"इन नशीली फिजाओं से, तेरी महक क्यूँ नहीं जाती
बरसों से ये टिमटिमाती लौ,अब क्यूँ बुझ नहीं जाती "
ए सनम!
"मुझे भी दे पता, तू उन बेदर्द रातो का
जहाँ पर तुझे रहकर ,मेरी याद नहीं आती "
"मेरी जिंदगी सुलगती है ,हर पल तेरी जुस्तजू की खातिर
मुझे इक बार में ही जलाने क्यूँ नहीं आती "
"तुने मुझको भुलाया है ,या भूली है खुद को भी
शायद तुझे... मेरी या अब खुद की आवाज ही नहीं आती "
"क्यूँ अपलक निहारती हो मुझको , दरवाजे की दरारों से
पल भर के लिए ही सही, तू इन दरारों को भरने क्यूँ नहीं आती "
"मेरी जिंदगी फ़ना है ... ,फ़ना है मेरी मौत भी तुझ पर
तू इक बार में ही मुझको हराने क्यूँ नहीं आती "
सुंदर शब्दों में जज्बातों को आपने पिरोया है...खुद में ही लिप्त...प्यारी सी कविता है....बेहतरीन रचना
ReplyDeleteखूबसूरत कविता...
ReplyDeleteबेहतरीन ........बहुत खूब
ReplyDelete"क्यूँ अपलक निहारती हो मुझको , दरवाजे की दरारों से
पल भर के लिए ही सही, तू इन दरारों को भरने क्यूँ नहीं आती "
waha...
"मेरी जिंदगी सुलगती है ,हर पल तेरी जुस्तजू की खातिर
ReplyDeleteमुझे इक बार में ही जलाने क्यूँ नहीं आती "
हर लफ्ज़ में गहराई ... वाह !! क्या बात है ..
behad sanjeeda sawaal m agara har sawaal ka jawab to zindagi bhi nahi deti...
ReplyDeleteवाह वाह ………………बहुत ही सुन्दर गज़ल …………दिल की गहराइयो से निकले अशरार्।
ReplyDeleteबेहतरीन, ,बहुत खूब वाह वाह........
ReplyDeleteउम्दा लिखा है..बधाई.
ReplyDeletebahut hi acchi rachana hai...
ReplyDeletesunder sheron se saji gajal
ReplyDeletebadhai
rachana
बेहतरीन रचना......बहुत ही बढि़या ।
ReplyDelete"मेरी जिंदगी सुलगती है ,हर पल तेरी जुस्तजू की खातिर
ReplyDeleteमुझे इक बार में ही जलाने क्यूँ नहीं आती "
वाह वाह । बेहद खूबसूरत ।
सुंदर रचना !!
ReplyDeleteबेहतरीन रचना.....
ReplyDeleteए सनम!
ReplyDelete"मुझे भी दे पता, तू उन बेदर्द रातो का
जहाँ पर तुझे रहकर ,मेरी याद नहीं आती "
बेहद खूबसूरत ।
bahut khoobsurat rachna.
ReplyDeleteSanjay ji hausla afjai ke liye bahut bahut shukriya
ReplyDeleteArun Chandra Ray ji shukriya
ReplyDeleteanju(anu) choudhary di ji thanx a lot........
ReplyDeleteMonali ji shukriya , aise hi sneh banaye rahiyega
ReplyDeletevandana ji tahedil se shukriya
ReplyDeleteSunil kumar ji shukriya
ReplyDeleteAmrita Tanmay ji yaha tak aane aur rachna ka maan rakhne ke liye bahut bahut shukriya
ReplyDeleteSuman ji bahut bahut shukriya aise hi apna pyar aur ashish banaye rakhiyega
ReplyDeleteReena Maurya ji yaha tak aane ke liye ayr rachna ka maan rakhne ke liye shukriya
ReplyDeleteप्रिय अमरेन्द्र शुक्ल अमर जी बहुत शानदार और जानदार रचना ....प्रेम की विरह की व्यथा कथा ..आ जाओ प्रियतम प्यारे ...अब और ना जलाओ ये बेचारा दिल ही तो है ..दिवाली की हार्दिक शुभ कामनाएं
ReplyDeleteभ्रमर ५
"क्यूँ अपलक निहारती हो मुझको , दरवाजे की दरारों से
पल भर के लिए ही सही, तू इन दरारों को भरने क्यूँ नहीं आती "
बेहतरीन रचना......बहुत ही बढि़या ।
ReplyDeleteWould love to always get updated great web blog ! .
