhi aisa banane me sahyog diya hai , verna jab ladka wapas a saktahai usi ijjat ke saath , to ladki kyu nahi aa sakti pr sayed hamara samaj abhi bhi do ray rakhta hai nar aur nari me ..............
ReplyDeleteaapne yaha aaker rachna ka maan rakha iske liye bahut bahut aabhra ...........asha hai aise hi aap sneh banaye rakhnegi
डॉ. जेन्नी शबनम ji bahut shukriya..........aapne apne bahumulya keemti comments diye........aise hi apna sneh banaye rakhiyega
ReplyDeleteBahut hi acchhe bhavon ke saath aapne apni is rachna ko sajaya hai.. Aabha..
ReplyDeleteVishesh aabhar... mere blog par aane ke liye, mera haunsala badhane ke liye.. aate rahiyega..
Anil Avtaar ji apne shub kadam yaha rakhne ke liye bahut bahut aabhar
ReplyDeleteamrendra ji aaj ka sach yahi hai , jo aap ne likha hai...behad bhavpurna rachna hai .
ReplyDeleteप्यार और समाज का संघर्ष कविता में उभर आया है।
ReplyDeleteबेहद मार्मिक...इसीलिए संवाद ज़रूरी है...बच्चों से...ताकि वो दरवाजे से जायें...
ReplyDeleteपर उसे अहसास हो चला था
ReplyDeleteकि रात के सन्नाटे में चार दिवारी लांघना
आसान है
पर
दिन के उजाले में,
सब के सामने ,
अपने ही घर के दरवाजे से
भीतर आना बहुत मुश्किल है
बहुत सुन्दर और भावपूर्ण कविता के लिए हार्दिक बधाई.
SHASHI PANDEY ji bahuit bahut shukriya ........apna ashirwad aise hi banaye rahiye........aabhar
ReplyDeletemahendra verma ji aapne yaha aker rachna aur mera dono ka maan badhaya .......aapka bahut bahut aabhar....
ReplyDeleteVaanbhatt ji bahut bahut shukriya
ReplyDeleteDr Varsha Singh ji hausla afjai ke liye bahut bahut shukriya.aise hi apna sneh banaye rahiye.........
ReplyDeletewow...
ReplyDeletebahut khoob... ek gahan soch aur shodh ka taneeja hai ye kavita...
ek aisi raat ki aisee baat jo kah nahi paate kai log... chah kar bhee...
Pooja ji tahe dil se shukriya
ReplyDeleteबहुत प्यारा सा ख़याल और निराला सा अंदाज़ ! बहुत सुन्दर !
ReplyDeleteवाह अमरेन्द्र जी !
ReplyDeleteअति सुन्दर भाव और उनकी खूबसूरत प्रस्तुति |
Sanjay ji bahut bahut shukriya aapka
ReplyDeleteदिन के उजालों और रात के सियाही दोनों का समाना ही जिन्दगी है, वो कोई मजदूर की बेटी नहीं थी इसलिए कविता में ढल गई।
ReplyDeleteबढि़या प्रयास.
उम्दा भावपूर्ण रचना.....अच्छी कविता बन पड़ी है..बधाई.
ReplyDeleteSanjeev ji aap yaha tak aaye aur rachna ka maan rkha .bahutbahut aabhar...
ReplyDeleteAdarniya Sameer ji hausla afjai ke liye bahut bahut shukriya ******
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया
ReplyDeleteबहुत गहरी बात लिख दी आपने ... सोचने वाली बात है उन सभी प्रेमियों के लिए जो खुशी चाहते हैं पर कीमत बहुत बड़ी चुकाते हैं ..
ReplyDeletesmshindi By Sonu ji shukriya
ReplyDeleteNaswa ji bahut bahut shukriya.aap yaha tak aaye aur apne rachna ka maan rakha..........aabhar
ReplyDeleteसुन्दर भावपूर्ण व मार्मिक प्रस्तुति.
ReplyDeleteसोचने समझने को मजबूर करती है.
