वो लबो पे मेरा नाम जो लाते
तो हम दौड़े चले आते थे ,
आज हमने पुकारा
तो वो कहते है
तुम्हारे दामन में कई कांटे है
मैंने कहा
जिसे मिल जाये, तुमसा बागबां
उसके दामन में कांटे भी फूल बन जाते है
ये नसीब मेरा है जो कांटे है मेरे दामन में
फूल होते तो कब का टूट गए होते
बड़ी शिद्दत से सींचा है
इनको मैंने
खुशियों कि चाह में
ये बने है फूल
आज तुम्हारी राह में
फूल तो बहुत तोड़े होंगे तुमने
कभी कांटे भी तोड़ के देखो
यूँ तो फूलो कि कोमलता से भी
तुम सहम गयी होगी
आज काँटों की नर्मी भी देखो
झुक रही थी वादियाँ कल तक इशारो पे मेरे
आज पलके भी झुकती नहीं
कल तक साथ थे, मेरे साये की तरह
आज परछाई भी बनते नहीं
कल तक मेरे दामन में उनके प्यार की बारिश थी
आज तन्हाई के बादल है जो बरसते नहीं..........
behatreen kavita
ReplyDeletekhoobsurat kavita shukla ji...
ReplyDeletesiddat agar SHIDDAT hota to aur achha hota!
ये नसीब मेरा है जो कांटे है मेरे दामन में
ReplyDeleteफूल होते तो कब का टूट गए होते
क्या कहूं इतनी खूबसूरत रचना पर,
फूलों और बहारों पर शेर लिखते देखा था आज कांटो से भी रूबरू हो गए.....
बहुत सुंदर और दिल को छूने वाली रचना!!
Surendra Ji bahut bahut shukriya jo aapne is or dhyan dilaya, kshama chahunga bhul ke liye......abhi sahi ker diya hai ......shukriya tahe dil se
ReplyDeletebhut hi pyari rachna....
ReplyDeleteकिसी अज्ञात शायर का शेर याद आ गया......
ReplyDeleteकांटा समझ के हमसे न दामन छुड़ाइए
गुजरी हुई बहार की एक यादगार हूँ.
यूँ तो फूलो कि कोमलता से भी
ReplyDeleteतुम सहम गयी होगी
आज काँटों की नर्मी भी देखो
बहुत खूब ..सुन्दर अभिव्यक्ति
गुलों से खार बेहतर हैं जो दामन थाम लेते हैं ...
ReplyDeleteकविता को पढ़ते यही पंक्तियाँ याद आयी !
अरुण चन्द्र रॉय ji yaha aane aur rachna ka maan rakhne ke liye bahut bahut shukriya
ReplyDeleteनश्तरे एहसास ji shukriya is kalam band sipahi ki sairgah me aane ka
ReplyDeletesushma 'आहुति' ji bahut bahut shukriya
ReplyDeleteअरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com) ji shukriya
ReplyDeleteडॉ॰ मोनिका शर्मा ji shukriya yaha tak aane ke liye
ReplyDeleteSuman ji shukriya hmare gher (blog)me apne kadam rakhne ke liye
ReplyDeletepyari si dil ko chhuti rachna......
ReplyDeletebahut pyaree, khoobsurti se dard ko bya karti rachna !man ko chhugai !
ReplyDeleteआप एकदम दिल से लिखते हैं...बड़े अच्छे तरीके से बागबाँ तक अपनी बात पहुंचा दी...
ReplyDeleteसंगीता स्वरुप ( गीत ji abhari hu aapka
ReplyDeleteवाणी गीत ji shukriya
ReplyDeleteसुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ ज़बरदस्त रचना! हर एक पंक्तियाँ लाजवाब लगा! बधाई!
ReplyDeleteBabli ji bahut bahut shukriya
ReplyDeleteबहुत खूब ... काँटों का साथ इतना बुरा भी नहीं ...
