ये दिन रात के अनवरत पल
उसमे जलता ये
मेरा मन
जो खोजता है, अपने लिए
इन न रुकने वाले अनवरत पलों में
कुछ रुके हुए पल
सहकर ढेरो यातनाये
मैंने ही तुम्हे उपमान से उपमेय बनाया
देवता तो तुम कबके थे मेरे लिए
अब मैंने तुम्हे अपना बनाया
फिर भी तुम लेते रहे हर पल
परीक्षाये मेरी ,
अपने मन की ज्वाला को
शांत करने के लिए
मुझे ही तपाया अग्नि में,
बार- बार, कई- बार
मै भी क्या करती
देती रही अग्नि परीक्षा बार-बार, कई-बार
फिर भी मै सीता न बनी
और तुम राम न बने ,
कहाँ पे,
क्यों और क्या दोष था मेरा
कभी तुमसे बताया न गया
और हममे पूछने का साहस न हुआ
हर जन्म बस यही सिलसिला चलता रहा
तुम राम न बने
और मै सीता न बन सकी
बस ऐसे ही वक्त बीतता रहा
और मै तलाशती रही,
उसी रुके हुए पल को
जो सिर्फ मेरे लिए हो
पर इन न रुकने वाले पलों में
मेरे लिए वक्त किसके पास था
न ये वक्त ही रुका
और न तुम ही रुके
चलता रहा वक्त
और जलती रही मै
कभी सूरज बन
तो कभी चाँद बन,
रौशनी तो सबने दी मुझे
कभी जुगनू
तो कभी आग बन
फिर भी मै सीता न बनी
वो राम न बना
न मुझको ही था पता
न तुम्हे ही था यकीं
कहा से हम चले
कहा पे हमकों जाना है
अगर था तो सिर्फ इतना पता
इन अनवरत पलो में
कुछ पल के लिए
हमे इक दुसरे के लिए
ठहर जाना है
बस कभी वक्त न मिला
कभी हम न मिले
ये दिन रात के अनवरत पल
उसमे जलता ये
मेरा मन
'अमर'
बस कभी वक्त न मिला
ReplyDeleteकभी हम न मिले
bahut badhiya lagi aapki yah rachna sachai ke bahut kareeb
Ranjana Singh ji ji Rachna pasand kerne ke liye bahut bahut shukriyan
Deletewah! bahut khoob....ek ek line dil par asar karti hai
ReplyDeleteRewa ji shukriyan ....
Deleteहर जन्म बस यही सिलसिला चलता रहा
ReplyDeleteतुम राम न बने
और मै सीता न बन सकी
.......चलता रहेगा यह सिलसिला
Rashmi ji bahut bahut shukriyan ....
Deleteबसी हैं मेरे मन में एक आग
ReplyDeleteजो मुझे सीता बनने नहीं देती
और अहम तुम्हारा तुम्हे
राम बनने से रोक देता हैं ...
सदियों की ये गाथा
आज भी यूँ ही कायम हैं |............अनु
Anu di, Shukriyan
Deleteचलता रहा वक्त
ReplyDeleteऔर जलती रही मै
कभी सूरज बन
तो कभी चाँद बन,
रौशनी तो सबने दी मुझे
कभी जुगनू
तो कभी आग बन
फिर भी मै सीता न बनी
वो राम न बना
बहुत सुन्दर प्रस्तुति !
Mnaish Singh ji Bahut bahut Shukriya
Deleteaisa lagtaa hai jaise padhte hee raho aapko bina ruke.
ReplyDeleteSurendra Mulhid ji bahutbahut shukriyan
Deleteइन अनवरत पलों में जीवन यूँ ही व्यतीत होता जाता है !
ReplyDeleteVani Geet ji shukriyan
Deleteइन अनवरत पलो में
ReplyDeleteकुछ पल के लिए
हमे इक दुसरे के लिए
ठहर जाना है
बस कभी वक्त न मिला
कभी हम न मिले,....
बेहतरीन भावपुर्ण रचना,सुंदर पंक्तियाँ,,,,,बधाई
Dheerendra ji shukriyan najre inayat kerne ke liye
Deleteमेरा मन
ReplyDeleteजो खोजता है, अपने लिए
इन न रुकने वाले अनवरत पलों में
कुछ रुके हुए पल
वाह... लाजवाब हैं ये पल... सुन्दर भाव
Sandhya ji aapka bahut bahut shukriyan
Deleteबहुत ही सुन्दर रचना है..
