मेरी साँसों के स्पंदन
तेज होने लगे है,
जब से,
चिर-परिचित कदमो की
आहट सुनाई दी है
वो आयेंगे न,
या, ये मेरे मन की मृग-मरीचिका है,
मेरे कानो ने, सुनी है जो आहट
कही वो दूर से किसी का झूठा आश्वाशन तो नहीं
कही मेरी प्रतीक्षा
मेरा विश्वास
सब निराधार तो नहीं,.........
नहीं उन्हें आना ही होगा
उन्हें मजबूर होना ही पड़ेगा
कृष्णा भी तो आये थे
मथुरा से वृन्दावन
अपनी गोपियों से मिलने
मै भी तो उनकी रुक्मणी हूँ..........
मुझे उनके साथ ही रहना है
वो आयेंगे जरुर आयेंगे,
मेरा विश्वास,
मेरी आराधना,
यूँ ही व्यर्थ नहीं जाने देंगे वो,
उन्हें भी अहसास होगा
मेरे विरह की पीड़ा का,
मेरे करुण क्रंदन का,
कुछ तो मोल होगा
उनकी निगाहों में,
मेरे आंसुओ का...
उनके बहने से पहले
वो मेरी बाँहों में होंगे
मै उनकी पनाहों में.....
मेरी साँसों के स्पंदन
तेज होने लगे है,
जब से,
चिर-परिचित कदमो की
आहट सुनाई दी है,
====अमर=====
शुभकामनाएं |
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति ||
Shukriya Sir ji
Deleteसुंदर भाव ...इतना विश्वास है तो आना ही पड़ेगा ।
ReplyDeleteबहुत खूब ......
ReplyDeleteshukriya Nivedita ji
Deleteक्या सच में कृष्ण मथुरा जाने के बाद वापस आ पाए थे वृन्दावन ... ?
ReplyDeleteपर अगर प्रेम में शक्ति हो तो कुछ भी हो सकता है ..
Shukriya Naswa ji
Deleteबहुत सुन्दर भाव रचे बसे हैं कविता में....
ReplyDeleteबहुत अच्छी रचना
अनु
Shukriya Anu ji
Deleteअनुपम भाव...सुन्दर रचना..
ReplyDelete.खूबसूरत अभिव्यक्ति.....
ReplyDeleteमेरी साँसों के स्पंदन
तेज होने लगे है,
जब से,
चिर-परिचित कदमो की
आहट सुनाई दी है,
Ramakant ji shukriya
Deleteaahat vo bhi chirparichit ...bahut accha....
ReplyDeleteShukriya Dr. Nisha ji
Deletevirah vedanaa main doobi bahut hi sunder prastuti badhaai aapko.
ReplyDeleteShukriya Prerna ji
Deleteआपकी पोस्ट कल 21/6/2012 के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
ReplyDeleteकृपया पधारें
चर्चा - 917 :चर्चाकार-दिलबाग विर्क
SHukriya dilbagh ji
Deleteसाँसों का स्पन्दन अपना संचार ढूढ़ लेता है, हवा ही हवा में..
ReplyDeleteShukriya Praveen ji
Deleteमेरी साँसों के स्पंदन
ReplyDeleteतेज होने लगे है,
जब से,
चिर-परिचित कदमो की
आहट सुनाई दी है,
मन के भावों का सुंदर संम्प्रेषण,,,,
MY RECENT POST:...काव्यान्जलि ...: यह स्वर्ण पंछी था कभी...
सुंदर अभिव्यक्ति ...!
ReplyDeleteShukriya Anupama ji
Deleteवाह ...क्या बात हैं ...इंतज़ार ऐसा भी होगा ......सोचा ना था ...बहुत खूब
ReplyDeleteShukriya di
Deleteसचमुच चिर-परिचित कदमो की आहट साँसों के स्पंदन को तीव्र कर ही देती है... सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteShukriya Sandhya ji
Deletebahut khoob!
ReplyDeleteShukriya Devendra ji yaha tak aane aur rachnaka maan badhane ke liye
Deletepyar hoga to jaroor aayenge vo.....pyar me bahut takat hoti hai bas vishwas dagmagana nahi chaahiye.
ReplyDeletesunder prastuti.
मन के गहरे और सुंदर भाव.....
ReplyDeleteबहुत ही प्यारा सा अहसास है..
ReplyDeleteकोमल भावो से सजी सुन्दर रचना...
Shukriya Suman ji
ReplyDeletewah!khubsoorat ehsas
ReplyDeleteमेरे विरह की पीड़ा का,
ReplyDeleteमेरे करुण क्रंदन का,
कुछ तो मोल होगा
उनकी निगाहों में,
आपकी उम्मीद पूरी हो ....
ऐसी मैं उम्मीद कर रही हूँ .....
प्रेम और विश्वास से परिपूर्ण भाव, सुन्दर रचना.
ReplyDeleteमेरी साँसों के स्पंदन
ReplyDeleteतेज होने लगे है,
जब से,
चिर-परिचित कदमो की
आहट सुनाई दी है,
prem ki sunder abhivyakti
rachana