फांसले भी मिट गए
दूरियां भी न रही,
वो लकीर ही न मिटी
जो तुम खींच के गए,
पास भी आते गए
दूर भी जाते गए ,
नजदीकियां भी रही, दरमियाँ
और वो दूरियां भी बढ़ाते गए,
हम सहरा - ए - मुहब्बत में ,
कुछ ऐसे उतरते गए,
सरे बाज़ार रुसवा हुए
मोहब्बत - ए - झील में
और वो खड़े देखते गए ,
"इस फरेबी दुनिया में ऐसा कई बार हुआ ,
गुनाहगार कोई और था, गुनाहगार कोई और हुआ "
"इस फरेबी दुनिया में ऐसा कई बार हुआ ,
ReplyDeleteगुनाहगार कोई और था, गुनाहगार कोई और हुआ "
sachchi aur sundar abhivyakti .
नजदीकियां भी रही, दरमियाँ
ReplyDeleteऔर वो दूरियां भी बढ़ाते गए,
यह अक्सर होता है दुनिया में ..इस सच्चाई से हर किसी का वास्ता पड़ता है .....आपका आभार इस प्यारी और सार्थक रचना के लिए
पास भी आते गए
ReplyDeleteदूर भी जाते गए ,
नजदीकियां भी रही, दरमियाँ
और वो दूरियां भी बढ़ाते गए,
"इस फरेबी दुनिया में ऐसा कई बार हुआ ,
गुनाहगार कोई और था, गुनाहगार कोई और हुआ "
सार्थक रचना के लिए आपका आभार..............
"इस फरेबी दुनिया में ऐसा कई बार हुआ ,
ReplyDeleteगुनाहगार कोई और था, गुनाहगार कोई और हुआ
bahut achcha likhe hain.
जीवन की सच्चाई बयां करती हुई बहुत ही सुंदर प्रस्तुति.
ReplyDeleteगुनाहगार कोई और था, गुनाहगार कोई और हुआ
ReplyDeleteबहुत ही प्रभावी पंक्तियाँ.... कमाल की अभिव्यक्ति
मर्मज्ञ जी शुक्रिया, ऐसे ही अपना स्नेह बनाये रखिये
ReplyDeleteकेवल राम जी आपका बहुत बहुत आभार यहाँ तक आने और हौसला अफजाई क लिए ........आशा करता हूँ अब मिलना जुलना लगा रहेगा
ReplyDeleteरजनी मल्होत्रा नैय्यर जी शुक्रिया , आपका यहाँ तक आना बहुत अच्छा लगा .उम्मीद कर सकता हु अब आन जन लगा रहेगा
ReplyDeleteमृदुला प्रधान जी तहे दिल से शुक्रिया
ReplyDeleteउपेन्द्र भाई साहब हौसला अफजाई के लिए शुक्रिया......
ReplyDeleteडॉ॰ मोनिका शर्मा जी आपने ब्लॉग पर आने और उत्साह बढ़ाने क लिए शुक्रिया
ReplyDeleteस्वागत है,
ReplyDeleteअच्छी कविता है।
फांसले भी मिट गए
ReplyDeleteदूरियां भी न रही,
वो लकीर ही न मिटी
जो तुम खींच के गए,
बहुत सुन्दर .....
नजदीकियां भी रही, दरमियाँ
ReplyDeleteऔर वो दूरियां भी बढ़ाते गए,
bahut sundar abhivyakti.
.
Lalit sharma ji bahut bahut shukriya........mere gher (blog) aane ka aur marg dershan kerne ke liye
ReplyDeleteCoral ji shukriya .....
ReplyDeleteZeal ji shukriya aap ke hauslo se hi to mere pankho ko phadphadane ki takat milti hai
ReplyDeleteगुनाहगार कोई और था, गुनाहगार कोई और हुआ
ReplyDeleteबहुत अच्छा लिखा है...
गुनाहगार कोई और था ,गुनाहगार कोई और हुआ
ReplyDeleteSUNDAR RACHNA
Shukriya Veena ji
ReplyDeleteSurendra singh ji hausla afjai k lye bahut bahut shukriya
ReplyDelete"इस फरेबी दुनिया में ऐसा कई बार हुआ ,
ReplyDeleteगुनाहगार कोई और था, गुनाहगार कोई और हुआ "
सार्थक रचना के लिए आपका आभार
कई दिनों से बाहर होने की वजह से ब्लॉग पर नहीं आ सका
ReplyDeleteगुनाहगार कोई और था, गुनाहगार कोई और हुआ "
ReplyDeleteक्या बात है .....
