न जाने कैसे लोग बदल जाते है
पर सच है, वक्त के साथ सब लोग बदल जाते है
जो मेरे हमनशी, मेरे कह्कशी थे कभी
अब तो उनके भी तरकश-ए-तीर बदल जाते है
गम ये नहीं की, वो मेरी साधना की प्रतिमा न बने
गम तो इस बात का है ,
कि अब तो उनके भी,
कभी शिव, तो कभी शिवालय बदल जाते है
हर बार इल्जामात का तमगा दिया उसने, मुझको, खुद बेवफा होकर
मैंने देखा है, अब तो, उसके भी कभी दरिया, तो कभी साहिल बदल जाते है
वो मेरे रकीब, मेरे रहबर, मेरे खुदा बने थे कभी
वो आज सिर्फ पत्थर का बने बुत नजर आते है
गम नहीं इसका की भरी महफ़िल रुसवा किया उसने,
गम इस बात का की वो ही तमाशाई नजर आते है ..
मेरे संबंधो की दी दुहाई उसने मेरे दायरे में आके,
अब तो, हम जब भी मिलते है "मेरे- उनके रिश्ते बदल जाते है"
अमर****
बदल बदल बादल से बरसें,
ReplyDeleteकभी अश्रुसम, कभी अमियसम।
Praveen Ji shukriya
Deleteबहुत सुन्दर रचना।
ReplyDeleteSir ji shukriya
Deleteगम नहीं इसका की भरी महफ़िल रुसवा किया उसने,
ReplyDeleteगम इस बात का की वो ही तमाशाई नजर आते है ....
बेवफा सोच ऐसी तो शिकवा क्यों ....
वक्त के साथ सब लोग बदल जाते है .....
Shukriya Vibha ji ,
Deletevaah ........adbhut bhav sanyojan
ReplyDeleteShukriya Vandana ji ,
Deleteकवि हृदय में नग्न संवेदनाओं को वस्त्र मिलता है, अलंकार मिलता है, सुन्दर आकार मिलता है .
ReplyDeleteआपने अनुभूतियों को मर्मभेदी संरचना में ढालने का कार्य बड़ी कारीगरी से किया है
बधाई !
Albela Khatri ji bahut bahut shukriya, rachna ka maan rakhnne ke liye
Deleteगम नहीं इसका की भरी महफ़िल रुसवा किया उसने,
ReplyDeleteगम इस बात का की वो ही तमाशाई नजर आते है .
वाह ,,,, बहुत अच्छी प्रस्तुति,,,,
RECENT POST काव्यान्जलि ...: किताबें,कुछ कहना चाहती है,....
Dheerendra ji shukriya .aapka aana bahut accha lga
Deleteghayal ki gati ghayal hi jaan sakta hai. be-wafayi k dard se labrej gazal.
ReplyDeleteAnamika ji shukriyan
Deleteवाह!!! बहुत खूब लिखा है आपने....
ReplyDeleteShukriya Pallavi ji
Deleteदिल की गहराई से निकले जज्बातों को बहुत अच्छे से शब्दों में ढाला है आपने
ReplyDeleteShukriya Rajesh Kumari ji
Deleteबहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteआपका सवाई सिंह
दूसरा ब्रम्हाजी मंदिर आसोतरा में .....
Shukriya Rajpurohit ji
Deleteवाह ...बहुत ही भावमय करते शब्दों का संगम ।
ReplyDeleteShukriya Sada ji
Deleteवाह ...वाह ...बहुत खूब ..शब्द शब्द भावपूर्ण ...
ReplyDeleteAnju di sadar pranam
Deleteगम तो इस बात का है ,
ReplyDeleteकि अब तो उनके भी,
कभी शिव, तो कभी शिवालय बदल जाते है
KMAAL KA LIKHA HAI AAPNE...SHABD AUR BHAAV BEJOD HAIN...BADHAI SWIIKAREN.
Shukriya Neeraj ji
Deleteबहुत ही बेहतरीन भावमय करती रचना....
ReplyDeleteप्रत्येक पंक्ति शानदार है...
सुन्दर प्रस्तुति....
Shukriya Reena ji
Deleteबहुत खूब ... मन के भाव प्रभावी तरीके से रक्खें हैं आपने ... बधाई ...
ReplyDeleteBahut Bahut shukriya
Deleteबहुत खूब रचना तो सुंदर है ही चित्र भी उतना ही अच्छा है
ReplyDeleteShukriya Sanjay ji .aise hi sneh banaye rakhiye
Deleteवाह..
ReplyDeleteबहुत खूब अमरेन्द्र जी...
वो मेरे रकीब, मेरे रहबर, मेरे खुदा बने थे कभी
वो आज सिर्फ पत्थर का बने बुत नजर आते है
बहुत सुंदर.
अनु
बहुत सुन्दर रचना, बधाई.
ReplyDeleteवक़्त के साथ सब कुछ बदलता है ...यहाँ तक कि रिश्ते भी ... खूबसूरती से लिखे एहसास
ReplyDeleteगम ये नहीं की, वो मेरी साधना की प्रतिमा न बने
ReplyDeleteगम तो इस बात का है ,
कि अब तो उनके भी,
कभी शिव, तो कभी शिवालय बदल जाते है
kya baat hai ! bahut khoob , amrendra ji
गम तो इस बात का है ,
ReplyDeleteकि अब तो उनके भी,
कभी शिव, तो कभी शिवालय बदल जाते है
। सुन्दर रचना।
Sushma ji shukriya
ReplyDeleteकल 29/05/2012 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in (विभा रानी श्रीवास्तव जी की प्रस्तुति में) पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
Shukriya Yashwant ji
Deleteथोड़े तुम और थोड़े हम बदल जाते हैं.. क्या कहें.. सच ही तो है!!
ReplyDeleteउम्दा, बहुत खूब!
Madhuresh ji aap yaha tak aaye aur rachna ke saath saath hamara bhi maan rakha shukriya
Deleteसच कहा है अपने...
ReplyDeleteकभी हम कभी तुम तो कभी हालात बदल जाते हैं...
आकाँक्षाओं के तले हमारे जज्बात बदल जाते हैं....
Shukriya Swati ji
Deletepeople changes wid time.. but sometimes it happens randomly.,, hum kisi ko galat nhi bol sakte,,it happens and we have to accept it..
ReplyDeleteमेरे संबंधो की दी दुहाई उसने मेरे दायरे में आके,
ReplyDeleteअब तो, हम जब भी मिलते है "मेरे- उनके रिश्ते बदल जाते है"
....बहुत सुन्दर रचना !
वो मेरे रकीब, मेरे रहबर, मेरे खुदा बने थे कभी
ReplyDeleteवो आज सिर्फ पत्थर का बने बुत नजर आते है
वक़्त के साथ रिश्ते भी बदल जाते हैं...मर्मस्पर्शी रचना