ये दिन भी बड़े अजीब हैं
जब शाम ढले तुम पास आते हों
दोपहर अपनी सुनहरी चादर समेटता
शाम फैलाती अपनी ठंडी-ठंडी बाहें
रात की रागिनी करती हमारा इन्तजार
अपनी पनाहों में लेने को
चाँद भी चांदनी को भेजता ज़मी पर
हमे अपनी भीनी भीनी रौशनी में जगमगाने को
ये तारे भी
हमे अपने होने का अहसास दिलाते
देख कर हमारे मिलन की बेला
कही दूर गगन में टूट से जाते
तारो से बिछड़ने का गम
चाँद भी न सह पता
मुझे तेरे आँचल में देखकर
चंद पलो में रात को लेकर चला जाता
और कब हमारे मिलन की ऋतु बीत जाती
ये हम जान भी न पाते
हम फिरआने वाली शाम का इंतजार करते,
ये दिन भी बड़े अजीब हैं
जब शाम ढले तुम पास आते हों
ये तारे भी
ReplyDeleteहमे अपने होने का अहसास दिलाते
देख कर हमारे मिलन की बेला
कही दूर गगन में टूट से जाते
सुंदर अभिव्यक्ति .....
शब्द जैसे ढ़ल गये हों खुद बखुद, इस तरह कविता रची है आपने।
ReplyDeleteअमरेंदर भाई तारीफ के लिए हर शब्द छोटा है - बेमिशाल प्रस्तुति - आभार.
nice poem congrats.shukla ji
ReplyDeleteशानदार रूमानी कविता।
ReplyDelete---------
ब्लॉगवाणी: ब्लॉग समीक्षा का एक विनम्र प्रयास।
कोमल अहसासों का सुन्दर चित्रण किया आपने बधाई!
ReplyDeleteकोमल कोमल अहसासात कविता में ढल गए .बहुत बढ़िया.
ReplyDeleteplz.visit my blog: kunwarkusumesh.blogspot.com
ये तारे भी
ReplyDeleteहमे अपने होने का अहसास दिलाते
देख कर हमारे मिलन की बेला
कही दूर गगन में टूट से जाते
बहुत खूब ... अच्छे भावों से सजाया है रचना को ..
"ये तारे भी
ReplyDeleteहमे अपने होने का अहसास दिलाते
देख कर हमारे मिलन की बेला
कही दूर गगन में टूट से जाते.."....
...शानदार रूमानी कविता।
डॉ॰ मोनिका शर्मा जी बहुत बहुत शुक्रिया
ReplyDeleteसंजय जी रचना का सम्मान रखने क लिए शुक्रिया.
ReplyDeleteजयकृष्ण राय तुषार जी हौसला अफजाई के लिए आभारी हु आपका , उम्मीद है अब मिलना जुलना लगा रहेगा
ReplyDeleteज़ाकिर अली ‘रजनीश' जी शुक्रिया
ReplyDeletektheLeo जी शुक्रिया
ReplyDeleteभावनाओं का सुन्दर अहसास.
ReplyDeleteसुंदर अभिव्यक्ति ..... आभार.
ReplyDeleteइस आने वाली शाम की सुबह भी जल्द आए.
ReplyDeleteAcchi Rachna hai dear, congrats.
ReplyDeleteप्रेमरस में सराबोर सुन्दर शब्दरचना बहुत ही मनमोहक है !
ReplyDeleteये तारे भी
ReplyDeleteहमे अपने होने का अहसास दिलाते
देख कर हमारे मिलन की बेला
कही दूर गगन में टूट से जाते
सुंदर पंक्तियां...सुंदर भाव
Kunwar Kusumesh ji shukriya
ReplyDeleteदिगम्बर नासवा ji shukriya yaha tak aane k liye aur
ReplyDeleterachna ka maan badhane k liye
Arun ji bahut bahut shukriya
ReplyDeleteBakliwal ji rachna ka samman rakhne k liye aapke bahumulya commenta k liye abhari hu
ReplyDeleteBakuni sahab shukriya
ReplyDeleteRajesh ji shukriya.aur is shaam ki subah bhi jald hi aayegi ...bus aap aise hi aate rahiye
ReplyDeleteAbhishek ji thanx a lot
ReplyDeleteSurendra singh ji shukriya
ReplyDeleteVeena ji is gher (blog)ki shobha me char chand lagane k liye mai aapka dil se abhari hu shukriya
ReplyDeleteशब्दों मे भावनाओं का चित्रण अच्छा लगा। शुभकामनायें।
ReplyDeleteवाह...प्रेमपूर्ण बहुत ही भावुक कोमल मनोहर अभिव्यक्ति....
ReplyDeleteNirmala Di Ji Pranam aur aapka yaha aana hume bahut accha lagta hai, abhaar
ReplyDeleteShukriya Ranjana jI
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteबहुत अजीब होते हैं प्रेम के पल.
ReplyDeleteउम्दा अभिव्यक्ति.
