ये कोई कविता नहीं सिर्फ मन के भाव है जो कल रात मेरी किताब में रखी इक पुरानी फोटो देख कर आये....प्रस्तुत है ****
मेरी किताब के वो रुपहले पन्ने"
जो अनछुए ही रह गए
मेरे अब तक के जीवन में
जिन्हें, पढने का समय ही नहीं मिला
या यूँ कहे की
जिंदगी की आप धापी में,
कही गुम से हो गए शायद
न जाने कब से
संभाल कर रखा है,
उन्हें मैंने,
अपने दिल की अलमारियों में,
अपनी ही साँसों की तरह,
आज फिर से
बंद अलमारियों से
बुलाते है 'वो' मुझे
उन छुटे हुए किस्सों को
समझाने के लिए,
जो कभी छुट गए थे, मुझसे ,
खीचते है बरबस अपनी ओर
मै भी खिचा चला जा रहा हूँ
उसी तरफ
शायद आज मुझे उनकी ज्यादा जरुरत है
या उनके लिए मेरे अहसास जाग गए है
उनका काफिया आज भी वही है
जो बरसों पहले थे
बस आज वो मेरे हिस्से के लगते है
जो कभी पराये से लगे थे
वो नहीं बदले, न बदली उनकी तासीर
बदला तो केवल मेरा नजरियाँ
"मेरी किताब के वो रुपहले पन्ने"
अमर''........
बहुत ख़ूब बधाई
ReplyDeleteShukriya Mishra ji
Deleteआज फिर से
ReplyDeleteबंद अलमारियों से
बुलाते है 'वो' मुझे
उन छुटे हुए किस्सों को
समझाने के लिए,
जो कभी छुट गए थे, मुझसे ,
खीचते है बरबस अपनी ओर
मै भी खिचा चला जा रहा हूँ
उसी तरफ
शायद आज मुझे उनकी ज्यादा जरुरत है
या उनके लिए मेरे अहसास जाग गए है
यही एहसास कभी पुरानी आलमारी या किसी पुराने बक्से से निकलते हैं और बहुत कुछ दे जाते हैं
Shukriya Rashmi ji
Deleteइंसान ही बदलता है ... यादें तो वैसी ही रहती हैं ...
ReplyDeleteअच्छी रचना है ...
दिगम्बर नासवा ji tahe dil se shukriya
Deleteसच है कभी नहीं बदलते पन्ने और उन पर लिखीं इबारतें.....
ReplyDeleteशायद हम ही बदल जाते हैं....
बहुत प्यारी रचना.
अनु
Anu ji shukriya
Deleteबस आज वो मेरे हिस्से के लगते है
ReplyDeleteजो कभी पराये से लगे थे
वो नहीं बदले, न बदली उनकी तासीर
बदला तो केवल मेरा नजरियाँ
"मेरी किताब के वो रुपहले पन्ने!
...बहुत सुन्दर भावार्थ इन पक्तियों में छिपा हुआ है!....आभार!
डा. अरुणा कपूर. ji shukriya
Deleteबहुत अच्छी प्रस्तुति..
ReplyDeleteShukriya Amrita ji
Deleteवो नहीं बदले, न बदली उनकी तासीर
ReplyDeleteबदला तो केवल मेरा नजरियाँ
superb view to say about my self.
nice lines and thought.
Shukriya Ramakant ji
Deleteबहुत बढ़िया!
ReplyDeleteShukriya Shastri ji
Deleteबहुत सुन्दर अमरेंद्रजी .....यही यादें तो हमारी धरोहर हैं...हाँ वक़्त के साथ धूमिल पड़ सकती हैं ..लेकिन छूते ही वही ज़ज्बा फिर जिला देती हैं
ReplyDeleteji sach kaha aapne ........aabhar
Deleteवो नहीं बदले, न बदली उनकी तासीर .....kai bar aisa mahsus hota hai....bahut badhiya mai pahle bhi aai thi par kuch technical gadbadi thi......
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर...आभार
ReplyDeleteजो कभी पराये से लगे थे
ReplyDeleteवो नहीं बदले, न बदली उनकी तासीर
बदला तो केवल मेरा नजरियाँ
"मेरी किताब के वो रुपहले पन्ने"
बहुत ही सुन्दर भावमय करती पंक्तियां ...लाजवाब प्रस्तुति
.बहुत सुन्दर भावार्थ इन पक्तियों में छिपा हुआ है!
ReplyDeleteबहुत प्यारी रचना.
bahut hi sundar shukl ji
ReplyDeleteशायद आज मुझे उनकी ज्यादा जरुरत है
ReplyDeleteया उनके लिए मेरे अहसास जाग गए है
- यही होता है कभी-कभी.
बहुत सुन्दर रचना अमरेन्द्र जी, हार्दिक बधाई आपको
ReplyDeleteवो नहीं बदले, न बदली उनकी तासीर
ReplyDeleteबदला तो केवल मेरा नजरियाँ
अमरेन्द्र जी , बहुत खूब ! आपकी हर रचना एक मोती है ! और ऐसा लगता है जैसे आप एक एक मोती निकल निकल कर ला रहे हैं !
अच्छी रचना है
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत एहसास, पुरानी यादें यूँ ही कई बार जज्बाती बना देती है... बधाई.
ReplyDeleteवो नहीं बदले, न बदली उनकी तासीर
ReplyDeleteबदला तो केवल मेरा नजरियाँ .
क्या बात कही. सुंदर एहसास.
बदला तो केवल मेरा नजरियाँ
ReplyDelete"मेरी किताब के वो रुपहले पन्ने"
wah har line bahut khubsoorat...
बहुत सुंदर भाव ... वक़्त के साथ हमारा नज़रिया ही बदल जाता है ...
ReplyDeleteजिंदगी की आप धापी में,
ReplyDeleteकही गुम से हो गए शायद
न जाने कब से
संभाल कर रखा है,
उन्हें मैंने,
अपने दिल की अलमारियों में,
अपनी ही साँसों की तरह,
......bahut sunder .waah sabdo me me khubsurti se dhala hai aapne .
उन छुटे हुए किस्सों को
ReplyDeleteसमझाने के लिए,
जो कभी छुट गए थे, मुझसे ,
खीचते है बरबस अपनी ओर
मै भी खिचा चला जा रहा हूँ
उसी तरफ
शायद आज मुझे उनकी ज्यादा जरुरत है
या उनके लिए मेरे अहसास जाग गए है
jst b'ful
न जाने कब से
ReplyDeleteसंभाल कर रखा है,
उन्हें मैंने,
अपने दिल की अलमारियों में,
अपनी ही साँसों की तरह,
Bahut Badhiya....
बहुत बढ़िया,...
ReplyDeleteMY RECENT POST काव्यान्जलि ...: कवि,...
कुछ बाते और यादे सदा साथ रहती हैं ......वक्त के हाथो धूमिल जरुर हो जाती हैं ...पर मिटती कभी नहीं
ReplyDeleteमेरी किताब के वो रुपहले पन्ने"......bemisaal.....hain.
ReplyDeletesundar bhav
ReplyDeletebehtarin rachana....
Shukriya Reena Maurya ji
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