ओ मेरे कान्हा !
अब समय आ गया है
तुम्हारे वापस आ जाने का
और मुझे पता है
तुम आ भी जाओ, शायद
पर क्या तुम
इस सांझ की बेला में
वो महक ला सकोगे
जो तुम्हारे जाने से पहले थी
क्या तुम वो बीते पल ला सकोगे
जो मैंने बगैर तुम्हारे तनहा sगुजारे
मेरे उन आंसुओ का हिसाब दे सकोगे
जो दिन रत अनवरत बहते ही रहे
तुम किस किस बात का हिसाब दोगे
और मैं तुमसे हिसाब मांगू ही क्यूँ
क्या अधिकार रहा मेरा तुम पर
तुम जाते वक्त सब, हा सब,
साथ ही तो ले गए अपने
और जानते हो कान्हा
एक बार कोई अपना, पराया हो जाए, तो,
फिर वो अपना नहीं रहता
और ये बात तुमसे अच्छा कौन समझ सकता है
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अब आ ही गए हो तो
कोई बात नहीं
में तुम्हे कुछ न कहूँगी
पर अब अपना भी न कहूँगी
क्या पता, किस पल
तुम फिर से वापस चल दो
में नहीं सह पाऊँगी
इस बार तुमसे जुदाई का गम
नहीं बहा पाऊँगी विरह के आंसुओ को अपने संग
इस बार में खुद ही, बिखर जाउंगी
बन के अश्रुधारा में खुद ही बह जाउंगी
आये हो तो, जरूर कोई बात होगी,
यूँ ही नहीं तुम्हारी, मुझसे मुलाकात होगी
पर इतना सुन लो कान्हा
छल न करना इस बार,
में नहीं चाहती
तुम्हे श्राप देना
डरती हूँ कही आह न लग जाये
मेरी तड़प में कही तू भी न तड़प जाये
बड़ा दुखदायी है ये तड़प का मौसम
वैसे भी तुम्हे क्या पता
तुम तो कभी तड़पे ही नहीं
जाओ वापस चले जाओ
ओ कान्हा
आखिरी बार कहती हूँ
“ओ मेरे कान्हा”
अमर====
गया ही नहीं ..... मन से जब देखा जाये मैं हूँ . शिकायत न हो तो मनुहार रह जायेगा
ReplyDeleteकिसी के बिन बताए जाने का दर्द और उसकी पीड़ा क्या होती है ...ये शब्दों के माध्यम से बहुत अच्छी तरह से समझा दिया है ||
ReplyDeleteकोमल भावो की अभिवयक्ति......
ReplyDeleteबिना बोले जाने पर अभिमान तो होगा ही .अभिमान का स्वर अच्छा लगा
ReplyDeletenew postक्षणिकाएँ
कोमल भाव की सुन्दर अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteक्या तुम वो बीते पल ला सकोगे
ReplyDeleteजो मैंने बगैर तुम्हारे तनहा sगुजारे
मेरे उन आंसुओ का हिसाब दे सकोगे
जो दिन रत अनवरत बहते ही रहे-------bhawuk anubhuti sunder rachna
badhai
बहुत ही सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति ...
ReplyDeleteआप भी पधारें
ये रिश्ते ...
अब आ ही गए हो तो
ReplyDeleteकोई बात नहीं
में तुम्हे कुछ न कहूँगी
पर अब अपना भी न कहूँगी
क्या पता, किस पल
तुम फिर से वापस चल दो
BEAUTIFUL LINES WITH DEEP EMOTIONS
बेहतरीन भावपूर्ण सुंदर रचना,,,,
ReplyDeleteRecent Post: कुछ तरस खाइये
komal rachna...behtareen abhivyakti
ReplyDeleteसुन्दर अभिवव्क्ति
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर रचना..
ReplyDeleteकिसी का छल बड़ा तकलीफ देता है. अच्छा है नाता तोड़ लो. पर टूटता कहाँ... वरना इतनी शिकायत... गैरों से तो नहीं... बहुत अच्छी रचना, बधाई.
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