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Friday, December 9, 2011

मै इक बंधा ''शिकारा''



न तुम, मेरे करीब आ सकी 
न मै, तुमसे दूर जा सका 
उम्र बीतती रही ऐसे ही ख्यालो में 
 कभी तुम कुछ नहीं बोले 
 न कभी हमसे कुछ बोला  गया,

कभी तुम मुझसे छुपाते गए 
कभी मुझसे दिखावा न हुआ 
न जाने वो कैसा रास्ता था 
जिसपे कभी तुम नहीं चले 
और न कभी मुझसे अकेले आया गया 

 
तुम रहे इक आजाद पंछी 
मै इक बंधा ''शिकारा''
तुमने रुकना मुनासिब नहीं समझा 
 न कभी मुझसे तुम्हे रोका ही गया 

तुम्हे नए रिश्ते बनाने का शौक
हमे पुराने बंधन प्यारे 
तुमसे कभी बन्धनों में बंधा न गया 
और न हमसे नये साहिलों से  रिश्ता बनाया गया

54 comments:

  1. तुम रहे इक आजाद पंछी
    मै इक बंधा ''शिकारा''
    बिम्बों और प्रतीकों का खूबसूरती से प्रयोग किया है आपने......ख़ूबसूरत अभिव्यक्ति.

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  2. वाह ...बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति ।

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  3. यह भी खूब निभा.

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  4. तुम्हे नए रिश्ते बनाने का शौक
    हमे पुराने बंधन प्यारे
    तुमसे कभी बन्धनों में बंधा न गया
    और न हमसे नये साहिलों से रिश्ता बनाया गया

    सही कहा आपने ....
    कभी-कभी ये रिश्ते ही बंधन हो जाते हैं...
    हम तो बंध जाते हैं किसी रिश्ते से और सामने वाला उसकी न अहमियत समझता है और न उस रिश्ते की इज्ज़त ही करता है...!!

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  5. ख़ूबसूरत अभिव्यक्ति...

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  6. बढ़िया |
    बधाई अमरेन्द्र जी ||

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  7. बहुत खूबसूरती से दिल से बंधे रिश्ते को परिभाषित किया है ...कुछ शब्द जो दिल से दिल तक की बात को समझते है .....बहुत अच्छी प्रस्तुति

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  8. मनोभावों की ज़बरदस्त अभिव्यक्ति.

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  9. kya baat hei ..bahut sunder..aek shikaare ki kahani ..

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  10. हमसे आया न गया ,उनसे बुलाया न गया
    फासला प्यार में दोनों से मिटाया न गया .
    अच्छी रागात्मक अभिव्यक्ति है आपकी पोस्ट की .

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  11. भावों से नाजुक शब्‍द......बेजोड़ भावाभियक्ति....

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  12. कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगी यूँ ही कोई बेवफ़ा नहीं होता ......किसी ने ठीक ही कहा है !

    उम्दा !

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  13. "तुमसे कभी बन्धनों में बंधा न गया
    और न हमसे नये साहिलों से रिश्ता बनाया गया"

    बहुत सुंदर रचना ! बधाई !

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  14. तुम रहे इक आजाद पंछी
    मै इक बंधा ''शिकारा''
    तुमने रुकना मुनासिब नहीं समझा
    न कभी मुझसे तुम्हे रोका ही गया
    khoob ..... Behtreen bhav

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  15. सुन्दर एवं भावपूर्ण रचना ...बधाई स्वीकार करें !
    मेरी नई पोस्ट पे पधारें !

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  16. आज़ाद पंछी और बंधा शिकारा ...
    मन को घरे छूते हुए प्रतिमानों ने कविता की भावना को बहुत स्पष्ट किया !

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  17. तुम रहे इक आजाद पंछी
    मै इक बंधा ''शिकारा''
    तुमने रुकना मुनासिब नहीं समझा
    न कभी मुझसे तुम्हे रोका ही गया
    Nihayat sundar panktiyan....waise to sampoorn rachana hee behad achhee hai!

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  18. bhut pyari rachna hae bdhai..........

