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Tuesday, January 12, 2010

वो नादाँ था नादानिया करता रहा !



वो  नादाँ  था  नादानिया  करता  रहा 
मै  परेशान  था  वो  मुझे  और  परेशान  करता  रहा 
मेरे  घाव भरते भी  न  थे 
और  वो  घाव  पे  घाव  करता  रहा  ……


उसकी  हर  नादानी  मुझे  प्यारी  थी 
वो  मुझे  मेरी  जान  से  प्यारी  थी 
मै  हर  बार  आँख  मूँद  लेता  उसकी  नादानियों  से 
की  वो  आज  नहीं  तो  कल  समेत  लेगा  अपनी  बाहो  में  ……

न  मालूम  था  की  वो  एक छलावा  है 
उसके  दिल  में  मेरे  सिवा  कोई  और घर  कर आया  है , 
जिसे  मैंने  कभी  अपने  हांथो  से  सवारा  था  ……
मेरे  घर की उन  दिवारों  में  दरार  सी  कर आया   है ........ 



वो  नादाँ  था  नादानिया  करता रहा 
वो  मुझसे  तन्हाइयो   में  हसने  की  बात  करता  रहा 
हम  महफ़िल  में  भी  न  हँसा  करते  थे 
और  वो  तन्हाइयो   में  हसने  की  बात  करता  रहा ……


वो  नादाँ  था  नादानिया  करता  रहा 
मै  परेशान  था  वो  मुझे  और  परेशान  करता  रहा ......

5 comments:

  1. na maaloom tha k wo ik chhalaava hai
    uske dil mei mere siva,
    koi aur ghar kr aaya hai...

    kavita mei koi gehri baat
    kahi gayi hai....
    lafz bolte haiN....k rachna achhee hai.

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  2. Didi ji sader pranam aur hausla afjai ke liye shukriya

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