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Wednesday, November 25, 2009

मेरा नसीब

जो चाहा कभी न मिला मुझे 
कुछ ऐसी तकदीर पायी है 
जो देखे सपने हमने 
वो कभी न सच हुए ,
कुछ ऐसी तक़दीर पायी है 
जो ख्वाब बुना इन आँखों ने 
वो ख्वाब ही रह गए 
कुछ ऐसी तक़दीर पायी है 
जब भी संभलना चाहा
त्यों ही डगमगाए कदम 
कुछ ऐसी तक़दीर पायी है 
जाने कैसे लोग तुफानो के झंझावातों में डटे रहे 
मेरी कश्ती तो हलकी  सी लहर में भी भर आयी है 
न जाने क्यू ..................................................

3 comments:

  1. "जाने कैसे लोग तुफानो के झंझावातों में डटे रहे
    मेरी कश्ती तो हलकी सी लहर में भी भर आयी है "
    Perfect one...love these lines...too much meaningful...came first time on ur blog and it is great..Keep it up !!!

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