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Friday, November 25, 2011

****और लौ फिर बुझ गयी ****


खंडहर, 
मेरी यादों के
जहा बसते है मेरे,
सपने 
जो अब बचे है सिर्फ 
फड़फड़ाते  हुए ...
जिनके पंखो में 
अब नहीं  है 
उड़ने की शक्ति,
हो  गए  है 
निमित्त मात्र, 
फिर भी कभी -कभी   
करते है,
कोशिश 
आखिरी उड़ान  की 
शायद  उन्हें याद आ जाती है 
उसी बुझते हुए  दीपक की 
आखिरी लौ

देखकर लगन उसकी 
लगता है की अगले ही पल 
शायद पूरे हो जायेंगे 
सब सपने मेरे 

जो अब तक खंडहर में छुपे फिरते थे 
वो आ जायेंगे खुल के सबके सामने, 
फिर अगले ही पल 
पता चलता है की 
बस इतना ही तेल था 
जलाने को , दीपक में 
और लौ फिर बुझ गयी 

फिर से वही अँधेरा 
फिर से वही खंडहर
जहा मेरे सपने अब भी  है 
इसी आस में 
की शायद कोई आये , उन्हें पूरा करने *******

31 comments:

  1. जरूर सपनो को पंख मिलेंगे एक दिन्…………सुन्दर रचना।

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  2. बहुत खूब लिखा है आपने .......सच में .......

    किसी को भी यहाँ मुकम्बल ..जहान नहीं मिलता
    हर किसी को उसके हिस्से का आसमान नहीं मिलता
    जहाँ वो उड़ सके अपनी ख्याबों ...के आसमान पर
    चल सके ...अपने हिस्से की धरती पर ...
    जी सके कुछ पल अपनी ही मर्ज़ी से अपनी इस जिन्दगी में

    ReplyDelete
  3. बहुत भावपूर्ण..सुन्दर!!

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  4. Would love to always get updated great web blog ! .
    From Indian Transport

    ReplyDelete
  5. wah bahut khoob ......sunder creation

    फिर से वही अँधेरा
    फिर से वही खंडहर
    जहा मेरे सपने अब भी है
    इसी आस में
    की शायद कोई आये , उन्हें पूरा करने *******wah

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  6. बहुत ही सुंदर भाव की रचना

    ReplyDelete
  7. बहुत ही सुन्दर भाव, आभार

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  8. Sir, Notice that your post title contains unnecessary symbols (*****) that prevent Google spider to search your posts in search results. As per Google, Post title should shorter in length and should not contains ASCII Keys as well as symbols,Thanks.MBT

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  9. Is diye ki lo khud hi jalaani hoti hai sapne tab hi poore hote hain ....

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  10. HAMARI BHI SHUBHKAMNAYEN JARUR HOGA SAPNA PURA :)

    PAYARI RACHNA!

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  11. हौसलों के पर दे दीजिए सपनों को
    फिर तो फलक भी छोटा पड़ जायेगा....

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  12. अमरेन्द्र जी ..सुन्दर भाव लिए रचना ..काश ये लौ न बुझे और सपने अपने हो जाएँ ...सुन्दर

    वो आ जायेंगे खुल के सब के सामने, ( सब के कर दें इसे कृपया )
    जय शिव शंकर ...
    शुभ कामनाएं
    भ्रमर ५
    सब सपने मेरे
    जो अब तक खंडहर में छुपे फिरते थे
    वो आ जायेंगे खुल के सबकी सामने,
    फिर अगले ही पल
    पता चलता है की
    बस इतना ही तेल था
    जलाने को , दीपक में
    और लौ फिर बुझ गयी

    ReplyDelete
  13. अक्षर भी इस बार थोडा छोटे हैं अमरेन्द्र जी ........
    भ्रमर ५

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  14. itna niraash hona bhi theek nahi...thodi makdi ki kahani se sabak lijiye.

    acchhi prastuti.

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  15. अमरेन्द्र जी
    बहुत सुंदर प्रस्तुति
    बड़े अक्षरों का पयोग करे,...

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  16. हमेशा की तरह बहुत सुंदर अमरेन्द्र जी
    आभार...

    ReplyDelete
  17. बहुत ख़ूबसूरत, बधाई.

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  18. @Vandani ji
    @Anju Di Pranam
    @Sameer ji
    @Unlucky ji
    @Reena Maurya ji
    @Shashi Purwar ji
    @Sangeeta ji
    @Roshi ji
    aap sabhi ka bahut bahut shukriya .......aapse vinamra nivedan hai ki aise hi apni kripadristi hamare uper banaye rahiye

    ReplyDelete
  19. @Arvind Jangid ji
    @दिगम्बर नासवा ji
    @Mukesh Kumar Sinha ji
    @S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') ji
    @डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण) ji
    @Surendra shukla" Bhramar"5 ji
    @अनामिका की सदायें ......
    @इंजी० महेश बारमाटे "माही" ji
    @S.N SHUKLA ji
    aap sabhi ka bahut bahut shukriya

    ReplyDelete
  20. @Sangita ji
    @V.P. Singh Rajput ji
    @Palash ji
    aap sabhi ka bahut bahut shukriya

    ReplyDelete
  21. बहुत सुन्दर....मुझे बहुत पसंद आई आपकी कविता..
    शुभकामनाएं.....अमरेन्द्र जी
    .... व्यस्त होने के कारण काफी दिनों से ब्लॉगजगत को समय नहीं दे पा रहा हूँ ...!

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  22. बहुत ख़ूबसूरत, बधाई.

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  23. aap bahut hi unda likhte hain..gehrai se bhari hui soch.
    awesome post amar!

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  24. Rohit ji aapko meri post pasnad aayi mai aapka tahe dil se aabhari hu , aise hi apna sneh banaye rahiye

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