मदमस्त हवाओ से भरा
ये मेरा शहर
आज मेरे लिए ही बेगाना क्यू है
हर तरफ
महकते फूल, चहकते पंक्षी
फिर मुझे ही
झुक जाना क्यू है
आज फिर इक चुप्पी सी साधी है
इन हवाओ ने,
मेरे लिए
नहीं तो कोई,
दूर फिजाओ में जाता क्यू है
छुपा रहा है
हमसे कोई राज, ये पवन
नहीं तो और भी है,
इसकी राहों में
ये इक हमी को तपाता क्यू है
आज बड़ा खुदगर्ज, बड़ा मगरूर
सा लगता है ये मेरा शहर
शायद इसकी मुलाकात हुई है 'उनसे'
नहीं तो ये हमी को जलाता क्यू है
ए 'अमर' जरूर, रसूख
कुछ कम हुआ है शायद
वरना ये अपना हुनर
हमी पे दिखाता क्यू है
महकते फूल, चहकते पंक्षी
ReplyDeleteफिर मुझे ही
झुक जाना क्यू है
वाह ...बहुत बढिया।
Shukriya Sada ji
Deleteआज बड़ा खुदगर्ज, बड़ा मगरूर
ReplyDeleteसा लगता है ये मेरा शहर
शायद इसकी मुलाकात हुई है 'उनसे'
नहीं तो ये हमी को जलाता क्यू है
एहसासों को खूब लिखा है ॥
Sangeeta Swaroop ji aabhar
Deleteआज बड़ा खुदगर्ज, बड़ा मगरूर
ReplyDeleteसा लगता है ये मेरा शहर
शायद इसकी मुलाकात हुई है 'उनसे'
नहीं तो ये हमी को जलाता क्यू है
ए 'अमर' जरूर, रसूख
कुछ कम हुआ है शायद
वरना ये अपना हुनर
हमी पे दिखाता क्यू है ……………वाह वाह वाह …………दिल को छूती अभिव्यक्ति।
Vandana ji bahut bahut shukriya
Deleteवाह! सुन्दर रचना...
ReplyDeleteहार्दिक बधाई..
Sanjay ji shukriya
Deleteकुछ इस कदर गम ए जिंदगी से हैं दिल भरा
ReplyDeleteआती हुई बहारों में भी दिल नहीं लगता |......अनु
Di aapka ashirwad mere liye bahut hai ......
Deleteए 'अमर' जरूर, रसूख
ReplyDeleteकुछ कम हुआ है शायद
वरना ये अपना हुनर
हमी पे दिखाता क्यू है ...............
कमजोर हम नहीं शायद
ये वक्त का तकादा ही है.............बहुत खूब..... यशोदा
Yashoda ji shukriya
Deletebahut sundar bhaavmai racna.
ReplyDeleteRajesh Kumari ji bahut bahut shukriya
Deleteaapka sneh accha lga
ए 'अमर' जरूर, रसूख
ReplyDeleteकुछ कम हुआ है शायद
वरना ये अपना हुनर
हमी पे दिखाता क्यू है| सुन्दर रचना,
हार्दिक बधाई..
Sangita ji aabhar
Deleteआज बड़ा खुदगर्ज, बड़ा मगरूर
ReplyDeleteसा लगता है ये मेरा शहर
शायद इसकी मुलाकात हुई है 'उनसे'
नहीं तो ये हमी को जलाता क्यू है ... waah
Adarniya RAshmi Ji bahut bahut shukriya ..aisehi apna sneh banaye rahiye hamare uper
Deleteबहुत खूब !
ReplyDeleteShukriya Rajnish ji
Deleteबड़ी वाज़िब शिकायत है, आपकी अपने ही शहर से...
ReplyDeleteदिल से निकली हूक..दूर तलक जायेगी !
शुभकामनाएँ!
भावनाओं की अच्छी अभिव्यक्ति
ReplyDeleteArun ji hausla afjai ke liyebahut bahut shukriyan
Deleteबेहतरीन अंदाज़..... सुन्दर
ReplyDeleteअभिव्यक्ति.