ReplyDeleteदिगम्बर नासवा ji bikul sahi kaha hai aapne....kaanto ka saath kabhi bhi bura nahi hota.wo to bus hume apne hone ke ahsaas dilate hai.......shukriya
ReplyDelete'ये नसीब मेरा है जो कांटे है मेरे दामन में
ReplyDeleteफूल होते तो कब का टूट गए होते'
बहुत सच कहा...ख़ूबसूरत रचना
"ये नसीब मेरा है जो कांटे है मेरे दामन में
ReplyDeleteफूल होते तो कब का टूट गए होते !"
सच है ...
फूलों की ज़िंदगी कुछ दिन की
और कांटे हैं जो सूख के भी
अपनी जगह नहीं छोड़ते...!!
बहुत....ख़ूबसूरत रचना सोच रहा हूं ...किसकी तारीफ करूं सुंदर कविता की ...आपकी सोच की ...या लेखनी की जिनसे ये शब्द जन्म लेते हैं ...बेमिसाल प्रस्तुति ..।
ReplyDeleteकरीब 15 दिनों से अस्वस्थता के कारण ब्लॉगजगत से दूर हूँ
ReplyDeleteआप तक बहुत दिनों के बाद आ सका हूँ,
Punam ji shukriya itne sunder comments dene ke liye
ReplyDeleteChandra Bhushan Mishra 'Ghafil'ji bahut bahut shukriya yaha tak aane aur apne sunder comments se hame bhavibhut kerne ke liye
ReplyDeleteसंजय भास्कर ji aapka swathya accha ho gaya jaan ker accha laga.aapke sneh ke liye abhar****
ReplyDeleteVivek Jain ji shukriya
ReplyDeleteझुक रही थी वादियाँ कल तक इशारो पे मेरे
ReplyDeleteआज पलके भी झुकती नहीं
Apki kavita seedhe dil ko chhoti hai Amrandra ji.Bahut behtareen.
सुबीर रावत ji shukriya itne sunder comments dene ke liye
ReplyDeletebahut marmsparshi rachna hai.bahut pasand aai.Amar tum bahut achcha likhte ho.mere blog par aaye mujhe achcha laga.shukriya.aapka blog follow kar rahi hoon taki aapki nai rachnaon se avgat ho sakoon.
ReplyDeleteRajesh Kumari ji aap yaha tak aayo hume accha laga, aur aapka comments to bahut hi accha laga....aapke is sunder comments ke liye mere pas sabd nahi hai badhai dene ke liye.............
ReplyDeleteये नसीब मेरा है जो कांटे है मेरे दामन में
ReplyDeleteफूल होते तो कब का टूट गए होते
kanton se hee to fool mahafooz rahate hai. sundar rachana\
Rakibon se rafeek achchhe ,jo jalkar naam leten hain ,Gulon se khaar behtar hain ,jo daaman thaam leten hain .
ReplyDeleteSorry amrendra bhai Transliteration is non -opretive at this point of time .
Good to read good stuff emotional loading with tones and overtones .
झुक रही थी वादियाँ कल तक इशारो पे मेरे
ReplyDeleteआज पलके भी झुकती नहीं
कल तक साथ थे, मेरे साये की तरह
आज परछाई भी बनते नहीं
बहुत ही सुन्दर और सारगर्भित पोस्ट....
निर्मला कपिला ji itne behter alfajo se aapne rachna ko nawaja .bahu bahut sghukriya.
ReplyDeleteveerubhai ji prem prem hi hota hai chahe wo kisi bhasa me bhi ho.............aapka comments bahut accha laga.....aise hi ab aana jana lagarahe to bahut hi accha lagega...Abhar.....
ReplyDeleteDr Varsha Singh ji aabhar
ReplyDeleteरफीकों से रकीब अच्छे जो जलके नाम लेतें हैं ,
ReplyDeleteगुलों से खार बेहतर हैं जो दामन थाम लेतें हैं .
अमरेन्द्र भाई मौसम बदलता रहता है .
