Followers

Labels

Powered By Blogger

Wednesday, December 21, 2011

"सिसकते लम्हे"


न अब यहाँ रुकने का मन 
न किसी को रोकने का,
न किसी के आने का सबब
न अब किसी के जाने का, 
बस 
सारी रात, 
तन्हा, बरस जाने का मन 
घुप्प अंधेरो में,
अपनी ही परछाई से, 
सिसकते हुए लिपट जाने का मन 

NA AB YAHA RUKNE KA MAN 
NA KISI KO ROKNE KA 
NA KISI KE ANE KA SBAB
NA KISI KE JANE KA SBAB
BAS,
SARI RAT,
TANHA, BARAS JANE KA MAN 
GHUPP ANDHERO ME,
APNI HI PERCHAYI SE, 
SISAKTE HUE LIPAT JANE KA MAN  

60 comments:

  1. बेहतरीन अभिव्‍यक्ति ।

    ReplyDelete
  2. वाह .. अपनी ही तन्हाइयों में सिमित जाने भाव लिए ... उदासी लिए है रचना ...

    ReplyDelete
  3. उफ़ कितनी गहन उदासी है…………

    ReplyDelete
  4. वाह, बहुत सुंदर
    क्या कहने

    ReplyDelete
  5. Sundar abhivyakti ke liye badhayee swekaarein :-)

    ReplyDelete
  6. बहुत खूब लिखा है आपने! उम्दा रचना! बधाई!
    मेरे नये पोस्ट पर आपका स्वागत है-
    http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
    http://seawave-babli.blogspot.com/

    ReplyDelete
  7. सुन्दर रचना... उदासी में डूबे हुए शब्द....

    ReplyDelete
  8. न किसी के आने का सबब
    न अब किसी के जाने का,
    tanhai ka sundr bhav !

    ReplyDelete
  9. वाह...कमाल की नज़्म कही है आपने...बधाई

    नीरज

    ReplyDelete
  10. न अब यहाँ रुकने का मन
    न किसी को रोकने का,
    न किसी के आने का सबब
    न अब किसी के जाने का,
    /...bahut khoob!

    ReplyDelete
  11. बेहद खूबसूरत रचना..

    ReplyDelete
  12. एकान्तिक सुख भोगने की इच्छा तो है ?...... तनहा जीने का भी एक फलसफा है, और आप.....
    एक सुखद अहसास कराती पोस्ट के लिए आभार !!

    ReplyDelete
  13. bahut hi sunder rachna. gahre jajbat se bhari hui.

    ReplyDelete
  14. अमरेन्द्र जी,
    अकेले का अहसास वो भी किसी की यादो को लेकर....समय का पता ही नही चलता,सुंदर प्रस्तुति,....मेरी नई पोस्ट के लिए काव्यान्जलि मे click करे

    ReplyDelete
  15. kam shabdo me bhavo ki bahut hi sundar abhivykti....
    behtarin rachana hai..

    ReplyDelete
  16. दर्द भरे मन की सुन्दर अभिव्यक्ति...

    ReplyDelete
  17. bahut khub...

    kabhi hamare blog pe bhi aaiye...

    http://mymaahi.blogspot.com

    ReplyDelete
  18. @ Sada ji
    @ Rajendra Tetala ji aapka bahut bahut shukriya

    ReplyDelete
  19. @ Digamber Naswa ji
    @ Mahendra Srivastava ji
    @ Fadi Raj Mani Chandan ji
    @ Mani ji
    aap sabhi ka tahe dil se shukriya

    ReplyDelete
  20. @ Kshama ji
    @ Sandhya Sharma ji
    @ Anu DI ji
    aapka blog pe aana hamesha hi mera margdershan kerta hai
    aise hi sneh banaye rahiye

    ReplyDelete
  21. @ Suman ji
    @ Mangla Ji
    @ Mukesh ji
    @ Neeraj Goswami ji
    aapke mergdershan se hi hame likhne ki prerna milti hai aise hi hamare uper apna ashish banaye rahiye

    ReplyDelete
  22. @ KAvita Rawat
    @ Vidya ji
    @ Subeer Rawat ji
    @ Upendra Nath ji
    @ Devendra Pandey ji
    hausla afjai ke liye bahut bahut shukriya

    ReplyDelete
  23. @ Dheerendra ji
    @ Ismat jaidi
    @ Reena Maurya ji
    @ Monika Jain ji
    @ Rachna ji
    bahut bahut shukriya