ReplyDeleteलाजवाब भाव....
प्रत्येक पंक्ति बेहतरीन है...
Reena ji Hausla fajai ke liye aabhar
Deleteखूबसूरत अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteVaanbhatt ji shukriyan
Deleteबस ऐसे ही वक्त बीतता रहा
ReplyDeleteऔर मै तलाशती रही,
उसी रुके हुए पल को
जो सिर्फ मेरे लिए हो
पर इन न रुकने वाले पलों में
मेरे लिए वक्त किसके पास था
न ये वक्त ही रुका
और न तुम ही रुके
Bahut sundar!
Kshama ji shukriyan
Deleteबहुत बढ़िया..
ReplyDeleteSameer Bhi Sahb yaha tak aane aur rachna ka maan rakhne ke liye bahut bahut shukriyan
Deleteमैं हर पल एक नये अनुभव को सीखने को तैयार रहता हूँ...
ReplyDeletePraveen ji bahut bahut shukriyan
Deleteबहुत सुन्दर...
ReplyDeleteलाजवाब प्रस्तुति...
Vidya ji shukriyan
Deletebahut khoob amrendra sahab
ReplyDeletekhaas taur se jaise aap khoobsurat hai waisa hi blog aapne khoobsurat banaya hai
kindly visit also on my blog
www.hilalwzj.blogspot.com
or enter hilal wazirganjvi in google/youtube to read my poetries or seeing me.
thanks
Hilal Ahmad ji shukriyan
Deleteयह जन्मान्तरों का सिलसिला है..
ReplyDeleteBikul Sahi kha hai aapne .aabhar
Deleteजीवन तो चलने का दूसरा नाम है...सीखते रहें..बढते रहें..अनवरत....
ReplyDeleteसुन्दर रचना..
bahut khoob aur aapk hi tarah aapka blog bhi bahut khubsurat hai mubarak ho
ReplyDeletekindly visit on my blog also
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Hilal Ahmad ji shukriyan
Deleteसुंदर प्रस्तुति...... स:परिवार होली की भी हार्दिक शुभकामनाएं.....
ReplyDeleteBhakuni Sahb aapko bhi holi ki hardik badhai
Deleteसुंदर भाव अभिव्यक्ति,बेहतरीन रचना,..
ReplyDeleteNEW POST...फिर से आई होली...
Dheerendra ji shukriyan
Deleteसुंदर भाव,बेहतरीन रचना,..
ReplyDeleteस:परिवार होली की हार्दिक शुभकामनाएं.....
Sangita ji aapko bhi holi ki bahut bahut shubkmanye
Deleteholi pr hardik subhkamnayen .....gahan bhavon ke sath ak sundar rachana ke sadar abhar.
ReplyDeleteNaveen Mani Tripathi ji shukriya
Deletekya baat hai sir jiiiiii
ReplyDeleteP K Sharma ji Bahut bahut Shukriyan
Deleteइन अनवरत पलो में
ReplyDeleteकुछ पल के लिए
हमे इक दूसरे के लिए
ठहर जाना है
बस कभी वक्त न मिला
कभी हम न मिले
विचारों को शब्द में परिवर्तित करने में आप सफल हुए हैं।
Mahendra Verma ji hausla afjai ke liye bahut bahut shukriya
Deleteइस कविता में प्रत्यक्ष अनुभव की बात की गई है, इसलिए सारे शब्द अर्थवान हो उठे हैं।
ReplyDeleteManoj kumar ji rachnaka maan rakhe ke liye bahut bahut shukriyan
Deleteफिर भी तुम लेते रहे हर पल
ReplyDeleteपरीक्षाये मेरी ,
अपने मन की ज्वाला को
शांत करने के लिए
मुझे ही तपाया अग्नि में,
बार- बार, कई- बार
.....बहुत सुन्दर रचना!