प्यार का रंग भी ,
ज़िन्दगी का ढंग भी ,
यही प्रगतिवाद है ,तरक्की है .
वो लड़की जो कल मिली थी ,
अपनी बात की पक्की है
bahut hi acchi rachna shukla ji
ReplyDeletethanks for comments on my blog shukla ji
"samrat bundelkhand"
Upendra Shukla ji rachna ka maan badhane ke liye bahut bahut shukriya
ReplyDeleteKanta samaz ke muzse na daman bachaeeye
ReplyDeleteGujare hue bahar kee ek yadgar hoon.
sunder prastuti.
Mrs. Asha Joglekar ji yaha tak aane aur rachna ke maan ko banaye rakhne ke liye bahut bahut shukriya......................
ReplyDeleteKya bhav hai , kya shama bandha hai , achchha likha hai , shubhkamna.........
ReplyDeleteKya bhav hai , kya shama bandha hai , shubhkamna.....
ReplyDeleteAmrita ji shukriya itne sunder comments dene ke liye
ReplyDeleteयूँ तो फूलो कि कोमलता से भी
ReplyDeleteतुम सहम गयी होगी
आज काँटों की नर्मी भी देखो
बहुत खूब ... बहुत ख़ूबसूरत रचना.....
Snadhya Sharma ji Bahut Bahut Shukriya
ReplyDeleteयूँ तो फूलो कि कोमलता से भी
ReplyDeleteतुम सहम गयी होगी
आज काँटों की नर्मी भी देखो
बहुत ही सही कहा आपने
Shukriya deepak ji
ReplyDeleteफूल और कांटे पर बहुत सुन्दर नजरिया प्रस्तुत किया है आपने.
ReplyDeleteसुन्दर भावाभिव्यक्ति के लिए आभार.
क्या बात है,
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना.
बहुत सुंदर ...कांटे कभी मुरझाते नही हैं ..हमेशा ताजा बने रहते हैं..
ReplyDeleteRakesh Kumar Ji bahut bahut Shukriya hausla afjai ke liye
ReplyDeleteKunwar kusumesh ji aapko tahe dil se hardik aabhar........
ReplyDeleteDershan kaur ji hausla afjai ke liye shukriya
ReplyDeleteबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति..आज पहली बार यहाँ आई हूँ बार-बार आना चाहुँगी । बहुत अच्छा लगा ..शुभकामनाएँ
ReplyDeleteKaneri ji aapne yaha aaker rachna ka maan rakha bahut accha laga........shukriya
ReplyDeletebahut sunder rachna, achha laga padhna.
ReplyDeleteshubhkamnayen
Prritiy ji shukriya
ReplyDeletenice collection..
ReplyDeleteanchal ji shukriya
ReplyDeleteजीने का ये भी अंदाज़ है.....
ReplyDeleteबहुत प्यारी कविता...
VEENA JI SHUKRIYA YAHA TAK AANE AUR RACHNA KA MAAN BADHANE KE LIYE AABHAR
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सारगर्भित रचना , सुन्दर भावाभिव्यक्ति , आभार
ReplyDeleteरक्षाबंधन एवं स्वाधीनता दिवस के पावन पर्वों की हार्दिक मंगल कामनाएं.
amarji,
ReplyDeletenamaskar
aapke blog ki har rachna anoothi hai,
kahee virah, kahee milan .kahee barish, kahee
kante,jitani tareef karun kam hai.padhkar bar2
aapki pratibha ko naman karne ko man karta hai,
thanks.
S N shukla ji rachna ka maan badhane ke liye bahut bahut shukriya.........
ReplyDeleteDr sushila gupta ji bahut bahut shukriya , aapke sunder comments ne rachna ki sarthakta siddh ker di
ReplyDeleteसुंदर काव्याभिाव्यक्ति।
ReplyDeleteAdarniya Mahendra Verma ji bahut bahut shukriya............aise hi apna sneh hum per banaye rakhe ............sadar
ReplyDeleteno words to say......
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