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Tuesday, January 24, 2012

आखिर कब बदलोगे तुम ??????



बार बार
हर बार ,
मैंने बात तुम्हारी मान ली
तुमने सूरज को चाँद कहा
मै उसमे भी तुम्हारे साथ चली


तुमने जब भी चाहा
तुम्हारी बाँहों में
पिघल पिघल सी गयी ,
तुम्ही को पाकर जिवंत हुई
तुम्ही को पाकर मर - मर सी गयी
पर तुम नहीं बदले !
तुम आज भी वहीँ हो
जो सदियों पहले थे
जिसके लिए औरत,
कल भी एक भोग्या थी
आज भी एक भोग्या है
तुम्हारा कोई दोष नहीं
दोष तुम्हारी सोंच का है
जो कल भी नहीं बदली थी
आज भी नहीं बदली


कितने ही तरीको से
कितनी ही बातें कर लो तुम,
पर नहीं बदलेंगे
तुम्हारे उपमान हमारे प्रति
क्योंकि तुम आदमी हो
उपर से दिखते हो
फौलाद से मजबूत
पर अंदर से
उतने ही खोखले हो


औरत कल भी औरत थी
आज भी औरत है
उसने कल भी
तुम्हे चाहा था
आज भी तुम्हे पूजा है
रही कभी निर्जल तुम्हारे लिए
तो कभी तुम्हारे लिए दुआएं मांगी
इक तुम ही हो जिसने कभी उसे भरे समाज नंगा किया
तो कभी उसके लिए दहेज़ की वेदी मांगी


तुम कल भी वही
आज भी वही हो
तुमने उसे बाजार में देखा था
आज घर में देखा है
तुम्हारे निगाहें वही
अंदाज
अनोखा है


बार बार
हर बार ,
मैंने बात तुम्हारी मान ली
तुमने सूरज को चाँद कहा
मै उसमे भी तुम्हारे साथ चली


आखिर कब बदलोगे तुम ??????

78 comments:

  1. कब ??? बदलने की प्रकृति नहीं

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    Replies
    1. Adarniya Rashmi ji, bahut bahut aabhar ............
      sansar chal hi parivartan pe rha hai ..........kuch bhi yahan ek jaisa nahi rehta.shyd ek din hum bhi badal jaye****

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  2. बहुत बढिया।
    एक नारी मन का...उसकी भावनाओं का सुंदर चित्रण।

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  3. तुमने जीत को हार कहा
    मै तुम्हारे साथ चली....

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    Replies
    1. Shukriya Heer ji, aap aise hi hamara manobal badhaye rahiye ..aabhar

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  4. सदियों से चली आ रही पुरुष मानसिकता नहीं बदलती है ...

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    Replies
    1. क्योंकि तुम आदमी हो
      उपर से दिखते हो
      फौलाद से मजबूत
      पर अंदर से
      उतने ही खोखले हो.waah bahut achchi abhivaykti.

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    2. Naswa Sahab aapka kehna bilkul sach hai .........per kabhi na kabhi to badalna hi hoga....parivartan hi sanasar ka saswat niyam hai

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    3. Nisha ji rachna ke saath saath maan rakhneke liye bhi bahut bahut shukriya

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  5. मानसिकता बदलना इतना आसान नही हैं संस्कारों मे रची बसी जो है।

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    Replies
    1. niyati aur prakriti badalti nahin, niroopaaye hai apne apne swabhaav se stree bhi aur purush bhi. fir bhi ek ummid ki shayad...

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    2. Adarniya Vandna ji bikul sach kaha hai aapne, per dhire dhire hi sahi samj ki mansikta badal rahi hai

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    3. Dr, Jeni Shabnam ji aapka comments bahut accha laga.aabhar

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  6. एक नारी मन की भावनाओं का सुंदर चित्रण।

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  7. औरत कल भी वही थी
    आज भी वही हैं
    हर रूप में वो एक औरत ही हैं
    युग बदले ..ना नर बदला ना नारी बदली .....

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  8. रही कभी निर्जल तुम्हारे लिए
    तो कभी तुम्हारे लिए दुआएं मांगी
    इक तुम ही हो जिसने कभी उसे भरे समाज नंगा किया
    तो कभी उसके लिए दहेज़ की वेदी मांगी
    वाह!

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  9. रही कभी निर्जल तुम्हारे लिए
    तो कभी तुम्हारे लिए दुआएं मांगी
    इक तुम ही हो जिसने कभी उसे भरे समाज नंगा किया
    तो कभी उसके लिए दहेज़ की वेदी मांगी ....बहुत गहरी बात कह गयी पंक्तिया......

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    Replies
    1. Sushma ji aapke bahumulya comments keliye aapka hardik abhinadan

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  10. bahut hi achha prashn liye huye hai rachna. soch ki gehrai jhalak rahi hai.

    shubhkamnayen

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  11. shayad kabhi nahi ???.............
    bahut sach likha hai .............