Tahe dil se shukriya Saras ji
Deleteबस ऐसे ही वक्त बीतता रहा
ReplyDeleteऔर मै तलाशती रही,
उसी रुके हुए पल को
जो सिर्फ मेरे लिए हो
पर इन न रुकने वाले पलों में
मेरे लिए वक्त किसके पास था
न ये वक्त ही रुका
और न तुम ही रुके
behad khoobsoorat rachna hai aapki, meri or se haardik badhai sweekarein
Fani Raj ji shukriyan
Delete"रौशनी तो सबने दी मुझे
ReplyDeleteकभी जुगनू
तो कभी आग बन
फिर भी मै सीता न बनी
वो राम न बना "
बहुत सुंदर भावाभिवक्ति!
Sushila ji Rachna ka maan rakhne ke liye aabhar
Deleteऔर मै तलाशती रही,
ReplyDeleteउसी रुके हुए पल को
जो सिर्फ मेरे लिए हो
bahut kuch kah gayi ye panktiyaa
Sakhi ji yaha tak ane aur rachna ka maan rakhne ke liye bahut bahut aabhar
Deletebahut hi sundar rachna-----------holi ki shubhkamna
ReplyDeleteDr. Sandhya Tiwari ji Shukriya
Deleteजीवन में ऐसे अनेक पल आते हैं पर अनवरत सफर चलता रहता है ...
ReplyDeleteDigamber Naswa ji bahut bahut aabhar
Deletebahut hi badhiya rachna hai......ek ek panti ko baar baar padhne ka mann kar raha hai......haardik badhai
ReplyDeleteMini ji shukriyan
Deleteआपकी पोस्ट ब्लोगर्स मीट वीकली (३३) में शामिल की गई है /आप आइये और अपने विचारों से अवगत करिए /आपका स्नेह और आशीर्वाद इस मंच को हमेशा मिलता रहे यही कामना है /आभार /
ReplyDeleteइसका लिंक है
http://hbfint.blogspot.in/2012/03/33-happy-holi.html
Prerna Argal ji bahut bahut aabhar
Deleteपर इन न रुकने वाले पलों में
ReplyDeleteमेरे लिए वक्त किसके पास था
न ये वक्त ही रुका
और न तुम ही रुके
wah......... simply bahut khubsurat
holi ki subhkamnayen.....
Mukesh Kumar ji aapko bhi holi ki bahut bahut shubkamanye
Deleteजिंदगी की राहों में ये पल भी अजीब होते है जिनका हिसाब लगाना बहुत ही मुश्किल है. गहरे भावों के साथ सुन्दर प्रस्तुति.
ReplyDelete.
क्या सिलेंडर भी एक्सपायर होते है ?
Upendra Nath ji shukriya
Deletesundar, gahan, lajawab :)
ReplyDeleteShukriya
Deleteपरीक्षा, जीवन का दूसरा नाम ही तो है ...?
ReplyDeleteहोली की मुबारक हो !
शुभकामनाएँ!
Sir ji hardik Abhinandan aapka.....aabhar
Deletesir ji mafi chahuga itne dino ke baad aane ke liye !!
ReplyDeletesarthak rachna hai har line samrth hai apni bhavnaon ko vyakt karne ke liye !!
holi ki shubhkamanye !!
Dear Ashok tumhara apna gher hai jab chahe aao isme maafi mangne wali kyabat hai ye to badappan hai tumhara.ki tumne hume is layek samjha
DeleteHappy holi and Mahila divas both
ReplyDeleteShukriya Kunwar Sahab
Delete.
ReplyDelete"ये दिन रात के अनवरत पल
उसमे जलता ये मेरा मन…"
वाह ! अच्छे भाव हैं आपकी रचना में
बहुत ख़ूब !
मंगलकामनाएं आगामी होली तक के लिए …
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♥होली ऐसी खेलिए, प्रेम पाए विस्तार !♥
♥मरुथल मन में बह उठे… मृदु शीतल जल-धार !!♥
आपको सपरिवार
होली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
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Shurkiya Sir ji
Deleteaapko bhi sapariwar mubarak ho
ReplyDeletesadar
सुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्ति......
ReplyDeleteबस कभी वक्त न मिला
ReplyDeleteकभी हम न मिले
वाह ...बहुत ही बढिया।
यूँ ही अनवरत चलते हुए वक्त बीत जाता है, हाथ कुछ भी नहीं आता. बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना, बधाई.
ReplyDeleteइन अनवरत पलो में
ReplyDeleteकुछ पल के लिए
हमे इक दुसरे के लिए ...yahi jaruri hai...