'सफ़ेद हंस'
इक दिन
रह जाओगे ,
समुंदर में मोती की तरह
बेशकीमती, पर,
कैद अपने ही दायरे में
अपनी ही तनहाइयों के साथ ..........
कितनी ही परते
चढ़ी होंगी तुम पर ,
कितने ही कठोर
बन चुके होंगे तुम
फिर भी
ढून्ढ ही लेगा मोती चुगने वाला 'सफ़ेद हंस'
तुम्हे,
तोडकर तुम्हारा अभिमान
बिखरा देगा
धरातल पर ,
पल भर में तोड़ देगा,
तुम्हारा झूठा गुरुर
सोच कर वो दिन
मै आज से हैरान हूँ,
तुम मेरे लिए न सही
मै तुम्हे सोचकर परेशान हूँ ........
===="अमर"====
30.06.2012
30.06.2012
बहुत गहन अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteबहुत खूब ....लेखिनी भी धवल सी ...
ReplyDeleteसोच कर वो दिन
ReplyDeleteमै आज से हैरान हूँ,
तुम मेरे लिए न सही
मै तुम्हे सोचकर परेशान हूँ ........
वाह ... बेहतरीन
बहुत सुन्दर....
ReplyDeleteकोमल भावों से सजी, प्यारी सी रचना.....
अनु
सोच कर वो दिन
ReplyDeleteमै आज से हैरान हूँ,
तुम मेरे लिए न सही
मै तुम्हे सोचकर परेशान हूँ ........ कोमल भावो की अभिवयक्ति......
सुंदर रचना ..!!
ReplyDeleteशुभकामनायें ..!!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDelete--
इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (01-07-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
Shukriya Shastri ji , aapka sneh hi to hame likhne ke liye prerit kerta hai.......aabhar
Deleteसोच कर वो दिन
ReplyDeleteमै आज से हैरान हूँ,
तुम मेरे लिए न सही
मै तुम्हे सोचकर परेशान हूँ .
बहुत खूबशूरत भावों की अभिव्यक्ति ,,,
सुंदर संम्प्रेषण,,,,अमरेन्द्र जी बधाई ,,,
MY RECENT POST काव्यान्जलि ...: बहुत बहुत आभार ,,
वाह, अद्भुत
ReplyDeleteकोई हमारा मोल तो समझे..
ReplyDeleteकाश!
ReplyDeleteबहुत ही उम्दा!
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteइक दिन
ReplyDeleteरह जाओगे ,
समुंदर में मोती की तरह
बेशकीमती, पर,
कैद अपने ही दायरे में
अपनी ही तनहाइयों के साथ
ढूंढ ही लेगा कोई हंस. बहुत सुंदर.
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति....
ReplyDeleteइक दिन
ReplyDeleteरह जाओगे ,
समुंदर में मोती की तरह
बेशकीमती, पर,
कैद अपने ही दायरे में
अपनी ही तनहाइयों के साथ ..........
बहुत सुन्दर शब्दों में अभिव्यक्ति है.
बहुत सुन्दर शब्दों में अभिव्यक्ति है.
ReplyDeleteसमय में अनंत सम्भावनायें छिपी हैं!
ReplyDeleteबहुत खूबशूरत अभिव्यक्ति ......अमरेन्द्र जी
ReplyDeleteबहुत खूबशूरत अभिव्यक्ति .....अमरेन्द्र जी
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना, बधाई.
ReplyDeletewaah bahut acchi abhiwayakti ...padhkar dil khush ho gaya ...
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