घर छोड़ने से पूर्व किसी लड़की के लिए.
अनुपम प्रस्तुति के लिए आभार,अमेंद्र जी.
Rakesh kumar Ji bahut baht shukriya
ReplyDeleteWaah ! Amrendra Saahab Kya Khoob Likhi Gai.. Bahut Hi Bhavmayi Aur Yatharth Rachna.. Aabhar..
ReplyDeleteAap ka vishesh aabhar, aap humare blog par aaye, hamara haunsala badhaya.. Bahut-bahut dhanyawaad.. Wakt mile to fir aaiyega..
Anil Avtar ji bahut bahut shukriya .yaha tak aane aur rachna ka maan rakhne ke liye
ReplyDeleteरचना में नायिका के नखशिख का सुन्दर चित्रण किया है आपने!
ReplyDeleteप्रणय रचना बहुत शानदार लिखी है आपने!
Shukriya Shastri ji .sadar abhar
ReplyDeleteZindagi shayad ek chahat ko poora karne me aivaz me kai chahto ka gala dabane jaisi koi scheme chalati h.. har chahat kahaan aur kab hi poori ho pati h.. sundar rachna..
ReplyDeletemonali ji shukriya.......
ReplyDeleteaapaki sundar rachna ke liye badhai,
ReplyDeleteमेरी १०० वीं पोस्ट , पर आप सादर आमंत्रित हैं
**************
ब्लॉग पर यह मेरी १००वीं प्रविष्टि है / अच्छा या बुरा , पहला शतक ! आपकी टिप्पणियों ने मेरा लगातार मार्गदर्शन तथा उत्साहवर्धन किया है /अपनी अब तक की " काव्य यात्रा " पर आपसे बेबाक प्रतिक्रिया की अपेक्षा करता हूँ / यदि मेरे प्रयास में कोई त्रुटियाँ हैं,तो उनसे भी अवश्य अवगत कराएं , आपका हर फैसला शिरोधार्य होगा . साभार - एस . एन . शुक्ल
खूबसूरत प्रस्तुति |
ReplyDeleteआज दुबारा पढी कविता, और फिर जी चाहा कि कमेंट लिखूं। लेकिन क्या लिखूं, यह समझ नहीं आ रहा। बस इतना कहूंगा कि मन को छू गये भाव।
sundar abhivyakti .......
ReplyDeletemeri nayi post par aapka intjar hai .
S N Shukla ji bahut bahut shukriya
ReplyDeleteSanjay ji aap aur aapke comments dono hi bahut acche hote hai ..........aap jab bhi ate ho bada accha lgta hai
ReplyDeleteShahsi purwar ji bahut bahut shukriya
ReplyDeleteखूबसूरत प्रस्तुति| कविता के भाव बहुत सुन्दर है|
ReplyDeleteAcchha likha hai aapne, viseshkar aapne vishay bahut hi realistic chuna hai. aapki lekhni bahut badhiya sandesh de rahi hai..
ReplyDeleteAapka Aabhar
Patil the Village ji shukriya
ReplyDeleteS. Guru ji shukriya
ReplyDeleteअमरेन्द्र जी नमस्कार्। सत्य के धरातल पर सुन्दर भावों की प्रस्तुति।
ReplyDeleteSuman Ji bahut bahut shukriya
ReplyDeleteकि रात के सन्नाटे में चार दिवारी लांघना
ReplyDeleteआसान है
पर
दिन के उजाले में,
सब के सामने ,
अपने ही घर के दरवाजे से
भीतर आना बहुत मुश्किल है
----सुंदर...
Shukriya Dr. Shyam Gupta ji
Deletekash jane vale samajh pate ki koi oonake liye royega aur oonka loutana sambhav nahi hoga. ise ham niyati hi kah sakate hain.
ReplyDeletebilkul sahi kaha aapne singh sahab.
Deleteshukriya***
बहुत सुन्दर ! मार्मिक प्रस्तुति ! सुन्दर भाव!
ReplyDelete