    ReplyDelete
  24. @ ऋता शेखर 'मधु' ji
    @ Mahesh Barmate ji
    bahut bahut shukriya .aap apna sneh aise hi banaye rahiye

    ReplyDelete
  25. kavita ke liye acha hai par zindgi me tanha hone ka kabhi sochna bhi nahi chahiye shayad ye zindgi hme kuch acha hi dikha de :)

    ReplyDelete
  26. न अब यहाँ रुकने का मन
    न किसी को रोकने का,
    न किसी के आने का सबब
    न अब किसी के जाने का,

    सुन्दर अभिव्यक्ति...

    ReplyDelete
  27. घुप्प अंधेरो में,
    अपनी ही परछाई से,
    सिसकते हुए लिपट जाने का मन

    सुन्दर अभिव्यक्ति...

    ReplyDelete
  28. क्रिसमस की हार्दिक शुभकामनायें !
    मेरे नये पोस्ट पर आपका स्वागत है-
    http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
    http://seawave-babli.blogspot.com/

    ReplyDelete
  29. सारी रात,
    तन्हा, बरस जाने का मन
    घुप्प अंधेरो में,
    अपनी ही परछाई से,
    सिसकते हुए लिपट जाने का मन

    ...क्या बात है बहुत बढ़िया.............

    ReplyDelete
  30. बहुत सुंदर है... ये कविता, आपका मन और समर्पण-भाव... वाह

    ReplyDelete
  31. सुन्दर प्रस्तुति.

    मेरे ब्लॉग पर आपके आने का बहुत बहुत आभार.

    आनेवाले नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ.

    ReplyDelete
  32. sundar v bhav bhini post.
    tanhaiyon men bhi aehsas soya nahin karte
    ye vo safar hae jhan akeke jaya nahin karte.

    ReplyDelete
  33. बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति ।
    मेरा शौक
    मेरे पोस्ट में आपका इंतजार है,नई रोशनी में सारा जग जगमगा गया |
    नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ.
    * नया साल मुबारक हो आप सभी को *

    ReplyDelete
  34. aPNI HI PARCHHAIYON SE LIPTTE JANE KA MAN WOH BHI SISKTE HUE, WAH SUNDAR.
    pAHLI BAR PADH RAHA HOO.LIKHTE RAHE AISE HI

    ReplyDelete
  35. बहुत सुंदर,.....
    नया साल सुखद एवं मंगलमय हो,..
    आपके जीवन को प्रेम एवं विश्वास से महकाता रहे,

    मेरी नई पोस्ट --"नये साल की खुशी मनाएं"--

    ReplyDelete
  36. अब नया साल मनाने का मन बना लीजिये,अमरेन्द्र जी.
    नया साल बहुत बहुत मुबारक.

    ReplyDelete
  37. @ Punam Ji
    @ Rajput ji
    @ Urmi ji
    @ B S Gurjar Sahab
    aap sabhi ka bahut bahut shukriya yaha tak aane aur rachna ka maan rakhne ke liye saath hi saath naye vers ki hardik shubkamanye

    ReplyDelete
  38. @ Rakesh Kumar ji
    @ Sangeeta ji
    @ Suman Meet Ji
    @ V P Singh Rajput ji
    aap sabhi ka bahut bahut shukriya yaha tak aane aur rachna ka maan rakhne ke liye saath hi saath naye vers ki hardik shubkamanye

    ReplyDelete
  39. ghupp andheron mai, apni hi parchaie se, siskte hue lipat jane ka man
    SUNDAR RACHNA,ACHHI KALPANA, ACHHA BHAV

    ReplyDelete
  40. बहुत बढ़िया प्रस्तुति,सुंदर रचना......
    welcome to new post--जिन्दगीं--

    ReplyDelete
  41. Replies
    1. Nisha Ji shukriya .aisa hi apna sneh sadaiv banaye rahiye

      Delete
  42. आपकी कविता अच्छी लगी । मेरे नए पोस्ट "लेखनी को थाम सकी इसलिए लेखन ने मुझे थामा": पर आपका बेसब्री से इंतजार रहेगा । धन्यवाद। .

    ReplyDelete
  43. bohot badhiya...
    सारी रात,
    तन्हा, बरस जाने का मन ... kya baat...

    ReplyDelete