सच्चा प्रेम ?
आज वो बात कहाँ, वो लोग कहाँ
उनसे हुई वो, पहली मुलाकात कहाँ ?
बचे है तो सिर्फ, कागज पे लिखे बोल प्यार के ,
प्यार करने वाले, वो लोग अब बचे है कहाँ ?
ये नसीब की बात नहीं, ये अमावस की रात नहीं
ये तो इक खामोशी है , इसको सुनने वाले अब मिलेंगे कहाँ ?
वो लरजते हांथो से लिखे महकते ख़त कहाँ
बचे है अब प्यार की बारिश में खिलने वाले वो फूल भी कहाँ ?
रिसते जख्मो से बहे लहू का अब रंग लाल है कहाँ
मिले थे जिस प्रेम से कन्हैया अपने सुदामा से, वो प्रेम भी अब बचा है कहाँ ?
'अमर'
रिश्ते जख्मो से बहे लहू का अब रंग लाल है कहाँ
ReplyDeleteमिले थे जिस प्रेम से कन्हैया अपने सुदामा से, वो प्रेम भी अब बचा है कहाँ ?
सच कह दिया ।
Shukriya Vandana Ji
Deleteरिश्ते जख्मो से बहे लहू का अब रंग लाल है कहाँ
ReplyDeleteमिले थे जिस प्रेम से कन्हैया अपने सुदामा से, वो प्रेम भी अब बचा है कहाँ ?
बहुत ही अनुपम भाव लिए उत्कृष्ट प्रस्तुति ।
Shukriya Sda ji
Deleteतभी तो अम्मा कहती थी खून सफ़ेद हो गया है .खून पानी हो गया है .
ReplyDeleteJi Veerubhai ji bilkul sahi kaha aapne .sadar
Deleteis jamaane me sachcha pyaar kahan sach kaha hai samay parivartan ke saath dil aur bhaavnayen bhi parivartit ho gai hain.bahut achche bhaav hain rachna me.
ReplyDeleteShukriya Rajesh Kumari ji
Deleteप्रेम भी अब बचा है कहाँ ?उत्कृष्ट प्रस्तुति ।
ReplyDeleteSangita ji shukriya
Deleteप्यार ! अब न शर्मीली आँखें और न वह गंभीर पुरुषत्व - अब तो दौड़ है और जीतना है . प्यार .... एहसासों की अब कीमत कहाँ
ReplyDeleteAdarniya Rasmi ji bahut bahut shukriya
Deletebahut hi sundarevam saarthak bhav sanjoye hain aapne sach hai ab pyar pyar nahi mahaz ek chalan bankar rhgayaa hai fir chahe wo dont ke bich ka pyar ho ya fir pyar ka koi aur roop....wo kahte hai na kasme vaade pyar vafaa sab baaten hain baaton ka kya .....yahi yatharth hai aaj ka sundar bhavpoorn rachna
ReplyDeletesach kaha aapne pallavi ji .shukriya
Deleteबधाई भाई |
ReplyDeleteShukriya Sir ji
Deleteदिल की गहराई अब कहाँ है?...बस रह गई है तो...यादें!
ReplyDeleteShukriya Dr. Aruna ji
Deleteवो लरजते हांथो से लिखे महकते ख़त कहाँ
ReplyDeleteबचे है अब प्यार की बारिश में खिलने वाले वो फूल भी कहाँ ?
haan bahut kathin hai , ab ye sab mil pana...:)
par soch to rahegi hi, kyonki pyar to hai.. ab bhi:)
mukesh kumar ji shukriya
Deleteकन्हैया तो सुख सागर है, उसमें जो डूबा, तर गये।
ReplyDeletesach kaha praveen ji
Deleteवक्त के साथ साथ बहुत कुछ बदलता है , प्यार करने के अंदाज , निभाने के तरीके भी इस शाश्वत सत्य से बच नही पाये..........
