मै कोई कविता या रचना लिखकर आपके सम्मुख प्रस्तुत नहीं कर रहा हूँ , अपने आस पास की इक कडवी सच्चाई बयाना कर रहा हूँ
१.
अधूरी जिंदगी के,
तन्हा सफ़र में
कल यु ही,
याद आ गयी,
"तुम्हारे साथ बीते
उन अप्रतिम पलो की
जो याद हैं मुझे,
कभी न भूलने के लिए
"जैसे ,
हमारी वो, पहली मुलाकात,
बारिश की रिमझिम फुहारे
जिनमे बरसा था कभी
तेरा-मेरा प्यार"
"पास आना तुम्हारा
चुपके चुपके धीरे धीरे,
सबके सामने,
हौले से कहना
"मै प्यार करती हूँ तुमसे "
"मेरे नयनों के धारे मंद मंद मुस्कुराते बहने लगे "
२-
मुझे याद है वो दिन भी
वैसी ही गरजती रातें
वैसी ही बरसती रातें
तुम्हारा रूठ कर जाना
घर से,
और .......
दोबारा फिर न मिलना
और मिलना भी तो कहाँ ?
जहाँ टूटते है रिश्ते पल भर में
जहाँ रिश्ते बचाए नहीं जाते,
सिर्फ तोड़े जाने के लिए बहस होती है
"अदालत",
वो ही लोग
वो ही गवाह
वैसा ही लोगो का हुजूम,
जो साक्षी थे
कभी हमारे मिलन के,
आज हमारे विरह के साथी बनेंगे,
और अंत में,
"बस दो पल के लिए पास आना तेरा
कहना भूल जाना मुझे सदा के लिए "
"मेरे नयनों के धारे मंद मंद हिचकिचाते बहने लगे "
जो शायद ही जल्दी रुके,
अमर*****
वाह......
ReplyDeleteबहुत बहुत सुंदर......
अनु
उत्कृष्ट रचना के लिए आभार ...
ReplyDeletesach hi to hai sir .. aksar aisa hi to hota hai prem me...
ReplyDeletebahut pyaari nazmelikhi aapne .
badhayi .
vijay
सुन्दर रचना से साक्षात्कार!
ReplyDeleteभावमय करते शब्दों का संगम ... अनुपम प्रस्तुति।
ReplyDeleteप्रेम की कोमल अभिव्यक्ति ...
ReplyDeleteमन में उतरती रचना ...
सुंदर भाव सायोजन से सजी भावपूर्ण अभी व्यक्ति....
ReplyDeleteमार्मिक भावाभिवय्क्ति.....
ReplyDeleteदर्द और उदासी छाई हुई हैं पूरी कविता में ...दर्द ही दर्द समेटे हुए
ReplyDeleteकाश, स्मृतियों का स्रोत सदा सुख देता रहता..
ReplyDeleteकोमल अभिव्यक्ति .
ReplyDeleteहौले से कहना
ReplyDelete"मै प्यार करती हूँ तुमसे "
"मेरे नयनों के धारे मंद मंद मुस्कुराते बहने लगे "
ek utkrishta rachna
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