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    Replies
    1. Shukriya Roshi ji, per jald hi badlav ki laher aayegi.jaisa ki hamesha se hota aayan hai

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  12. सुंदर रचना
    सोच नहीं बदलने की पुरूष प्रधान

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  13. नारी मन कि पिडा को खुबसुरती से बयान किया है
    सुंदर भावाभिव्यक्ती

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  14. दोनों ही कहाँ बदले...इतनी सहनशीलता आज की नारी को शोभा नहीं देती...

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    Replies
    1. Vaanbhatt ji bahut bahut shukriya ........per nari sadiyon se hi aisi hi hai............sab kuch sehna kuch na kehna............

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  15. बहुत ही सुंदर प्रस्तुति . कडवे सच की परतो को खोला है आपने .समाज का दूसरा रूप भी बखूबी दर्शाया है .जो छुपा रहता था वोह धीरे से सामने आया ............सार्थक , सुंदर प्रस्तुति के लिए बधाई .

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  16. Replies
    1. Sandhya ji shukriya .waise ye hi to sawal hai ki akhir kab.............

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  17. फितरत नहीं बदलने वाली ...सटीक प्रस्तुति

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  18. भावों और शब्दों का उत्कृष्ट संयोजन बेहद गहन अभिव्यक्ति।

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  19. अच्छा लिखा है,पर बहुत कुछ बदला भी है !

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  20. सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ उम्दा प्रस्तुती!

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  21. पुरुष मानसिकता का बहुत अच्छे ढंग से और नारी की भावनाओं का बहुत सही चित्रण है आपकी रचना में/दिल को छु गई आपकी रचना /बहुत बधाई आपको /
    मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है /लिंक है
    http://prernaargal.blogspot.com/

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    Replies
    1. Prerna ji shukriya itne sunder comments kerne ke liye

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  22. सुंदर प्रस्तुति . बधाई

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    Replies
    1. Shiv kumar ji swagat hai aapka .apne sneh aise hi hamare uper banaye rahiye

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  23. औरत कल भी औरत थी
    आज भी औरत है...
    बिलकुल सही कहा अमर जी .
    एक नारी के अंतर्मन की बात बड़ी खूबसूरती से इन पंक्तियों में दर्शायी है आप ने.पर आज की स्थिति में काफ़ी परिवर्तन आया है... बधाई.

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    Replies
    1. Pranam, aapka yaha aana aur rachna ka maan rakhne ke liye bahut bahut shukriya

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  24. बहुत बढिया।
    एक नारी की भावनाओं का सजीव सुंदर चित्रण।

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  25. तुम कल भी वही !
    आज भी वही हो !
    kya kahu kuch kahne ko hai hi nahi ...itni sundar bhavnayen liye ...bahumlya aur sarthak sabdon me guthne ke baad jo kavya ki rachna huye hai ...bahut hi sundar hai .... ek dard jo nikla hai aapke man se ..! bahut bahut badhaiya

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    Replies
    1. Dear Ashok aise hi aate rehna yaha aur apne comments se hamara maan banaye rehna aabhar

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  26. तुम्हारा कोई दोष नहीं
    दोष तुम्हारी सोंच का है
    जो कल भी नहीं बदली थी
    आज भी नहीं बदली
    ...सही फरमाया है आपने...जब यह सोच बदलेगी,तभी समाज में बदलाव आएगा!...उमदा रचना!

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    Replies
    1. Shukriya Aruna ji .aise hi apna snehasis banaye rahiye ...aapka hrdik swagat hai

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  27. नारी मन की सुंदर अभिव्यक्ति,अमरेन्द्र जी,बहुत अच्छी रचना,..बहुत२ बधाई

    NEW POST --26 जनवरी आया है....

    मेरे पोस्ट पर आइये,.......

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  28. अति सुन्दर, नारी की मार्मिक पीड़ा का सजीव सटीक विवरण।
    कृपया इसे भी पढ़े-
    क्या यह गणतंत्र है
    क्या यही गणतंत्र है

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  29. सामयिक रचना, कर्म बदलने के लिये मन भी पवित्र करना पड़ेगा।
    वसंत पंचमी की शुभकामनायें! माँ सरस्वती की कृपा बनी रहे!

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  30. कुछ अनुभूतियाँ इतनी गहन होती है कि उनके लिए शब्द कम ही होते हैं !

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  31. कुछ अनुभूतियाँ इतनी गहन होती है कि उनके लिए शब्द कम ही होते हैं !

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  32. बहुत खूबसूरत रचना...
    सच कहा आपने... "पर तुम नहीं बदले..."

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  33. बहुत ही सार्थक एवं चिंतनीय प्रस्तुति !
    आभार !

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    Replies
    1. Manish ji yaha tak aane aur rachna ka maan rakhne ke liye bahut bahut shukriyan

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  34. भावों की सुंदर अभिव्यक्ति।

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  35. इतनी सत्य,सार्थक एवं चिंतनीय रचना.......आभार! ...

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  36. कभी नहीं ...
    यही कड़वा सच है , वाकई .!

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