सुन ! ऐ जिंदगी
मै तुमको बताना चाहता हूँ
छोड़ दे तू साथ मेरा
मै तुझसे दूर जाना चाहता हूँ
देख लिया तेरे साथ चलकर
तन्हा चलता आया हूँ
कोई भी तो साथ न आया
भीड़ में जलता आया हूँ
जब से जाना है
तन्हाई के आलम को
उसके हर रूप का दीवाना हूँ
तू तो न बना पाया अपना मुझको
मै उसका कल से दीवाना हूँ
तेरा जहाँ -ए - दस्तूर
तुझको मुबारक,
जहाँ हर कदम पे
धोखा है
कहने को तो हर कोई साथ है
पर हर पल आदमी अकेला है
सुन ! ऐ जिंदगी
मै तुमको बताना चाहता हूँ
साथ तो तुम भी चले थे
अब मै तुझे साथ का मतलब बताना चाहता हूँ
जैसे उड़े पतंग डोर क संग
जैसे रहे बिरहन यादो के संग
जैसे लगे नयन
सपनो के संग
वैसे ही रहे तन्हाई अब मेरे संग,
सुन ! ऐ जिंदगी
मै तुमको बताना चाहता हूँ
छोड़ दे तू साथ मेरा
मै तुझसे दूर जाना चाहता हूँ
सुन ! ऐ जिंदगी
ReplyDeleteमै तुमको बताना चाहता हूँ
छोड़ दे तू साथ मेरा
मै तुझसे दूर जाना चाहता हूँ
सभी ही अच्छे शब्दों का चयन
और
अपनी सवेदनाओ को अच्छी अभिव्यक्ति दी है आपने.
wah bahut sundar rachna
ReplyDeleteबहुत बढ़िया भावपूर्ण रचना है। बधाई स्वीकारें।
ReplyDeleteSanjay Bhaskar Ji bahut bahut Shukriya aapka ...aise hi sneh banaye rakhe......
ReplyDeleteRohit Meeet Sir,
ReplyDeleteMai kab se aapka intejar ker raha tha .aapke yaha aane se yaha pe char chand lag gaye .shukriya
paramjeet singh bali ji tahe dil se shukriya..............
ReplyDeleteजिन्दगी से सुंदर अपेक्षाएं हैं ! बहुत सुंदर कविता है !जीवन के होने न होने का नियम तो शाश्वत है ! पर समस्या है की हम इसे प्यार करते है ! आपके लिए शुभ कामनाएं !
ReplyDeleteSadar Pranam Badi Maa.................Aaapka ashirwad paker hamesha hi accha lagta hai ........
ReplyDeleteखुदा की एक अमानत है ज़िन्दगी
ReplyDeleteखुशी से जीओ तो नयामत है ज़िन्दगी
ज़िन्दगी से दूर भागने वाले तो कायर होते हैं । ज़िन्दगी को गले लगाओ फिर देखो ज़िन्दगी के रंग। वैसे रचना की कहें तो बहुत अच्छी रचना है। शुभकामनायें।
Nirmala ji bilkul sahi kaha hai aapne .........
ReplyDeleteShukriya
Nirmala ji jindagi se dur jane ka mera tataerya hai ki iski moh maya se dur jana na ki jindagi ka tyag ...bus sansarik sheejo se dur jo kabhi sath nahi deti ...............
ReplyDeletewaise mai aapki baat se sahmat hu ........aapka snehi amrendra
सुन ! ऐ जिंदगी
ReplyDeleteमै तुमको बताना चाहता हूँ
छोड़ दे तू साथ मेरा
मै तुझसे दूर जाना चाहता हूँ
.
सुंदर एहसास के साथ सुंदर कविता. ....अच्छी प्रस्तुति .
Shukriya upendra ji
ReplyDeletebahut badiya...
ReplyDeletemere blog par bhi sawagat hai..
Lyrics Mantra
thankyou
Harman ji yaha tak aane k liye shukriya
ReplyDeleteNiiiiceeeee
ReplyDeleteबहुत सुन्दर! पर ज़िन्दगी को शायद जीना ही चाहिए !
ReplyDeleteAlokita ji sshukriya
ReplyDeleteBali ji yaha tak aane aur rachna ka maan rakhne k liye bahut bahut shukriya ...........aage se aapki baat ka dhyan rakhunga.....
ReplyDeleteshukriya aapke comment ke liye.. or jaan kar acha laga ki aapko music pasand hai.. music ke liye mere music blog par bhi sawagat hai..
ReplyDeletewww.musiq.tk
shukriya
thanx for nice information
ReplyDeletejindagi se dur kahan jaoge bandhu...:)
ReplyDeletewaise kavita me dumm hai..:)
Mukesh Ji shukriya rachna ka maan rakhne k liye.........aur ha ab aap sabko chod ker kaha jaunga ..............umeed hai ab milna julna laga rahega ...........
ReplyDeleteकभी कभी मन वाकई ऐसे ही ख्यालातो से भर जाता है ...फिर भी हार न मानना ही जीवन है ...बढ़िया भावपूर्ण रचना....
ReplyDeleteजैसे उड़े पतंग डोर क संग
ReplyDeleteजैसे रहे बिरहन यादो के संग
जैसे लगे नयन
सपनो के संग
वैसे ही रहे तन्हाई अब मेरे संग,
बहुत ही खुबसूरत भाव !
बधाई दोस्त !
Manjula Ji Shukriya
ReplyDeletemridula pradhan Ji tahe dil se aapka bahut bahut shukriya..
ReplyDeleteMinakshi Pant ji shukriya.
ReplyDeleteखुशियों भरा हो साल नया आपके लिए
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रस्तुति....बधाई!
ReplyDeleteShiva ji shukriya
ReplyDeleteGuru JI, Ek se Badkar Ek....
ReplyDeleteDinesh Ji shukriya
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर वचन आपकी जितनी तारीफ करू उतनी कम है जी |
ReplyDeleteआप मेरे ब्लॉग पे भी देखिये जीना लिंक में निचे दे रहा हु |
http://vangaydinesh.blogspot.com/
Shukriya dinesh ji
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