ReplyDeleteShukriya Plash ji
Deleteसच है............बनावट की दुनिया में अब सच्चा कुछ बचा कहाँ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर...
Shukriya ji
Deleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति...
ReplyDeleteबदलते दौर में सब कुछ बदल रहा है...लोग भी.. .उन लोगो से जुड़े रिश्ते भी....उनकी भावनाए भी....
ReplyDeleteबहुत बढ़िया लेखन....
बचे है तो सिर्फ, कागज पे लिखे बोल प्यार के ,
ReplyDeleteप्यार करने वाले, वो लोग अब बचे है कहाँ ?
....बहुत सच कहा है...सटीक और सुंदर प्रस्तुति..
वो लरजते हांथो से लिखे महकते ख़त कहाँ
ReplyDeleteबचे है अब प्यार की बारिश में खिलने वाले वो फूल भी कहाँ ? very.....very ...touching...amrendra jee.
रिश्ते जख्मो से बहे लहू का अब रंग लाल है कहाँ
ReplyDeleteमिले थे जिस प्रेम से कन्हैया अपने सुदामा से, वो प्रेम भी अब बचा है कहाँ ?
बिल्कुल सच को उकेरा है , अब ऐसा ही रह गया है - भावपूर्ण कविता के लिए आभार !
वो लरजते हांथो से लिखे महकते ख़त कहाँ
ReplyDeleteबचे है अब प्यार की बारिश में खिलने वाले वो फूल भी कहाँ ...
सच कहा अब वो बातें नहीं रह गयी हैं .. सब कुछ बदल रहा है ... भावपूर्ण रचना है ...
रिश्ते जख्मो से बहे लहू का अब रंग लाल है कहाँ...
ReplyDeleteअच्छी रचना... रिश्ते या रिसते?
वो लरजते हांथो से लिखे महकते ख़त कहाँ
ReplyDeleteबचे है अब प्यार की बारिश में खिलने वाले वो फूल भी कहाँ ..
अच्छी प्रस्तुति ...
bahut hi khubsurat rachna h ab pahle wali kuch bhi baat nahi rahi......
ReplyDeleteन रहे वो यार ,न रहा वो सच्चा प्यार !
ReplyDeleteसछ कहा आपने ....
शुभकामनाएँ!
मिले थे जिस प्रेम से कन्हैया अपने सुदामा से, वो प्रेम भी अब बचा है कहाँ ?-
ReplyDeletesateek likha hai aapne .badhai
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ReplyDeleteभावना में हम तो केवल झूमते रह जायेंगे
ReplyDeleteऔर सच्चे प्यार को बस-ढूँढते रह जायेंगे.
बहुत ही बढि़या प्रस्तुति.
ReplyDeleteआज आपके ब्लॉग पर बहुत दिनों बाद आना हुआ अल्प कालीन व्यस्तता के चलते मैं चाह कर भी आपकी रचनाएँ नहीं पढ़ पाया....बहुत बेहतरीन प्रस्तुति...!
ReplyDeleteवाह ! ! ! ! ! बहुत खूब सुंदर रचना,बेहतरीन प्रस्तुति,....
ReplyDeleteMY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: तुम्हारा चेहरा,
Shukriya Dheerendra ji
Deleteप्रेम का इजहार सुंदर रचना के रूप में.
ReplyDeleteसच कहा अब वो सच्चा प्यार कहाँ,
ReplyDeleteकेवल किताबों में सिमट कर रह गया।
या यादों में लिपट कर रह गया।
Shukriya Dinesh ji
Deletesundar bhavpoorn prastuti.
ReplyDeletemahaveer jyanti ki hsaardik shubhkamanayen.
shukriya Ranjana ji
ReplyDeleteइसीलिए तो प्यार का कोई मोल नहीं है...जो मिल जाए अनायास तो कद्र नहीं...समय बदल जाए तब इसका मोल पता चलता है...फिर लगता है...प्रेम अब बचा है कहाँ...
ReplyDeletebahut khoob
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