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Saturday, December 11, 2010

सुन ! ऐ जिंदगी


सुन ! ऐ जिंदगी 
मै तुमको  बताना चाहता हूँ 
छोड़ दे तू साथ मेरा
मै तुझसे दूर जाना चाहता हूँ  

देख लिया तेरे साथ चलकर
तन्हा चलता आया हूँ
कोई भी तो साथ न आया 
भीड़ में जलता  आया हूँ

जब से जाना है 
तन्हाई के आलम को 
उसके हर रूप का दीवाना हूँ 
तू तो न बना पाया अपना मुझको 
मै उसका कल से दीवाना हूँ

तेरा जहाँ -ए - दस्तूर 
तुझको मुबारक,
जहाँ हर कदम पे 
धोखा  है  
कहने को तो हर कोई साथ है 
पर हर पल आदमी अकेला है 

सुन ! ऐ जिंदगी 
मै तुमको बताना चाहता हूँ
साथ तो तुम भी चले थे 
अब मै तुझे साथ का मतलब बताना चाहता हूँ 

जैसे उड़े पतंग डोर क संग 
जैसे रहे बिरहन यादो के संग 
जैसे लगे नयन 
सपनो के संग 
वैसे ही  रहे तन्हाई अब मेरे संग, 

सुन ! ऐ जिंदगी 
मै तुमको  बताना चाहता हूँ 
छोड़ दे तू साथ मेरा
मै तुझसे दूर जाना चाहता हूँ  

35 comments:

  1. सुन ! ऐ जिंदगी
    मै तुमको बताना चाहता हूँ
    छोड़ दे तू साथ मेरा
    मै तुझसे दूर जाना चाहता हूँ
    सभी ही अच्छे शब्दों का चयन
    और
    अपनी सवेदनाओ को अच्छी अभिव्यक्ति दी है आपने.

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  2. बहुत बढ़िया भावपूर्ण रचना है। बधाई स्वीकारें।

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  3. Sanjay Bhaskar Ji bahut bahut Shukriya aapka ...aise hi sneh banaye rakhe......

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  4. Rohit Meeet Sir,
    Mai kab se aapka intejar ker raha tha .aapke yaha aane se yaha pe char chand lag gaye .shukriya

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  5. paramjeet singh bali ji tahe dil se shukriya..............

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  6. जिन्दगी से सुंदर अपेक्षाएं हैं ! बहुत सुंदर कविता है !जीवन के होने न होने का नियम तो शाश्वत है ! पर समस्या है की हम इसे प्यार करते है ! आपके लिए शुभ कामनाएं !

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  7. Sadar Pranam Badi Maa.................Aaapka ashirwad paker hamesha hi accha lagta hai ........

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  8. खुदा की एक अमानत है ज़िन्दगी
    खुशी से जीओ तो नयामत है ज़िन्दगी
    ज़िन्दगी से दूर भागने वाले तो कायर होते हैं । ज़िन्दगी को गले लगाओ फिर देखो ज़िन्दगी के रंग। वैसे रचना की कहें तो बहुत अच्छी रचना है। शुभकामनायें।

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  9. Nirmala ji bilkul sahi kaha hai aapne .........
    Shukriya

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  10. Nirmala ji jindagi se dur jane ka mera tataerya hai ki iski moh maya se dur jana na ki jindagi ka tyag ...bus sansarik sheejo se dur jo kabhi sath nahi deti ...............
    waise mai aapki baat se sahmat hu ........aapka snehi amrendra

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  11. सुन ! ऐ जिंदगी
    मै तुमको बताना चाहता हूँ
    छोड़ दे तू साथ मेरा
    मै तुझसे दूर जाना चाहता हूँ
    .
    सुंदर एहसास के साथ सुंदर कविता. ....अच्छी प्रस्तुति .

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  12. bahut badiya...

    mere blog par bhi sawagat hai..
    Lyrics Mantra
    thankyou

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  13. Harman ji yaha tak aane k liye shukriya

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  14. बहुत सुन्दर! पर ज़िन्दगी को शायद जीना ही चाहिए !

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  15. Bali ji yaha tak aane aur rachna ka maan rakhne k liye bahut bahut shukriya ...........aage se aapki baat ka dhyan rakhunga.....

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  16. shukriya aapke comment ke liye.. or jaan kar acha laga ki aapko music pasand hai.. music ke liye mere music blog par bhi sawagat hai..
    www.musiq.tk
    shukriya

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  17. jindagi se dur kahan jaoge bandhu...:)

    waise kavita me dumm hai..:)

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  18. Mukesh Ji shukriya rachna ka maan rakhne k liye.........aur ha ab aap sabko chod ker kaha jaunga ..............umeed hai ab milna julna laga rahega ...........

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  19. कभी कभी मन वाकई ऐसे ही ख्यालातो से भर जाता है ...फिर भी हार न मानना ही जीवन है ...बढ़िया भावपूर्ण रचना....

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  20. जैसे उड़े पतंग डोर क संग
    जैसे रहे बिरहन यादो के संग
    जैसे लगे नयन
    सपनो के संग
    वैसे ही रहे तन्हाई अब मेरे संग,

    बहुत ही खुबसूरत भाव !
    बधाई दोस्त !

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  21. mridula pradhan Ji tahe dil se aapka bahut bahut shukriya..

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  22. खुशियों भरा हो साल नया आपके लिए

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  23. बहुत अच्छी प्रस्तुति....बधाई!

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  24. बहुत ही सुन्दर वचन आपकी जितनी तारीफ करू उतनी कम है जी |
    आप मेरे ब्लॉग पे भी देखिये जीना लिंक में निचे दे रहा हु |
    http://vangaydinesh.blogspot.com/

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