“मीलों लम्बे सफ़र
मीलो लम्बे कारवां,
तलाशते जिंदगी
अनाड़ियों की तरह”
“पंखो की थकान
मन का भटकाव,
एक अंतहीन सफ़र
पानी के बुलबुलों की
तरह”
“तेज बहती धारा
मंद –मंद बहती हवा,
सोते हुए लोग
भागते तेज बदलो की
तरह”
“पैगाम एक दुसरे का
एक-दुसरे की जुबान
पर,
अस्थिर जीवन फीकी
रौशनी
यहाँ सब कुछ एक
तिलिस्म की तरह”
अमर ====
बेहतरीन.....
ReplyDeleteबहुत अच्छी रचना.
अनु
बहुत बेहतरीन,,,लाजबाब अभिव्यक्ति,
ReplyDeleterecent post: मातृभूमि,
अगला पल क्या, यह न जाना,
ReplyDeleteसब लगता रहस्य, अद्भुत सा
बहुत अच्छी रचना!
ReplyDeleteNew post कुछ पता नहीं !!! (द्वितीय भाग )
New post: कुछ पता नहीं !!!
सच ..जिंदगी में अनिश्चित ता का ही नाम है ...
ReplyDeleteबहुत बढ़िया ..
..कृपया बदलो के जगह
.. बादलों ... लिख लें
सब रहस्यमय सा ...
ReplyDeleteसब रहस्य ही रहस्य है ...इस जिंदगी का कोई ठोर-ठिकाना नहीं है
ReplyDeleteआपकी हर रचना की तरह यह रचना भी बेमिसाल है !
ReplyDeleteAdbhut Rachna..
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