सलाम.
रात की रागिनी करती हमारा इन्तजार
ReplyDeleteअपनी पनाहों में लेने को
चाँद भी चांदनी को भेजता ज़मी पर
हमे अपनी भीनी भीनी रौशनी में जगमगाने को ....
हृदयस्पर्शी पंक्तियां हैं......
अच्छी कविता के लिये बधाई स्वीकारें।
आपकी इस अति सुंदर रचना के लिए ढेर सी बधाई.आप मेरे ब्लॉग
ReplyDelete'मनसा वाचा कर्मणा' आये इसके लिए आपका आभारी हूँ .कृपया ,
समय समय पर आकर अपने बहुमूल्य विचारों से सहयोग प्रदान करते रहिएगा .
बहुत खूबसूरत एहसास .....पता की जगह पाता कर लें ..
ReplyDeleteये तारे भी
ReplyDeleteहमे अपने होने का अहसास दिलाते
देख कर हमारे मिलन की बेला
कही दूर गगन में टूट से जाते
sundar bahut hi .aap aaye aabhari hoon .
वाह ...बहुत ही सुन्दर शब्द रचना ...मेरे ब्लाग पर प्रोत्साहन के लिये आपका आभार ।
ReplyDeleteतारो से बिछड़ने का गम
ReplyDeleteचाँद भी न सह पता
मुझे तेरे आँचल में देखकर
चंद पलो में रात को लेकर चला जाता
और कब हमारे मिलन की ऋतु बीत जाती
ये हम जान भी न पाते
हम फिरआने वाली शाम का इंतजार करते,
बहुत गहरे और प्रेम भरे कोमल अहसास... बहुत सुन्दर... इंतज़ार की कशिश है हर शब्द में....
बहुत ही सुन्दर शब्द रचना|धन्यवाद|
ReplyDeletesagebob ji aapka yaha per aana bahut accha laga,
ReplyDeleteumeed kerta hu aap apna pyar aur sneh aise hi banaye rakhengi.....shukriya
Dr (Miss) Sharad Singh ji aapke bahumulya commenta k liye bahut bahut shukriya......
ReplyDeleteRakesh Kumar ji bahut bahut shukriya, aapka yaha tak aane aur apna bahumulya comments dene k liye ,
ReplyDeleteummed kerta hu ab aise hi aana jana laga rahega ......
संगीता स्वरुप ( गीत )ji aapke keemti sujhao k liye mai tahe dil se shukriya ada kerta hu .......
ReplyDeleteaapke comments se ahsaas hota hai ki wakai me aapne dil se comments diya hai , sudhar kerne ke liye mai aapka bahut bahut abhari hu
jyoti singh ji ye sab to chalta hi rahega kabhi hum aapke gher aayenege , kabhi aap humare gher, choti si to duniya hai aana jan to laga hi rahega ...shukriya aapke bahumulya sabdo se bhare comments ka ...........
ReplyDeleteSada ji yaha tak aap aayi aur apne bahulya comments se rachna ka maan badhaya.mai aapka abhari hu
ReplyDeleteSandhya ji rachna ko uske anjaam tak pahuchane k liye bahut bahut shukriya
ReplyDeleteMithilesh dubey ji shukriya .aur ha hum b aapke saath hai
ReplyDeletePatali-The-Village ji shukriya
ReplyDeleteप्रिय बंधुवर अमरेन्द्र जी
ReplyDeleteसस्नेहाभिवादन !
ये दिन भी बड़े अजीब हैं
जब शाम ढले तुम पास आते हों
वाह जी वाह ! क्य बात है ! :)
बसंत ॠतु की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
Rajendra Swarnkar ji hausla afjai k liye bahut bahut shukriya, aapko bhi Basant ritu ki hardik badhai aur shubkamnaye
ReplyDeleteभगत सिंह तुम फेल आदमी हो,तुम जिन आदर्शो और सिधान्तो की बात करते हो वो भी तुम्हारी तरह फेल है,क्योकि उनमे सिर्फ देशभक्ति है राजनीती नहीं,इसी कारण वो हर जगह फेल है!
ReplyDeleteतुम हालात को देख कर अपने सिधांत लिखते,क्या तुम्हे पता नहीं था की जो युवा तुम्हारे साथ तुम्हारे वक़्त में नहीं थे उनकी संताने तुम्हारे साथ भविष्य में कैसे होंगी!
तुम्हारे देशभक्ति भरे सिधान्तो की वजह से मै रोज बापू के बेटो के निशाने पर रहता हूँ,मुझे शिकायत है तुमने उसमे राजनीती क्यों नहीं जोड़ी!
और तो और तुम बेकार में फांसी चढ़ गए बिना लालच,तुम्हे राजनीती करनी थी ताकि हमे भी सत्ता का सुख मिलता,कही तुम भी चरखा ले कर बैठ जाते,क्यों जुल्म के खिलाफ पिस्तोल उठाई?
