Wednesday, June 9, 2010
"फिर साथ - साथ चलते है"
मेरी जिंदगी के कुछ लम्हे,
खास बन गए,
जब तक थे साथ मेरे
मेरी सांस बन गए,
मै हूँ जब तक,
मै हूँ आपका ,
आप भले ही हमसे ,
घात कर गए ,
आप समझ न पाए
मेरे हालात को ,
बेवफाई का नाम दिया है,
मेरे जज्बात को ,
याद तुम्हे आती न होगी
मुमकिन है ये
पर जब आती होगी
तो बस "याद" आती होगी
बहते होंगे तेरे भी नैनों से झरने,
जब यादों के झुरमुट में आते होंगे,
कोई तो काँटा होगा,
जो तुम्हारे दामन में चुभ जाता होगा ,
बंद कर के अपनी आँखे,
तुम निकल न पाते होंगे ,
लाख कोशीस करके भी
कुछ पल को ठहर जाते होगे,
चलो मिलते है एक बार फिर से
शिकवे भी दूर करते है,
वक्त ने साथ दिया
तो फिर साथ - साथ चलते है,
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सुंदर रचना
ReplyDeleteगाँधी जी का तीन बन्दर का सिद्धांत-एक नकारात्मक सिद्धांत...
http://iisanuii.blogspot.com/2010/06/blog-post_08.html
shukriya shanu ji
ReplyDeleteबहुत रोचक और सुन्दर अंदाज में लिखी गई रचना .....आभार
ReplyDeleteSanjay Ji bahut bahut shukriya............
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