वो लूट कर हमें यूँ खड़े थे गैरों के साथ
खुद पे बहाने को आँसू भी अपने न रहे
Sanjau ji shukriya....
ReplyDeleteheer ji bahut bahut shukriya apne kadam mere gher(blog) tak lane k liye ...shukriya
ReplyDeleteशुक्ला जी,
ReplyDeleteपहली बार आपको पढने का मौका मिला और सच कहूँगा आपके यहाँ आना व्यर्थ न हुआ!
खूबसूरत अभिव्यक्ति!
bahut sundar rachana. thank you so much sukla Ji
ReplyDeleteआपका आभार ब्लॉग पर आकर प्रोत्साहित करने के लिए ...अपना मार्गदर्शन सदा बनाये रखना
ReplyDelete"गुनाहगार" कई जीवन सन्दर्भों को उजागर करती है कि ऐसा भी होता है - सुंदर रचना - बधाई और शुभकामनाएं
ReplyDeletejai baba banaras-----
ReplyDeletesunder lekhan---
सुन्दर रचना के लिए आभार
ReplyDeleteजीवन की सच्चाई बयां करती बहुत ही सुंदर प्रस्तुति,
ReplyDeleteबेह्द उम्दा अभिव्यक्ति।
"इस फरेबी दुनिया में ऐसा कई बार हुआ ,
ReplyDeleteगुनाहगार कोई और था, गुनाहगार कोई और हुआ "
भाई साहब , वास्तव में बहुत ही बहुत बढ़िया !
--
..
kya kahne hain....wastav me dil ko chhuti hui rachna..:)
ReplyDeleteSurendra Ji bahut bahut shukriya..........
ReplyDeleteBabulal Gadhwal ji bahu bahut shukriya yaha tak aane aur rachna ka maan rakhne k liye..........
ReplyDeletekewal ram ji dhanyawaad
ReplyDeleteRakesh Kaushik Ji hausla afjai k liye shukriya..............
ReplyDeletePoorviya ji shurkiya
ReplyDeleteArvind ji apne subh kadam yaha tak lane k liye bahut bahut shukriya
ReplyDeleteP S Bhakuni ji tahe dil se shukriya
ReplyDeleteDinesh Rohilla ji umeed hai ab jana laga rahega ...yaha tak aane k liye abhar vyakt kerta hu aapka
ReplyDeleteMukesh Kumar Sinha ji shukriya
ReplyDeletehan sir ye line jo aap ne likhe hai ye ek dam sach hai sir ji ..
ReplyDeleteShukriya Karan Ji
ReplyDeleteहम सहरा - ए - मुहब्बत में ,
ReplyDeleteकुछ ऐसे उतरते गए,
सरे बाज़ार रुसवा हुए
मोहब्बत - ए - झील में
और वो खड़े देखते गए
सुन्दर रचना,वैसे यह जानने को उत्सुक हूँ कि गुनहगार सही शब्द है अथवा गुनहगार ! क्योंकि अक्सर लोग बसंत और वसंत की ही वान्ति इन दो शब्दों को ही खूब प्रयुक्त करते है !
बहुत अच्छी रचना के लिये बधाई
ReplyDeleteक्या सफेद क्या स्याह खुदा जानता है
ReplyDeleteकौन गुनाहगार, क्या गुनाह खुदा जानता है
P.C. Godiyaal Sahab Shukriya.......waise jaha tak humne dekha hai log dono hi tarike se ishe prayukt kerte hai.waise bahut bahut shukriya is or dhyan dilane k liye..........
ReplyDeleteShukriya Palash Ji
ReplyDeleteRajey Sha bikul sahi kaha hai aapne, shukriya yaha tak aane k liye
ReplyDeleteइसे कहते हैं कटु सत्य।
ReplyDelete---------
पुत्र प्राप्ति के उपय।
क्या आप मॉं बनने वाली हैं ?
Jakir Ali 'Rajneesh' Ji bahut bahut shukriya yaha tak ane k liye****
ReplyDeleteवाह वाह अमरेन्द्र जी. खूब है.
ReplyDeleteplz.visit: kunwarkusumesh.blogspot.com
हम सहरा - ए - मुहब्बत में ,
ReplyDeleteकुछ ऐसे उतरते गए,
सरे बाज़ार रुसवा हुए
मोहब्बत - ए - झील में
और वो खड़े देखते गए ,
achchhi pantiyan lagi.
गुनाहगार कोई और था ...गुनाहगार कोई और हुआ ..बहुत सटीक बात कही ...सुन्दर रचना
ReplyDelete"इस फरेबी दुनिया में ऐसा कई बार हुआ ,
ReplyDeleteगुनाहगार कोई और था, गुनाहगार कोई और हुआ "
बहुत खुब जी धन्यवाद
तस्वीर और शब्द, एक-दूसरे के समर्थ पूरक.
