खंडहर,
मेरी यादों के
जहा बसते है मेरे,
सपने
जो अब बचे है सिर्फ
फड़फड़ाते हुए ...
जिनके पंखो में
अब नहीं है
उड़ने की शक्ति,
हो गए है
निमित्त मात्र,
फिर भी कभी -कभी
करते है,
कोशिश
आखिरी उड़ान की
शायद उन्हें याद आ जाती है
उसी बुझते हुए दीपक की
आखिरी लौ
देखकर लगन उसकी
लगता है की अगले ही पल
शायद पूरे हो जायेंगे
सब सपने मेरे
जो अब तक खंडहर में छुपे फिरते थे
वो आ जायेंगे खुल के सबके सामने,
फिर अगले ही पल
पता चलता है की
बस इतना ही तेल था
जलाने को , दीपक में
और लौ फिर बुझ गयी
फिर से वही अँधेरा
फिर से वही खंडहर
जहा मेरे सपने अब भी है
इसी आस में
की शायद कोई आये , उन्हें पूरा करने *******
जरूर सपनो को पंख मिलेंगे एक दिन्…………सुन्दर रचना।
ReplyDeleteबहुत खूब लिखा है आपने .......सच में .......
ReplyDeleteकिसी को भी यहाँ मुकम्बल ..जहान नहीं मिलता
हर किसी को उसके हिस्से का आसमान नहीं मिलता
जहाँ वो उड़ सके अपनी ख्याबों ...के आसमान पर
चल सके ...अपने हिस्से की धरती पर ...
जी सके कुछ पल अपनी ही मर्ज़ी से अपनी इस जिन्दगी में
बहुत भावपूर्ण..सुन्दर!!
ReplyDeleteWould love to always get updated great web blog ! .
ReplyDeleteFrom Indian Transport
bahut hi sundar rachana hai...
ReplyDeletewah bahut khoob ......sunder creation
ReplyDeleteफिर से वही अँधेरा
फिर से वही खंडहर
जहा मेरे सपने अब भी है
इसी आस में
की शायद कोई आये , उन्हें पूरा करने *******wah
sundar..........bhavbhini
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर भाव की रचना
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर भाव, आभार
ReplyDeleteSir, Notice that your post title contains unnecessary symbols (*****) that prevent Google spider to search your posts in search results. As per Google, Post title should shorter in length and should not contains ASCII Keys as well as symbols,Thanks.MBT
ReplyDeleteIs diye ki lo khud hi jalaani hoti hai sapne tab hi poore hote hain ....
ReplyDeleteHAMARI BHI SHUBHKAMNAYEN JARUR HOGA SAPNA PURA :)
ReplyDeletePAYARI RACHNA!
हौसलों के पर दे दीजिए सपनों को
ReplyDeleteफिर तो फलक भी छोटा पड़ जायेगा....
बहुत उम्दा और भावप्रणव भी!
ReplyDeleteअमरेन्द्र जी ..सुन्दर भाव लिए रचना ..काश ये लौ न बुझे और सपने अपने हो जाएँ ...सुन्दर
ReplyDeleteवो आ जायेंगे खुल के सब के सामने, ( सब के कर दें इसे कृपया )
जय शिव शंकर ...
शुभ कामनाएं
भ्रमर ५
सब सपने मेरे
जो अब तक खंडहर में छुपे फिरते थे
वो आ जायेंगे खुल के सबकी सामने,
फिर अगले ही पल
पता चलता है की
बस इतना ही तेल था
जलाने को , दीपक में
और लौ फिर बुझ गयी
अक्षर भी इस बार थोडा छोटे हैं अमरेन्द्र जी ........
ReplyDeleteभ्रमर ५
itna niraash hona bhi theek nahi...thodi makdi ki kahani se sabak lijiye.
ReplyDeleteacchhi prastuti.
अमरेन्द्र जी
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रस्तुति
बड़े अक्षरों का पयोग करे,...
हमेशा की तरह बहुत सुंदर अमरेन्द्र जी
ReplyDeleteआभार...
बहुत ख़ूबसूरत, बधाई.
ReplyDelete@Vandani ji
ReplyDelete@Anju Di Pranam
@Sameer ji
@Unlucky ji
@Reena Maurya ji
@Shashi Purwar ji
@Sangeeta ji
@Roshi ji
aap sabhi ka bahut bahut shukriya .......aapse vinamra nivedan hai ki aise hi apni kripadristi hamare uper banaye rahiye
@Arvind Jangid ji
ReplyDelete@दिगम्बर नासवा ji
@Mukesh Kumar Sinha ji
@S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') ji
@डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण) ji
@Surendra shukla" Bhramar"5 ji
@अनामिका की सदायें ......
@इंजी० महेश बारमाटे "माही" ji
@S.N SHUKLA ji
aap sabhi ka bahut bahut shukriya
Thanks
ReplyDeletebeautiful composition ....
ReplyDelete@Sangita ji
ReplyDelete@V.P. Singh Rajput ji
@Palash ji
aap sabhi ka bahut bahut shukriya
बहुत सुन्दर....मुझे बहुत पसंद आई आपकी कविता..
ReplyDeleteशुभकामनाएं.....अमरेन्द्र जी
.... व्यस्त होने के कारण काफी दिनों से ब्लॉगजगत को समय नहीं दे पा रहा हूँ ...!
Shukriya Sanjay ji
Deleteबहुत ख़ूबसूरत, बधाई.
ReplyDeleteSunil kumar ji bahut bahut Shukriya
Deleteaap bahut hi unda likhte hain..gehrai se bhari hui soch.
ReplyDeleteawesome post amar!
Rohit ji aapko meri post pasnad aayi mai aapka tahe dil se aabhari hu , aise hi apna sneh banaye rahiye
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