छुपा रहा है
ReplyDeleteहमसे कोई राज, ये पवन
नहीं तो और भी है,
इसकी राहों में
ये इक हमी को तपाता क्यू है ......bahut khoobsurat prastuti ......waah , har pahara kuch alag kahata sa ,,,,,:)
Shashi ji shukriyan
Deleteए 'अमर' जरूर, रसूख
ReplyDeleteकुछ कम हुआ है शायद
वरना ये अपना हुनर
हमी पे दिखाता क्यू है waah amar ji bdi achchi aur jabardast lekhni chalai aapne.
Dr. Nisha ji rachna ke saath saath hamara maan rakhne ke liye bahut bahut bahut shukriyan
Deleteमदमस्त हवाओ से भरा
ReplyDeleteये मेरा शहर
आज मेरे लिए ही बेगाना क्यू है
*
आज बड़ा खुदगर्ज, बड़ा मगरूर
सा लगता है ये मेरा शहर
शायद इसकी मुलाकात हुई है 'उनसे'
Amarji, jawaab aapne khud hi de diya hai! Mohabbat mai aksar aisa hi hota hai...sab kuch vaisa rahkar bhi vaisa nahi rah jaata. Jindagi phir kabhi pehle jaisi nahi hoti!
Bhagwan se dua hai aapko mohabbat ki khoobsurati hamesha mile.
Shaifali ji aapka bahut bahut shukriyan .............aapki duwaon ka aser hone lga hai ............aabhar
Deleteए 'अमर' जरूर, रसूख
ReplyDeleteकुछ कम हुआ है शायद
वरना ये अपना हुनर
हमी पे दिखाता क्यू है...
बड़े-बड़े शहरों में ऐसा ही होता है...
Vaanbhat ji shukriyan
Deletegreat composition...
ReplyDeleteSurendra ji shukriyan
Deleteबढ़िया अभिव्यक्ति!
ReplyDeleteDr. Shastri ji abhinandan..........
Deletebahut sundar abhivyakti.
ReplyDeleteRekha Srivastava ji yaha tak aane aur rachna ka maan rakhne ke liye shukriyan
Deleteबहुत खूब अमरेन्द्र जी...
ReplyDelete:)
Mahesh Barmate ji shukriyan
Deleteबहुत ही सुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति...
ReplyDeletePallavi ji shukriyan
Deleteबहुत सुन्दर....
ReplyDeleteभावपूर्ण अभिव्यक्ति अमरेन्द्र जी...
Vidya ji tahe dil se shukriyan
Deleteजब किसी का साथ नहीं होता तो सक कुछ अनजाना सा ही लगता है ...
ReplyDeleteगहरी अभिव्यक्ति है ...
Digamber Naswa Ji Hausla Afjai ke liye Shukriyan
Deleteहर शहर का व्यक्तित्व होता है, वह हर रहने वाले से बतियाता है।
ReplyDeletePraveen ji shukriyab
Deleteबेहतरीन भाव ,सुन्दर रचना...
ReplyDeleteReena Maurya ji shukriyan
Deleteए 'अमर' जरूर, रसूख
ReplyDeleteकुछ कम हुआ है शायद
वरना ये अपना हुनर
हमी पे दिखाता क्यू है
आपने अपनी प्रस्तुति को बेहतर ढंग से प्रस्तुत किया है । सदा सृजनरत रहें ।मेरे पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
Shukriyan ji
DeleteSameer ji shukriyan
ReplyDeletebahut sunder prastuti.bahut badhaai aapko .
ReplyDeleteआपकी पोस्ट आज की ब्लोगर्स मीट वीकली (३२) में शामिल किया गया है /आप आइये और अपने विचारों से हमें अवगत करिए /आप सबका आशीर्वाद और स्नेह इस मंच को हमेशा मिलता रहे यही कामना है /आभार /इस मीट का लिंक है
http://hbfint.blogspot.in/2012/02/32-gayatri-mantra.html
Prerna Argal ji bahut bahut shukriyan
ReplyDeletesunder chitra ...sunder rachna ...aaj aapka blog join kar liya ...
ReplyDeleteshubhkamnayen.
कल 30/04/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
वाह क्या बात है बहुत खूब....
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