मेरी मंजिल!!
न ये जिंदगी है ....
न ये आसमां........,
हर सुबह दौड़ता हूँ
फिर भी मंजिल की तलाश में !!!!!!!!
कोई पुकारे मुझको,
मेरे अतीत से
तो कोई सामने से
मुझको आवाज दे ,
गंतव्य है मेरा कहाँ , नहीं जानता
बस दौड़ता जाता हूँ , बेकस ,बेबस , बेसबब
मंजिल की तलाश में !!!!!!!!
मै बन गया हु,
इक रेल का डिब्बा,
है कौन सा स्टेशन , मेरा अंतिम पड़ाव
नहीं जानता,
रुकता हूँ कुछ घडी , कुछ पल
फिर अगले ही पल
आती है इक आवाज ssssssss
बदल देती है जो मेरी पहचान के मायने
मै फिर दौड़ने लगता हूँ
मंजिलो की तलाश में !!!!!!!
यहाँ है सबके अपने अपने उसूल
सबके अपने अपने दायरे
कुछ घडी तो,
साथ चले हमसफ़र बनके
फिर अगले ही स्टेशन पर
उतर पड़े अजनबी बनके,
मै फिर दौड़ने लगता हूँ
मंजिल की तलाश में !!!!!!!
अमरेन्द्र शुक्ल 'अमर'
bahut badhiya ,,sundar bhav piroe hain
ReplyDeleteहकीकत को बयाँ करती सशक्त रचना।
ReplyDeleteखूबसूरत कविता.. बहुत बढ़िया...
ReplyDeleteमेरी मंजिल!!
ReplyDeleteन ये जिंदगी है ....
न ये आसमां........,
हर सुबह दौड़ता हूँ
फिर भी मंजिल की तलाश में !!!!!!!!बहुत ही बढ़िया.....
वाह ...बहुत खूब कहा है ...
ReplyDeleteहम सब अपनी अपनी मंजिल की तलाश में ही तो भटक रहे हैं...बहुत प्रभावशाली रचना...बधाई स्वीकारें
ReplyDeleteनीरज
सच कहा ... सबको अपनी अपनी मंजिल की तलाश है ...
ReplyDeleteआज 03 - 11 2011 को आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....
ReplyDelete...आज के कुछ खास चिट्ठे ...आपकी नज़र .तेताला पर
_____________________________
अच्छा लिखा है अमरेन्द्र भाई...
ReplyDeleteसादर बधाई...
ज़िंदगी भर मंजिल कि तलाश में भटकते रहते हैं .. अच्छी प्रस्तुति
ReplyDeleteकविता अच्छी है मगर मंजिल है कहाँ ?
ReplyDeleteमंजिल की तलाश ही तो है जिंदगी का दूसरा नाम...चलते रहना बिना रुके... सुन्दर रचना
ReplyDeleteक्या बात है, बहुत सुंदर
ReplyDeleteडिब्बे इंजन द्वारा ही संचालित होते हैं...यदि परमात्मा को इंजन मान लिया जाए...तो डिब्बे को फिकर नहीं रह जाती...सफ़र का मज़ा लीजिये...मंजिलें बहुत मिलेंगी...
ReplyDeleteजीवनभर मंजिल की तलाश ही चलती है !!
ReplyDeleteयथार्थपरक कविता
ReplyDeletejindgi ki tanha sacchayi se ru-b-ru karati vicharneey post.
ReplyDeleteप्रभावशाली कविता.... बहुत सुंदर
ReplyDeletesochen pe majboor kar diya
ReplyDeletekya dhyey hai mere jeevan ka??
बहुत खूब... भावों की बहुत ख़ूबसूरत अभिव्यक्ति.. ..........बहुत ही सधे हुए शब्दों में आपने रचना को लिखा है .
ReplyDeletesudar abhivyakti aur prabhaavshaali rachna .... badhai amrendra ji
ReplyDeleteबहुत सुन्दर.. हमेशा की तरह |
ReplyDeleteप्रभावशाली कविता. बहुत सुंदर
ReplyDeleteबहुत खूब..
हरेक सफ़र को महफ़ूज मंजिल की तलाश है .....तलाश पूरी हो !
ReplyDeleteसुंदर शब्दों के साथ लिखी भाव पूर्ण रचना,बहुत सुंदर अच्छी पोस्ट ..
ReplyDeleteमेरे नए पोस्ट पर स्वागत है ....
मंजिल की तलाश ही ....नाम है जिंदगी का !!!
ReplyDeleteशुभकामनायें!