ReplyDeleteSome people are too smart to be confined to the classroom walls! Here's a look at other famous school/college dropouts.
Check out here for Smart People
judai ka athah dard aur prem peeda chhipi hai is abhivyakti me jo man ki zameen ko nam kar jati hai.
ReplyDeleteWaah.. bahut gahre bhav ukere hain aapne..
ReplyDeleteBadhai..
"मेरी जिंदगी सुलगती है ,हर पल तेरी जुस्तजू की खातिर
ReplyDeleteमुझे इक बार में ही जलाने क्यूँ नहीं आती "
"तुने मुझको भुलाया है ,या भूली है खुद को भी
शायद तुझे... मेरी या अब खुद की आवाज ही नहीं आती "
बहुत सुन्दर पंक्तियाँ ! गहरे भाव और अभिव्यक्ति के साथ लाजवाब रचना लिखा है आपने !
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteमेरी जिंदगी फ़ना है ... ,फ़ना है मेरी मौत भी तुझ पर
ReplyDeleteतू इक बार में ही मुझको हराने क्यूँ नहीं आती "बहुत ही खुबसूरत....
RAchna ji shukriya
ReplyDeleteAna ji bahut bahut shukriya rachna ka maan rakhne ke liye
ReplyDeleteAsha Joglekar ji shukriya
ReplyDeleteIsmat Jaidi Sahab aapka aana yaha bahut hi accha laga .aabhar
ReplyDeleteDr. Monika Sharma ji aap aise hi apna sneh banaye rakhe ......aabhar
ReplyDeleteNisha Maheswari ji shukriya
ReplyDeleteAdraniya Rajesh Kumari ji bahut bahut aabhar hamara maan rakhne ke liye
ReplyDeleteSurendra shukla" Bhramar"5 ji shukriya
ReplyDeleteRavindra Prabtat ji shukriya
ReplyDeleteUnlucku ji shukriya
ReplyDeleteAnamika ki Sadaye...........bahut bahut shukriya
ReplyDeleteAnil Avtar ji shukriya
ReplyDeleteBabli ji shukriya
ReplyDeletesundar rachna
ReplyDeleteKanu ji shukriya
ReplyDeleteमेरे पोस्ट में आने हौसला बढाने का सुक्रिया,धन्यबाद
ReplyDeleteThis comment has been removed by a blog administrator.
ReplyDeleteबहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति।
ReplyDeleteसुन्दर सृजन , प्रस्तुति के लिए बधाई स्वीकारें.
ReplyDeleteसमय- समय पर मिले आपके स्नेह, शुभकामनाओं तथा समर्थन का आभारी हूँ.
प्रकाश पर्व( दीपावली ) की आप तथा आप के परिजनों को मंगल कामनाएं.
लाजवाब ... ग्रेट ... मज़ा आ गया ..
ReplyDeleteलाज़वाब अभिव्यक्ति..दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं!
ReplyDeleteबेटी बचाओ - दीवाली मनाओ.
ReplyDeleteदीपावली की हार्दिक शुभकामनायें.
बहुत सुन्दर...दीपावली की ढेरों शुभकामनाएं.
ReplyDeletedheerendra11 ji bahut bahut shukriya
ReplyDeleteDewendra Pandey ji bahut bahut shukriya rachna ka maan rakhne ke liye
ReplyDeleteManoj Kumar ji , S N Shukla Ji , Digamber Naswa ji , Babli ji aap sabhi ka bahut bahut shukriya
ReplyDeleteBabli ji, Kailash C Sharma ji, Sapna Nigam ji , Kunwar Kusumesh ji bahut bahut shukriya.........
ReplyDeletebahaut hi khobsurat yaad , pyara sa ehsas , shabdo ka sunder prayog ............ dil se jode man ke tar , mahak se hai nata ...........ki shabd gum ho rahe bar -bar ............. sunder kavita ki sunder prastuti . badhai ho aapko
ReplyDeletesapne-shashi.blogspot.com
Shashi Purwar ji bahutbahut shukriya
ReplyDeleteमेरे मुख्य ब्लॉग काव्यांजली में नए पोस्ट पर स्वागत है ...
ReplyDeleteDheerendra ji shukriya yaha tak aane ke liye .mai jarur aaunga ............wada raha
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत उम्दा ग़ज़ल!
ReplyDeletebahut jabardast lekhan hai aapka....jo padhe vo doob ke ubhar na paye...
ReplyDeletebahut dard samaite hai ye gazel.khuda aapko sukoon bakhshe.