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  19. @ Sanjay Bhaskar ji
    @ Sada ji
    @ P Singh ji
    @ Rahul Sir ji
    Aap sabhi ka bahut bahut shukriya

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  20. @ Punam Ji
    @ Sandhya Sharma ji
    @ Ravikar ji
    @ Reena Maurya ji
    @ Anju Di Ji
    aap apna sneh aise hi banaye rahiye

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  21. @ Kuwar Kusumesh ji
    @ Sameer ji
    @ Dershan ji
    @ Veerubhai ji
    @ Sushma ji
    aap sabhi shubchintko se nivedan hai ki aise hi apna aseem pyar banaye rahiye .aabhat

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  22. @ Chandra Bhusan Ji
    @ Anamika ji
    @ Sushila ji
    @ Monika Sharma ji
    @ Suman Ji
    hausla afjai ke liye bahut bahut shukriya

    ReplyDelete
  23. @ Manish Singh ji
    @ Ashok Birla ji
    @ Gopal Tiwari ji
    @ Kshama ji
    @ Sangita ji
    yaha tak aane aur apne sunder coomets se nawajne ke liye bahut bahut shukriya

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  24. तुम्हे नए रिश्ते बनाने का शौक
    हमे पुराने बंधन प्यारे
    तुमसे कभी बन्धनों में बंधा न गया
    और न हमसे नये साहिलों से रिश्ता बनाया गया ...

    अक्सर ये फर्क फांसले पैदा करता है और दूरी बडती जाती है ... बहुत खूब लिखा है ...

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  25. बहुत सुन्दर......
    "कभी तुम मुझसे छुपाते गए
    कभी मुझसे दिखावा न हुआ"
    खूबसूरत जज़्बात...
    वाह.

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  26. dil ko chu gayi ye rachna...soch ka ye antar ateet ke rishton se bandhe rahne vale ko bahut dard deta hai...sundar rachna
    welcome to my blog :)

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  27. अच्छी रचना...
    सादर बधाई...

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  28. बहत सुन्दर रचना

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  29. ख़ूबसूरत एहसास के साथ उम्दा प्रस्तुती!

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  30. बहुत खुबसूरत रचना..बधाई..

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  31. कोमल भावों से सजी कविता ...बधाई

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  32. @Digembar Naswa ji
    @ Vidya ji
    @Monika Jain ji
    @ S M Habib Sahab
    aap sabhi ka bahut bahut shukriya

    ReplyDelete
  33. @ Mamta Bajpai ji
    @ Urmi ji
    @ Maheshwari Kaneri ji
    @ Vandana ji
    aap sabhi ka tahe dil se shukriya
    aise hi aap apna sneh banaye rakhe

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  34. बेहद खुबसूरत ,

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  35. aapki rachna padhkar kisi film ka ek pyara sa geet yaad aa gaya...

    humse aaya na gaya
    tumse bulaya na gaya
    faasla pyaar ka dono se mitaya na gaya...

    bhaavpurn rachna, badhai.

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  36. मजबूरियां है दोनों तरफ , अच्छी रचना

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  37. वाह वाह,क्या बात है .

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  38. तुम रहे इक आजाद पंछी
    मै इक बंधा ''शिकारा''
    तुमने रुकना मुनासिब नहीं समझा
    न कभी मुझसे तुम्हे रोका ही गया

    बहुत खूब लिखा है ...........

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  39. तुम्हे नए रिश्ते बनाने का शौक
    हमे पुराने बंधन प्यारे
    तुमसे कभी बन्धनों में बंधा न गया
    और न हमसे नये साहिलों से रिश्ता बनाया गय...wah kya marm hai kavita mein ..gajab

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  40. @ Amrita Tanmay ji
    @ Rajeev Panchhi ji
    @ Dr. Shabnam ji
    @ Sunil Kumar ji
    aap sabhi ka bahut bahut shukriya yaha tak aane aur rachna ka maan rakhne ke liye saath hi saath naye vers ki hardik shubkamanye

    ReplyDelete
  41. @ Kunwar Kusumesh ji
    @ Manjula Ji
    @ Nirjher Jheer ji
    aap sabhi ka bahut bahut shukriya yaha tak aane aur rachna ka maan rakhne ke liye saath hi saath naye vers ki hardik shubkamanye

    ReplyDelete
  42. amar ji
    तुम्हे नए रिश्ते बनाने का शौक
    हमे पुराने बंधन प्यारे
    तुमसे कभी बन्धनों में बंधा न गया
    और न हमसे नये साहिलों से रिश्ता बनाया गया
    bahut saari baaten bayan karti hain ye panktiyan
    bahut hibehatreen
    badhai
    poonam

    ReplyDelete
    Replies
    1. Poonam ji bahut bahut shukriyan.aap aise hi apna sneh banaye rakhe ............aabhar

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