ReplyDeleteKunwar Kusumesh ji bahut bahut shukriya
ReplyDeletePrem Farrukhabadi ji shukriya , umeed hai ab milna julna laga rahega
ReplyDeleteSangeeta Swaroop ji bahut bahut shukriya..............
ReplyDeleteRaj Bhatia Ji Shukriya
ReplyDeleteSingh Sahab Bahut Bahut Shukriya
ReplyDeletemuhabbat kabhi sahra , kabhi jheel , kya baat hai
ReplyDeleteवाह...
ReplyDeleteबहुत खूब...
सच है...
अमर जी ! बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteनजदीकियां भी रही, दरमियाँ
और वो दूरियां भी बढ़ाते गए,....वाह
"इस फरेबी दुनिया में ऐसा कई बार हुआ ,
ReplyDeleteगुनाहगार कोई और था, गुनाहगार कोई और हुआ ".....
बहुत सटीक ....एक-एक शब्द भावपूर्ण .....
minoo bhagia ji bahut bahut shukriya
ReplyDeletePOOJA ji yaha tak aane k liye tahe dil se shukriya ada kerta hu aapka
ReplyDeleteDr. Nutan ji hausla fajai k liye bahut bahut shukriya
ReplyDeleteDr (Miss) Sharad Singh ji shukriya
ReplyDeleteवो लकीर ही न मिटी
ReplyDeleteजो तुम खींच के गए,
लकीरें कितनी भी मिटा लो निशान छोड ही जाती हैं। अच्छी लगी रचना बधाई।
इस फरेबी दुनिया में ऐसा कई बार हुआ ,
ReplyDeleteगुनाहगार कोई और था, गुनाहगार कोई और हुआ ...
ये तो रीत है दुनिया की ... सभी के साथ मज़ाक करती है है दुनिया ...
दिल खोल कर रख दिया आपने .....
Nirmala Ji bahut bahut shukriya.....aapke aane se gher(blog) me raunak a jati hai
ReplyDeleteNaswa ji Shukriya
ReplyDeleteसार्थक रचना के लिए आपका आभार
ReplyDeleteसुंदर अति सुंदर रचना .अन्याय दिल को हमेशा ही कचोटता है. कानून में गुनाह जब तक सिद्ध नहीं हो जाता तब तक व्यक्ति को गुनहगार नहीं माना जाता. ये अलग बात है कि कानून का दुरप्रयोग
ReplyDeleteअधिकतर अपराधी ही अपने हक में कर ले जाता है और बेगुनाह को अक्सर भुगतना पड़ता है .
शिवकुमार ( शिवा) ji bahut bahut dhanyawaad******
ReplyDeleteRakesh Kumar ji bikul sahi kaha hai aapne ******
ReplyDeleteहम सहरा - ए - मुहब्बत में ,
ReplyDeleteकुछ ऐसे उतरते गए,
सरे बाज़ार रुसवा हुए
मोहब्बत - ए - झील में
और वो खड़े देखते गए ,
bahut hi gahrai hai ,sundar rachna .
Jyoti Ji bahut bahut shukriya
ReplyDeletebahut khoob......thanks
ReplyDeleteप्रशंसनीय.........लेखन के लिए बधाई।
ReplyDelete==========================
देश को नेता लोग करते हैं प्यार बहुत?
अथवा वे वाक़ई, हैं रंगे सियार बहुत?
===========================
होली मुबारक़ हो। सद्भावी -डॉ० डंडा लखनवी
Dr.Sushila Gupta ji yaha tak aane aur rachna ka maan rakhne ke liye aapka bahut abhari hun
ReplyDeleteडॉ० डंडा लखनवी ji shukriya
ReplyDelete"इस फरेबी दुनिया में ऐसा कई बार हुआ ,
ReplyDeleteगुनाहगार कोई और था, गुनाहगार कोई और हुआ "
bahut sundar abhivyakti
somali ji aapka aana bahut acha laga .aise hi aap apna sneh banaye rakhe.....
ReplyDeletewow........thats great.!
ReplyDeleteShukriya Aryan ji
Deleteइस फरेबी दुनिया में ऐसा कई बार हुआ
ReplyDeleteगुनाह किसी ने किया और गुनाहगार कोई और हुआ
दुआ किसी ने मांगी और दामन किसी का भर दिया
हमने तो आजतक कुछ माँगा ही नहीं
जो उस रब ने दिया बस उसे स्वीकार कर लिया ,,
Shukriya Gurjar ji ,
Delete