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Saturday, March 24, 2012

सच्चा प्रेम ?



आज वो बात कहाँ, वो लोग कहाँ
उनसे हुई वो, पहली मुलाकात कहाँ ?

बचे है तो सिर्फ, कागज पे लिखे बोल प्यार के ,
प्यार करने वाले, वो लोग अब बचे है कहाँ ?

ये नसीब की बात नहीं, ये अमावस की रात नहीं
ये तो इक खामोशी है , इसको सुनने वाले अब मिलेंगे कहाँ ?

वो लरजते हांथो से लिखे महकते ख़त कहाँ
बचे है अब प्यार की बारिश में खिलने वाले वो फूल भी कहाँ ?

रिसते जख्मो से बहे लहू का अब रंग लाल है कहाँ
मिले थे जिस प्रेम से कन्हैया अपने सुदामा से, वो प्रेम भी अब बचा है कहाँ ?
'अमर' 

50 comments:

  1. रिश्ते जख्मो से बहे लहू का अब रंग लाल है कहाँ
    मिले थे जिस प्रेम से कन्हैया अपने सुदामा से, वो प्रेम भी अब बचा है कहाँ ?

    सच कह दिया ।

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  2. रिश्ते जख्मो से बहे लहू का अब रंग लाल है कहाँ
    मिले थे जिस प्रेम से कन्हैया अपने सुदामा से, वो प्रेम भी अब बचा है कहाँ ?
    बहुत ही अनुपम भाव लिए उत्‍कृष्‍ट प्रस्‍तुति ।

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  3. तभी तो अम्मा कहती थी खून सफ़ेद हो गया है .खून पानी हो गया है .

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  4. is jamaane me sachcha pyaar kahan sach kaha hai samay parivartan ke saath dil aur bhaavnayen bhi parivartit ho gai hain.bahut achche bhaav hain rachna me.

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  5. प्रेम भी अब बचा है कहाँ ?उत्‍कृष्‍ट प्रस्‍तुति ।

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  6. प्यार ! अब न शर्मीली आँखें और न वह गंभीर पुरुषत्व - अब तो दौड़ है और जीतना है . प्यार .... एहसासों की अब कीमत कहाँ

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  7. bahut hi sundarevam saarthak bhav sanjoye hain aapne sach hai ab pyar pyar nahi mahaz ek chalan bankar rhgayaa hai fir chahe wo dont ke bich ka pyar ho ya fir pyar ka koi aur roop....wo kahte hai na kasme vaade pyar vafaa sab baaten hain baaton ka kya .....yahi yatharth hai aaj ka sundar bhavpoorn rachna

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  8. दिल की गहराई अब कहाँ है?...बस रह गई है तो...यादें!

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  9. वो लरजते हांथो से लिखे महकते ख़त कहाँ
    बचे है अब प्यार की बारिश में खिलने वाले वो फूल भी कहाँ ?

    haan bahut kathin hai , ab ye sab mil pana...:)
    par soch to rahegi hi, kyonki pyar to hai.. ab bhi:)

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  10. कन्हैया तो सुख सागर है, उसमें जो डूबा, तर गये।

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  11. वक्त के साथ साथ बहुत कुछ बदलता है , प्यार करने के अंदाज , निभाने के तरीके भी इस शाश्वत सत्य से बच नही पाये..........

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  12. सच है............बनावट की दुनिया में अब सच्चा कुछ बचा कहाँ...

    बहुत सुन्दर...

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  13. बहुत सुन्दर प्रस्‍तुति...

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  14. बदलते दौर में सब कुछ बदल रहा है...लोग भी.. .उन लोगो से जुड़े रिश्ते भी....उनकी भावनाए भी....
    बहुत बढ़िया लेखन....

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  15. बचे है तो सिर्फ, कागज पे लिखे बोल प्यार के ,
    प्यार करने वाले, वो लोग अब बचे है कहाँ ?

    ....बहुत सच कहा है...सटीक और सुंदर प्रस्तुति..

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  16. वो लरजते हांथो से लिखे महकते ख़त कहाँ
    बचे है अब प्यार की बारिश में खिलने वाले वो फूल भी कहाँ ? very.....very ...touching...amrendra jee.

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  17. रिश्ते जख्मो से बहे लहू का अब रंग लाल है कहाँ
    मिले थे जिस प्रेम से कन्हैया अपने सुदामा से, वो प्रेम भी अब बचा है कहाँ ?

    बिल्कुल सच को उकेरा है , अब ऐसा ही रह गया है - भावपूर्ण कविता के लिए आभार !

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  18. वो लरजते हांथो से लिखे महकते ख़त कहाँ
    बचे है अब प्यार की बारिश में खिलने वाले वो फूल भी कहाँ ...

    सच कहा अब वो बातें नहीं रह गयी हैं .. सब कुछ बदल रहा है ... भावपूर्ण रचना है ...

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  19. रिश्ते जख्मो से बहे लहू का अब रंग लाल है कहाँ...
    अच्छी रचना... रिश्ते या रिसते?

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  20. वो लरजते हांथो से लिखे महकते ख़त कहाँ
    बचे है अब प्यार की बारिश में खिलने वाले वो फूल भी कहाँ ..

    अच्छी प्रस्तुति ...

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  21. bahut hi khubsurat rachna h ab pahle wali kuch bhi baat nahi rahi......

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  22. न रहे वो यार ,न रहा वो सच्चा प्यार !
    सछ कहा आपने ....
    शुभकामनाएँ!

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  23. मिले थे जिस प्रेम से कन्हैया अपने सुदामा से, वो प्रेम भी अब बचा है कहाँ ?-
    sateek likha hai aapne .badhai

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  24. भावना में हम तो केवल झूमते रह जायेंगे
    और सच्चे प्यार को बस-ढूँढते रह जायेंगे.

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  25. बहुत ही बढि़या प्रस्‍तुति.

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  26. आज आपके ब्लॉग पर बहुत दिनों बाद आना हुआ अल्प कालीन व्यस्तता के चलते मैं चाह कर भी आपकी रचनाएँ नहीं पढ़ पाया....बहुत बेहतरीन प्रस्‍तुति...!

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  27. वाह ! ! ! ! ! बहुत खूब सुंदर रचना,बेहतरीन प्रस्तुति,....

    MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: तुम्हारा चेहरा,

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  28. प्रेम का इजहार सुंदर रचना के रूप में.

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  29. सच कहा अब वो सच्चा प्यार कहाँ,
    केवल किताबों में सिमट कर रह गया।
    या यादों में लिपट कर रह गया।

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  30. sundar bhavpoorn prastuti.
    mahaveer jyanti ki hsaardik shubhkamanayen.

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  31. इसीलिए तो प्यार का कोई मोल नहीं है...जो मिल जाए अनायास तो कद्र नहीं...समय बदल जाए तब इसका मोल पता चलता है...फिर लगता है...प्रेम अब बचा है कहाँ...

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