न मै, तुमसे दूर जा सका
उम्र बीतती रही ऐसे ही ख्यालो में
कभी तुम कुछ नहीं बोले
न कभी हमसे कुछ बोला गया,
कभी तुम मुझसे छुपाते गए
कभी मुझसे दिखावा न हुआ
न जाने वो कैसा रास्ता था
जिसपे कभी तुम नहीं चले
और न कभी मुझसे अकेले आया गया
मै इक बंधा ''शिकारा''
तुमने रुकना मुनासिब नहीं समझा
न कभी मुझसे तुम्हे रोका ही गया
तुम्हे नए रिश्ते बनाने का शौक
हमे पुराने बंधन प्यारे
तुमसे कभी बन्धनों में बंधा न गया
और न हमसे नये साहिलों से रिश्ता बनाया गया
तुम रहे इक आजाद पंछी
ReplyDeleteमै इक बंधा ''शिकारा''
बिम्बों और प्रतीकों का खूबसूरती से प्रयोग किया है आपने......ख़ूबसूरत अभिव्यक्ति.
वाह ...बहुत ही अच्छी प्रस्तुति ।
ReplyDeleteयह भी खूब निभा.
ReplyDeletesundar rachna
ReplyDeletebadhai....
तुम्हे नए रिश्ते बनाने का शौक
ReplyDeleteहमे पुराने बंधन प्यारे
तुमसे कभी बन्धनों में बंधा न गया
और न हमसे नये साहिलों से रिश्ता बनाया गया
सही कहा आपने ....
कभी-कभी ये रिश्ते ही बंधन हो जाते हैं...
हम तो बंध जाते हैं किसी रिश्ते से और सामने वाला उसकी न अहमियत समझता है और न उस रिश्ते की इज्ज़त ही करता है...!!
ख़ूबसूरत अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteबढ़िया |
ReplyDeleteबधाई अमरेन्द्र जी ||
sundar abhivykti...
ReplyDeleteबहुत खूबसूरती से दिल से बंधे रिश्ते को परिभाषित किया है ...कुछ शब्द जो दिल से दिल तक की बात को समझते है .....बहुत अच्छी प्रस्तुति
ReplyDeleteमनोभावों की ज़बरदस्त अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteबहुत उम्दा!!
ReplyDeletekya baat hei ..bahut sunder..aek shikaare ki kahani ..
ReplyDeleteहमसे आया न गया ,उनसे बुलाया न गया
ReplyDeleteफासला प्यार में दोनों से मिटाया न गया .
अच्छी रागात्मक अभिव्यक्ति है आपकी पोस्ट की .
भावों से नाजुक शब्द......बेजोड़ भावाभियक्ति....
ReplyDeleteकुछ तो मजबूरियाँ रही होंगी यूँ ही कोई बेवफ़ा नहीं होता ......किसी ने ठीक ही कहा है !
ReplyDeleteउम्दा !
अच्छी प्रस्तुति
ReplyDeletedo vipreet vyvahaar hi to pyar karte hain.
ReplyDeletesunder prastuti.
"तुमसे कभी बन्धनों में बंधा न गया
ReplyDeleteऔर न हमसे नये साहिलों से रिश्ता बनाया गया"
बहुत सुंदर रचना ! बधाई !
bhaut hi umda likha hai apne...
ReplyDeletebhaut hi umda likha hai apne...
ReplyDeleteतुम रहे इक आजाद पंछी
ReplyDeleteमै इक बंधा ''शिकारा''
तुमने रुकना मुनासिब नहीं समझा
न कभी मुझसे तुम्हे रोका ही गया
khoob ..... Behtreen bhav
सुन्दर एवं भावपूर्ण रचना ...बधाई स्वीकार करें !
ReplyDeleteमेरी नई पोस्ट पे पधारें !
viry nice ...!!!
ReplyDeleteआज़ाद पंछी और बंधा शिकारा ...
ReplyDeleteमन को घरे छूते हुए प्रतिमानों ने कविता की भावना को बहुत स्पष्ट किया !
Badhiya post.
ReplyDeleteतुम रहे इक आजाद पंछी
ReplyDeleteमै इक बंधा ''शिकारा''
तुमने रुकना मुनासिब नहीं समझा
न कभी मुझसे तुम्हे रोका ही गया
Nihayat sundar panktiyan....waise to sampoorn rachana hee behad achhee hai!
bhut pyari rachna hae bdhai..........
