"माँ मै कोसो दूर हूँ तुमसे"
माँ मै कोसो दूर हूँ तुमसे
पर तुम मेरे पास हो माँ
रोज रात में बाते करती, बिना फ़ोन के मेरी माँ
पास नहीं दूर हूँ उनसे , फिर भी मेरे पास है माँ
हर रात को सोने से पहले , लोरी अब भी गाती माँ
मुझे खिलाकर और सुलाकर , सोने जाती मेरी माँ
कैसे मेरे दिन -रात गुजेरते
बिन तेरे हैरान हूँ माँ ..........
आज नहीं कल आ जाऊंगा
दो दिन की तो बात है माँ
"माँ मै कोसो दूर हूँ तुमसे
पर तुम मेरे पास हो माँ
पर तुम मेरे पास हो माँ
रोज रात में बाते करती, बिना फ़ोन के मेरी माँ
पास नहीं दूर हूँ उनसे , फिर भी मेरे पास है माँ
हर रात को सोने से पहले , लोरी अब भी गाती माँ
मुझे खिलाकर और सुलाकर , सोने जाती मेरी माँ
कैसे मेरे दिन -रात गुजेरते
बिन तेरे हैरान हूँ माँ ..........
आज नहीं कल आ जाऊंगा
दो दिन की तो बात है माँ
"माँ मै कोसो दूर हूँ तुमसे
पर तुम मेरे पास हो माँ
bahut pyaari aur sachhi bhavna.......
ReplyDeleteyun hi likhte rahiye...
Ashok ji shukriya ...........
ReplyDeleteमाँ तो हमेशा हमारे दिल में होती है
ReplyDeleteमर्मस्पर्शी रचना...