अभी कल ही तो खरीदी है हमने
दो-चार पल की खुशियाँ
कुछ हसी
कुछ गम
और साथ में----------थोड़े से आँसू,!!
कुछ गम
और साथ में----------थोड़े से आँसू,!!
देखते है कितने दिन चलती है
पर हा,
अब मैं किसी से कुछ साझा नहीं करता
तुम भी मुझसे कुछ सांझा करने को मत कहना
अब मैं इस मामले में थोडा स्वार्थी हो गया हूँ !!
इस महंगाई के ज़माने में
अब क्या क्या साझा करू
वैसे भी कुछ बचा के नहीं रखा
तुमसे -------
और जो रखा है उसमे अब----तुम तो नहीं ही हो !!
न जाने आगे समय रहे न रहे
न जाने आगे मैं इन्हें फिर से खरीद भी पाऊं या नहीं ,
न जाने आगे मैं इन्हें फिर से खरीद भी पाऊं या नहीं ,
या बस दूर से ही मन मसोस कर रहना पड़े
इसलिए,
मैं इन्हें जी भर के अकेले ही
भोगना चाहता हूँ
वैसे भी दूर से आती इनकी महक
और खुद से ही टकराकर लौटती इनकी प्रतिध्वनि
मुझे पागल सा कर देती है !!
मुझे पागल सा कर देती है !!
हा कभी तुम भी चाहो
-----------कुछ ऐसा ही
तो बस किसी से बेइंतेहा मोहब्बत कर लेना !!
अमर =====
हा कभी तुम भी चाहो ---- कुछ ऐसा ही
ReplyDeleteतो बस किसी से बेइंतेहा मोहब्बत कर लेना !!
बहुत शानदार उम्दा प्रस्तुति,,,
recent post: बसंती रंग छा गया
...कितनी गहराई है इस रचना के हर शब्द में...अति उत्तम!
ReplyDeleteहा कभी तुम भी चाहो
ReplyDelete-----------कुछ ऐसा ही
तो बस किसी से बेइंतेहा मोहब्बत कर लेना !!
अनुपम भाव संयोजन ....बेहतरीन गहन भाव अभिव्यक्ति ....
बेइंतेहा मुहब्बत ज़िन्दगी में सिर्फ एक बात एक ही इंसान से कर सकते हैं | उसके बाद तो बस समझौते ही होते हैं | सुन्दर रचना | बधाई
ReplyDeleteTamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
अद्भुत प्रेम को दर्शाती रचना बहुत ही सुन्दर एक मोहक प्रेम की तरह
ReplyDeleteमेरी नई रचना
एक स्वतंत्र स्त्री बनने मैं इतनी देर क्यूँ
behad shandaar prastuti..
ReplyDeleteआपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि कि चर्चा कल मंगल वार 19/2/13 को राजेश कुमारी द्वारा चर्चा मंच पर की जायेगी आपका हार्दिक स्वागत है
ReplyDeleteसम्पूर्ण अभिव्यक्ति ..
ReplyDeleteसुंदर भाव .... पर यह सब खरीदी कहाँ से ?????
ReplyDeleteक्या खूब कहा आपने वहा वहा क्या शब्द दिए है आपकी उम्दा प्रस्तुती
ReplyDeleteमेरी नई रचना
प्रेमविरह
एक स्वतंत्र स्त्री बनने मैं इतनी देर क्यूँ
yaden bahut hi khubsurat hoti hai,rulati hai kabhi, kabhi hansati hain
ReplyDeleteगुज़ारिश : !!..'बचपन सुरक्षा' एवं 'नारी उत्थान' ..!!
काल सबसे कर वसूल रहा है..अधिक नहीं स्थिर रहेंगीं।
ReplyDeleteदेखते है कितने दिन चलती है
ReplyDeleteपर हा,
अब मैं किसी से कुछ साझा नहीं करता
तुम भी मुझसे कुछ सांझा करने को मत कहना
अब मैं इस मामले में थोडा स्वार्थी हो गया हूँ !!
याद रखें ,बेइंतहा महोब्बत चाहे कितनी भी हो पर समझोते करने ही होतें हैं ,जिनके बिना जीना संभव नहीं.
अछि प्रस्तुति
sadhoo sadhoo
ReplyDeleteउम्दा प्रस्तुति...
ReplyDeleteमुहबत का नशा बोलता है सर चढके ...
ReplyDeleteउमदा भाव ...
बहुत खूब ...एक प्यार ऐसा भी
ReplyDelete