ReplyDelete@ Sanjay Bhaskar ji
ReplyDelete@ Sada ji
@ P Singh ji
@ Rahul Sir ji
Aap sabhi ka bahut bahut shukriya
@ Punam Ji
ReplyDelete@ Sandhya Sharma ji
@ Ravikar ji
@ Reena Maurya ji
@ Anju Di Ji
aap apna sneh aise hi banaye rahiye
@ Kuwar Kusumesh ji
ReplyDelete@ Sameer ji
@ Dershan ji
@ Veerubhai ji
@ Sushma ji
aap sabhi shubchintko se nivedan hai ki aise hi apna aseem pyar banaye rahiye .aabhat
@ Chandra Bhusan Ji
ReplyDelete@ Anamika ji
@ Sushila ji
@ Monika Sharma ji
@ Suman Ji
hausla afjai ke liye bahut bahut shukriya
@ Manish Singh ji
ReplyDelete@ Ashok Birla ji
@ Gopal Tiwari ji
@ Kshama ji
@ Sangita ji
yaha tak aane aur apne sunder coomets se nawajne ke liye bahut bahut shukriya
तुम्हे नए रिश्ते बनाने का शौक
ReplyDeleteहमे पुराने बंधन प्यारे
तुमसे कभी बन्धनों में बंधा न गया
और न हमसे नये साहिलों से रिश्ता बनाया गया ...
अक्सर ये फर्क फांसले पैदा करता है और दूरी बडती जाती है ... बहुत खूब लिखा है ...
बहुत सुन्दर......
ReplyDelete"कभी तुम मुझसे छुपाते गए
कभी मुझसे दिखावा न हुआ"
खूबसूरत जज़्बात...
वाह.
dil ko chu gayi ye rachna...soch ka ye antar ateet ke rishton se bandhe rahne vale ko bahut dard deta hai...sundar rachna
ReplyDeletewelcome to my blog :)
अच्छी रचना...
ReplyDeleteसादर बधाई...
बहत सुन्दर रचना
ReplyDeleteख़ूबसूरत एहसास के साथ उम्दा प्रस्तुती!
ReplyDeleteबहुत खुबसूरत रचना..बधाई..
ReplyDeleteकोमल भावों से सजी कविता ...बधाई
ReplyDelete@Digembar Naswa ji
ReplyDelete@ Vidya ji
@Monika Jain ji
@ S M Habib Sahab
aap sabhi ka bahut bahut shukriya
@ Mamta Bajpai ji
ReplyDelete@ Urmi ji
@ Maheshwari Kaneri ji
@ Vandana ji
aap sabhi ka tahe dil se shukriya
aise hi aap apna sneh banaye rakhe
बेहद खुबसूरत ,
ReplyDeleteVah! Bahut khoob!
ReplyDeleteख़ूबसूरत एहसास .......
ReplyDeleteaapki rachna padhkar kisi film ka ek pyara sa geet yaad aa gaya...
ReplyDeletehumse aaya na gaya
tumse bulaya na gaya
faasla pyaar ka dono se mitaya na gaya...
bhaavpurn rachna, badhai.
मजबूरियां है दोनों तरफ , अच्छी रचना
ReplyDeleteवाह वाह,क्या बात है .
ReplyDeleteतुम रहे इक आजाद पंछी
ReplyDeleteमै इक बंधा ''शिकारा''
तुमने रुकना मुनासिब नहीं समझा
न कभी मुझसे तुम्हे रोका ही गया
बहुत खूब लिखा है ...........
तुम्हे नए रिश्ते बनाने का शौक
ReplyDeleteहमे पुराने बंधन प्यारे
तुमसे कभी बन्धनों में बंधा न गया
और न हमसे नये साहिलों से रिश्ता बनाया गय...wah kya marm hai kavita mein ..gajab
@ Amrita Tanmay ji
ReplyDelete@ Rajeev Panchhi ji
@ Dr. Shabnam ji
@ Sunil Kumar ji
aap sabhi ka bahut bahut shukriya yaha tak aane aur rachna ka maan rakhne ke liye saath hi saath naye vers ki hardik shubkamanye
@ Kunwar Kusumesh ji
ReplyDelete@ Manjula Ji
@ Nirjher Jheer ji
aap sabhi ka bahut bahut shukriya yaha tak aane aur rachna ka maan rakhne ke liye saath hi saath naye vers ki hardik shubkamanye
amar ji
ReplyDeleteतुम्हे नए रिश्ते बनाने का शौक
हमे पुराने बंधन प्यारे
तुमसे कभी बन्धनों में बंधा न गया
और न हमसे नये साहिलों से रिश्ता बनाया गया
bahut saari baaten bayan karti hain ye panktiyan
bahut hibehatreen
badhai
poonam
Poonam ji bahut bahut shukriyan.aap aise hi apna sneh banaye rakhe ............aabhar
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