कल रात
लिखते लिखते
आँख लग गयी
ख्वाब आ गये ,
जो चुभने से लगे
मेरी ही आँखों में,
ये कैसे ख्वाब
जो मेरे होकर मुझे ही चुभे ******
कही दूर, कही पास
बहुत दौड़ भाग
मंजिल पाने को
मिल भी गयी
वो खुश भी बहुत हुआ
पर ये क्या
मै भी तो साथ था
बहुत दौड़ा
उसके पीछे पीछे
जिसने मंजिल को पाना चाहा
पर मेरी मंजिल कहाँ.......
ये कैसे ख्वाब
ये कैसी मंजिले
जो मेरे होकर भी
मेरे नहीं ******
ख्वाबों में अक्सर ऐसा ही होता है ... सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteShurkiya aapka itne sunder comments dene ke liye
Deletesunder ....khwab aise hi hote hai
ReplyDeletekai bar khud ko chubh jate hai ...
sunder prastuti
Shashi ji aabhar
Deleteख्वाब तो बुलाते हैं, जो मिल गये, वो ख्वाब में आयेंगे भी नहीं..
ReplyDeleteSach kaha Pandey ji aapne..
Deleteaabhra
कुछ ख्वाब कुछ मंजिलें
ReplyDeleteऐसे ही होते हैं
जो अपने होकर भी
अपने नहीं होते हैं...
सुंदर प्रस्तुति...
Sandhya Ji shukriya
Deletesapne to sapne hi hote hai
अपने ख्वाब ही चुभते हैं
ReplyDeleteअपने ही ख्वाब मरहम लगाते हैं ....
Rashmi Prabha ji aabhar
Deleteएक ख्वाब सी लगी रचना हमें....... बहुत ही अच्छी भावाभिवय्क्ति......
ReplyDeleteSushma ji rachna ko sarahane ke liye aabhar
Deleteये कैसे ख्वाब
ReplyDeleteये कैसी मंजिले
जो मेरे होकर भी
मेरे नहीं ******
यही है ज़िन्दगी
Veerubhai ji bahut bahut shukriya.aise hi apna sneh banaye rahiye
Deleteये कैसे ख्वाब
ReplyDeleteये कैसी मंजिले
जो मेरे होकर भी
मेरे नहीं ****** very touching.
Dr. Nisha ji thanx a lot
Deleteये कैसे ख्वाब
ReplyDeleteये कैसी मंजिले
जो मेरे होकर भी
मेरे नहीं ******
bahut dil ko choonewali prastuti.badhaai aapko.
meri nai post per aaapka swagat hai.link hai.
www.prernaargal.blogspot.com
Prerna ji bahut bahut shukriya.......aapka sneh paker bahutaccha lga..........aabhar
Deleteजब ख्वाब अपने हैं...तो चुभन भी खुद को ही होगी...ये ख्वाब ही तो हैं जो हमें चलाये रखते हैं...
ReplyDeleteVaanbhatt ji aapki bat bikul sahihai
Deleteaabhar
ख्वाबगाह से बाहर निकले, ख़्वाब ख्वाह हो जाते हैं ।
ReplyDeleteख्वाहमखाह ख्यालों को खरभर, खार खेद बो जाते हैं ।।
दिनेश की टिप्पणी - आपका लिंक
http://dineshkidillagi.blogspot.in
Ravi Ji bahut bahut shukriyan
Deleteअच्छी लगी रचना ..
ReplyDeleteAmrita Tanmay ji Shukriya
Deleteबहुत ही अच्छी प्रस्तुति।
ReplyDeleteShukriya Sutradhar ji
Deleteपर ये क्या
ReplyDeleteमै भी तो साथ था
बहुत दौड़ा
उसके पीछे पीछे
जिसने मंजिल को पाना चाहा
पर मेरी मंजिल कहाँ.......
बेहतरीन कविता. मन को सरोबार कर गया. आभार. बारामासा पर भी पधारें.
Subeer Ji bahut bahut aabhar
Deleteसुंदर अभिव्यक्ति !!
ReplyDeleteIsmat Jaidi ji shurkiya
Deleteबहुत खूब
ReplyDeleteShukriya
Deletebahut sunder prastuti.badhaai aapko.
ReplyDeleteआप का बहुत बहुत धन्यवाद की आप मेरे ब्लॉग पर पधारे और इतने अच्छे सन्देश दिए /आपका आशीर्वाद मेरी रचनाओं को हमेशा इसी तरह मिलता रहे यही कामना है /मेरी नई पोस्ट आपकी टिप्पड़ी के इन्तजार में हैं/ जरुर पधारिये /लिंक है /
http://prernaargal.blogspot.in/2012/02/happy-holi.html
मैंने एक और कोशिश की है /अगर आपको पसंद आये तो उत्साह के लिए अपने सन्देश जरुर दीजिये /लिंक है
http://www.prernaargal.blogspot.in/2012/02/aaj-jaane-ki-zid-na-karo-sung-by-prerna.html
Prerna ji aapka bhi bahut bahut dhanyawad........
Deleteअमरेन्द्र जी,..
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रस्तुति,इस सुंदर रचना के लिए बधाई,...
आपका फालोवर बन गया हूँ आप भी फालो करे मुझे खुशी होगी,
ताकि पोस्ट पर आना जाना बना रहेगा,...आभार
NEW POST ...काव्यान्जलि ...होली में...
NEW POST ...फुहार....: फागुन लहराया...
Dheerendra ji aapke aane se yaha raunak aa jati hai ........aap apna sneh aise hibanaye rahiye
DeleteDr. Monika Ji aabhar...
ReplyDeleteaap aise hi sneh banaye rahiye
ख्याबो के मंज़र हमने भी देखे हैं
ReplyDeleteसपनो में अपने ही बिछड़ते देखे हैं |.......अनु
Anju DI shukriyan .........
Deleteबहुत खूब
ReplyDeleteSameer Bhai Sahb bahut Bahut Shukriyan
ReplyDeleteYaha tak aane ke liye
बढिया ...होता है यही जिंदगी है ,हर ख्वाब पूरा नही होता पर नई कोई मजिल हमेशा आपके इंतज़ार मे है
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