तुम्हारे सिधान्तो को कोई नहीं पढता क्योकि वो कीमत मांगते है,जज्बा मांगते है त्याग मांगते है,तुम्हे भी अपने समकालीन नेताओ की तरह सिधांत गढ़ने चाहिए थे,जिनमे सब कुछ मिलता हे मिलता है खोना कुछ नहीं पड़ता!
और तो और तुम्हे तुम्हारी जानकारी के लिए बता दू की आंशिक रूप से आजाद इंडिया की सरकार की नज़र में तुम्हारी कीमत एक रुपये,दो रुपये से ज्यादा नहीं है और दूसरी तरफ तुम्हारे दौर के बकरी वाले बाबा हजारो पर छाए हुए है,अगर मेरा ख़त पढ़ रहे हो तो दोबारा जन्म मत लेना, नहीं तो सरकार तुम्हे आतंकवादी कह कर जेल में सडा देगी,फांसी भी नहीं देगी!
ये सब लिखते हुए मेरी आँखों में आंसू है तुम्हारे लिए,कलम भी डगमगा रही है,लेकिन भगते भाई मै मजबूर हूँ तुम्हारे सच्चे सिधान्तो की लाश अब और नहीं ढो सकता,मेरे लिए खुद की रोज़ रोज़ बेइजती करवाना मुश्किल है,भाई शेर को कुत्तो ने चारो तरफ से घेर रखा है,आखिर कब तक वो अकेला इनसे लडेगा
जय क्रांति जय हिंद
हेमू सिंह
Hemu ji yaha tak aane apni baat rakhne ke liye bahut bahut shukriya
ReplyDeleteपहली बार ब्लॉग पर आना हुआ पर अच्छा लिखते हैं आप. शानदार अभिव्यक्ति..बधाई. कभी 'शब्द सृजन की ओर' भी आयें.
ReplyDeleteK K Yadava ji bus aapka sneh hai hamare saath so kuch padh leta hu aur kuch likh leta hu .......shukriya
ReplyDeletefirst visit aur itna sundar lekhan.....ab to baar-baar ana padega.
ReplyDeleteV!Vs ji bahut bahut shukriya yaha tal aane ke liye aur itna pyara comment dene k liye .........
ReplyDeleteManpreet Kaur ji shukriya
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुति ।
ReplyDeleteSawai singh ji gher ki dehllej pe kadam rakhne k liye bahut bahut shukriya
ReplyDeleteबहुत खूब लिखा है आपने। बधाई।
ReplyDelete---------
पैरों तले जमीन खिसक जाए!
क्या इससे मर्दानगी कम हो जाती है ?
Rajnish Ji shukriya .........der se hi sahi aap aaye to .mai to isi aas me kab se derwaje ki taref ektak dekh raha tha ........khair intejar ka phal meetha hua
ReplyDeleteआपका ब्लॉग पसंद आया....इस उम्मीद में की आगे भी ऐसे ही रचनाये पड़ने को मिलेंगी
ReplyDeleteकभी फुर्सत मिले तो नाचीज़ की दहलीज़ पर भी आयें-
http://vangaydinesh.blogspot.com/
Dinesh ji sabse pahle to hausla afjai ke lioye bahut bahut shukriya......aur hum aapke gher ki dehleej pe jarur aayenge...bus swagat accha hona chahiye
ReplyDeleteहोली के पावन रंगमय पर्व पर आपको और सभी ब्लोगर जन को हार्दिक शुभ कामनाएँ.
ReplyDeleteमेरी पोस्ट 'ऐसी वाणी बोलिए'पर आपका इन्तजार है.
प्रियवर अमरेन्द्र जी
ReplyDeleteरंगारंग अभिवादन !
अब तो नई पोस्ट डालिए जनाब !
♥ होली की शुभकामनाएं ! मंगलकामनाएं !♥
होली ऐसी खेलिए , प्रेम का हो विस्तार !
मरुथल मन में बह उठे शीतल जल की धार !!
- राजेन्द्र स्वर्णकार
होली पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ|
ReplyDeleteRakesh Kumar @
ReplyDeleteRajendra Swarnkar @
Sawai SIingh Rajpurohit @
aap sabhi ko bahut bahut badhai aur hardik shubkamnaye,
Holi hai*******
भाई जी अब नयी पोस्ट लिखो आपकी पोस्ट का इन्तजार है ...!
ReplyDeleteपहला ब्लॉग अग्रीगेटर टूलबार
ReplyDeleteneh se bhari ek sunder rachna, man ko bhayi.
ReplyDeleteshubhkamnayen
blogtaknik ji blog tak aane le liye bahut bahut shukriya
ReplyDelete: केवल राम : ji jald hi aapko dusri post bhi mil jayegi.aaiyega jarur jachne aur parakhne ke liye........plzzzzz
ReplyDeleteprritiy---------sneh ji thanx a lot for nice comments
ReplyDeleteबहुत सुन्दर पोस्ट
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