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Friday, March 26, 2010

~ "मिलन की कहानी "~


~ "मिलन की कहानी " ~

"कही फूल कही भवरे कही रात और दिन ...

सारी रुत तेरी मेरी कहानी निकले ..."


"जब भी तेरा ख्याल करू ...

मेरी सांसो से तेरी ही खुशबु निकले ..."


"कही ओस कंही बादल तो कही रिमझिम बारिश ...

सारे मंजर में तेरे मेरे ही किस्से निकले ..."


"कही पत्तो की सरसराहट कही चाँद और चांदनी . ..

सारी रंगिनिया तेरे मेरे मिलन की कहानी निकले ..."


"दूर होकर भी हम दूर नहीं ............

आज दुरी के उस पार 'हम' निकले ................

2 comments:

  1. मिलन की कहानी की भावनाए अच्छी हैं !लिखते रहिये ! शुभकामनायें !

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  2. Pranam Badi MAA ..................sader charan Sparsh.........

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