सत्यपरक अभिव्यक्ति...बहुत सुन्दर|
ReplyDeleteआपके पोस्ट पर आना बहुत ही अच्छा लगा । मेरे पोस्ट पर आपका स्वागत है । धन्यवाद ।
ReplyDeleteमेरी मंजिल!!
ReplyDeleteन ये जिंदगी है ....
न ये आसमां........,
हर सुबह दौड़ता हूँ
फिर भी मंजिल की तलाश में !!!!!!!!
प्रभावशाली कविता
ये जीवन हमारा निरंतर सफ़र है, जो मंज़िल पे पहुँचे तो मंज़िल बढा दी ...
ReplyDeleteसुन्दर शब्दों से सुसज्जित लाजवाब रचना लिखा है आपने ! बहुत सुन्दरता से सच्चाई को शब्दों में पिरोया है! शानदार प्रस्तुती!
ReplyDeleteमेरे नये पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
एक उम्र गुजर जाती है मंज़िल की तलाश में ! खूबसूरत रचना ।
ReplyDeleteयहाँ है सबके अपने अपने उसूल
ReplyDeleteसबके अपने अपने दायरे
कुछ घडी तो,
साथ चले हमसफ़र बनके
फिर अगले ही स्टेशन पर
उतर पड़े अजनबी बनके,
मै फिर दौड़ने लगता हूँ ....
वास्तव में जिंदगी इसी रूप में दौड़ती रहती है
@Ismat Jaidi ji Shukriya
ReplyDelete@Vandana Ji shukriya
@ Sada Ji thanks a lot
@Arun CHand Roy ji shukriya
@ Sushmja ji Shurkiya
@Neeraj Goswami ji shukriya
ReplyDelete@ Digambr Naswa ji shukriya
@Sangeeta Swaroop ji Shukriya
@Kuwer Kusumesh ji Shukriya
@ S M Habib Ji shukriya
aap sabhi se nivedan hai ki aise hi apna sneh banaye rakhiyega
@sangeeta Swaroopp ji shukriya,
ReplyDelete@kuwer Kusumesh Ji shukriya,
@Sandhya Sharma Ji shukriya
@Mahendra ji Shukriya
@Vanbhatt ji shukriya
aap sabhi ka sadar abhinandan
@Sangeeta Puri ji shukriya,
ReplyDelete@Anamika ki Sadaye ji ji shukriya,
@ Ana ji shukriya,
@ vanbhatt ji shukriya
@Mridula Herswerdhan ji Shukriya
@Sanjay ji shukriya,
@Utpal Mishra Ji Shukriya
aap sabhi se nivedan hai ki aise hi aaap apna sneh aur sahyog banaye rakhe.aabhar
@Amrita Tanmay Ji Shukriya
ReplyDelete@ Reena Maurya Ji Shukriya
@ Dr Sonrupa Ji bahut Bahut Shukriya
@ Dheerendra Ji Shukriya
@ Ashok Saluja Sir ji
@ RIta Shkhar Madhu Ji Shukriya
aapko tahe dil se shukriya
aabhar
@ Prem Sarover Ji Shukriya
ReplyDelete@ Sunny Ji Shukriya
@ Smart Indian Ji Shukriya
@ Babli Ji Shukriya
@ Rajnish Tiwari ji shukriya
@ Vandana Ji Shukriya
bahut achche aitarman ke bhaavon ko darshaya hai is kavita me bahut achchi
ReplyDeleteबहुत बेहतरीन अभिव्यक्ति,बधाई !
ReplyDeleteबेहतरीन ,खूबसूरत रचना सुंदर पोस्ट....
ReplyDeleteमेरे नई पोस्ट "वजूद"में आप का स्वागत है |
सत्य को उजागर करती रचना .......इस भागमभाग वाली जिन्दगी में..किसी को किसी के लिए वक़्त ही नहीं है ......
ReplyDelete@Rajesh Kumari Ji Shukriya
ReplyDelete@Human Ji Shukriya
@ Dheerendra Sahab ji
and
@ Anju Di ji
bahut bahut shukriya aap sabhi ka aise hi apna prem hamare uper banaye rakhiyega
very well done.
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर एवं भावपूर्ण रचना...
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पे आपका हार्दिक स्वागत है ..
सदस्य बन रहा हू यानि कि दोस्त ताकि आगे भी साथ बना रहे !
Very impressive and interesting! Congrats !
ReplyDeleteमेरी मंजिल!!
ReplyDeleteन ये जिंदगी है ....
न ये आसमां........,
हर सुबह दौड़ता हूँ
फिर भी मंजिल की तलाश में ... bhaut hi khubsrat rachna....