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Monday, May 21, 2012


न जाने कैसे लोग बदल जाते है 
पर सच है, वक्त के साथ सब लोग बदल जाते है 

जो मेरे हमनशी, मेरे कह्कशी थे कभी  
अब तो उनके भी तरकश-ए-तीर बदल जाते है 

गम ये नहीं की, वो  मेरी साधना की प्रतिमा न बने 
गम  तो इस बात का है , 
कि अब तो उनके भी,
कभी शिव, तो कभी शिवालय बदल जाते है 

हर बार इल्जामात  का तमगा दिया उसने, मुझको, खुद बेवफा होकर 
मैंने देखा है, अब तो, उसके भी कभी दरिया, तो कभी साहिल बदल जाते है 

वो  मेरे रकीब, मेरे रहबर, मेरे खुदा बने थे कभी 
वो आज सिर्फ पत्थर का बने बुत नजर आते है 

गम नहीं इसका की भरी महफ़िल रुसवा किया उसने,   
गम इस बात का की वो ही तमाशाई नजर आते है ..

मेरे संबंधो की दी दुहाई उसने मेरे दायरे में आके, 
अब तो, हम जब भी मिलते है "मेरे- उनके रिश्ते बदल जाते है" 
अमर****

47 comments:

  1. बदल बदल बादल से बरसें,
    कभी अश्रुसम, कभी अमियसम।

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  2. गम नहीं इसका की भरी महफ़िल रुसवा किया उसने,
    गम इस बात का की वो ही तमाशाई नजर आते है ....
    बेवफा सोच ऐसी तो शिकवा क्यों ....
    वक्त के साथ सब लोग बदल जाते है .....

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  3. vaah ........adbhut bhav sanyojan

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  4. कवि हृदय में नग्न संवेदनाओं को वस्त्र मिलता है, अलंकार मिलता है, सुन्दर आकार मिलता है .
    आपने अनुभूतियों को मर्मभेदी संरचना में ढालने का कार्य बड़ी कारीगरी से किया है
    बधाई !

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    1. Albela Khatri ji bahut bahut shukriya, rachna ka maan rakhnne ke liye

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  5. गम नहीं इसका की भरी महफ़िल रुसवा किया उसने,
    गम इस बात का की वो ही तमाशाई नजर आते है .

    वाह ,,,, बहुत अच्छी प्रस्तुति,,,,

    RECENT POST काव्यान्जलि ...: किताबें,कुछ कहना चाहती है,....

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    1. Dheerendra ji shukriya .aapka aana bahut accha lga

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  6. ghayal ki gati ghayal hi jaan sakta hai. be-wafayi k dard se labrej gazal.

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  7. वाह!!! बहुत खूब लिखा है आपने....

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  8. दिल की गहराई से निकले जज्बातों को बहुत अच्छे से शब्दों में ढाला है आपने

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  9. वाह ...बहुत ही भावमय करते शब्‍दों का संगम ।

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  10. वाह ...वाह ...बहुत खूब ..शब्द शब्द भावपूर्ण ...

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  11. गम तो इस बात का है ,
    कि अब तो उनके भी,
    कभी शिव, तो कभी शिवालय बदल जाते है

    KMAAL KA LIKHA HAI AAPNE...SHABD AUR BHAAV BEJOD HAIN...BADHAI SWIIKAREN.

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  12. बहुत ही बेहतरीन भावमय करती रचना....
    प्रत्येक पंक्ति शानदार है...
    सुन्दर प्रस्तुति....

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  13. बहुत खूब ... मन के भाव प्रभावी तरीके से रक्खें हैं आपने ... बधाई ...

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  14. बहुत खूब रचना तो सुंदर है ही चित्र भी उतना ही अच्छा है

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    1. Shukriya Sanjay ji .aise hi sneh banaye rakhiye

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  15. वाह..
    बहुत खूब अमरेन्द्र जी...

    वो मेरे रकीब, मेरे रहबर, मेरे खुदा बने थे कभी
    वो आज सिर्फ पत्थर का बने बुत नजर आते है

    बहुत सुंदर.

    अनु

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  16. बहुत सुन्दर रचना, बधाई.

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  17. वक़्त के साथ सब कुछ बदलता है ...यहाँ तक कि रिश्ते भी ... खूबसूरती से लिखे एहसास

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  18. गम ये नहीं की, वो मेरी साधना की प्रतिमा न बने
    गम तो इस बात का है ,
    कि अब तो उनके भी,
    कभी शिव, तो कभी शिवालय बदल जाते है
    kya baat hai ! bahut khoob , amrendra ji

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  19. गम तो इस बात का है ,
    कि अब तो उनके भी,
    कभी शिव, तो कभी शिवालय बदल जाते है
    । सुन्दर रचना।

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  20. कल 29/05/2012 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in (विभा रानी श्रीवास्तव जी की प्रस्तुति में) पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  21. थोड़े तुम और थोड़े हम बदल जाते हैं.. क्या कहें.. सच ही तो है!!
    उम्दा, बहुत खूब!

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    Replies
    1. Madhuresh ji aap yaha tak aaye aur rachna ke saath saath hamara bhi maan rakha shukriya

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  22. सच कहा है अपने...
    कभी हम कभी तुम तो कभी हालात बदल जाते हैं...
    आकाँक्षाओं के तले हमारे जज्बात बदल जाते हैं....

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  23. people changes wid time.. but sometimes it happens randomly.,, hum kisi ko galat nhi bol sakte,,it happens and we have to accept it..

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  24. मेरे संबंधो की दी दुहाई उसने मेरे दायरे में आके,
    अब तो, हम जब भी मिलते है "मेरे- उनके रिश्ते बदल जाते है"
    ....बहुत सुन्दर रचना !

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  25. वो मेरे रकीब, मेरे रहबर, मेरे खुदा बने थे कभी
    वो आज सिर्फ पत्थर का बने बुत नजर आते है

    वक़्त के साथ रिश्ते भी बदल जाते हैं...मर्मस्पर्शी रचना

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