ये बारिश का मौसम ,
और तेरी याद का आना ,
दोनों में कोई रिश्ता सा है शायद ,
ये जब भी आतें है ,
झूम के आते है ,
घर टूटे या टूटे इंसान ,
या अपना काम कर के ही जाते है ,
वो बहुत रोया है.
मेरे घर के आँगन में ,
तपिश उसकी अब भी ,
मेरी साँसों में है ,
रुक -रुक के कभी तो कभी बेखटक रोया है ,
हर बार सिर्फ उसने मुझे ही भिगोया है ,
ये बारिश का मौसम ,
और तेरी याद का आना I
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