ये जो तुम
बात बात पे रूठ जाते हो न,
अच्छी बात नहीं
घर की छोटी -छोटी बातो को
घर के बाहर तक ले जाते हो
ये भी अच्छी बात नहीं ......
देख लेना
एक दिन ऐसे ही दो -दिलो में
तल्खिया बढ़ जाएँगी
हम कितना भी चाहेंगे इन्हें दूर करना
दरारे फिर भी रह जाएँगी ......
सुना है
तुम तो बड़े समझदार हो
बड़ी समझदारी की बातें करते हो
और ये जरा सी बात तुम नहीं समझे
जानते हो,
टूटे हुए खिलोने भी
कभी-कभी जिंदगी भर की चोट दे जाते है
कम से कम ,
मेरा -अपना न सही ,
घर के आँगन के बारें में तो सोचो
उसके चीखते सन्नाटो के बारे में सोचो.....
जो पौधे हमने मिलकर लगाये थे
उनमे खिले फूलो की,
मुस्कराहट के बारें में सोचो
जो अभी ठीक से खिला ही नहीं
उसकी पहली अल्हड मुस्कान के बारें में सोचो .......
पर, अब, शायद तुम कुछ सोचना नहीं चाहते
तुममे अहम् आ गया है
जिसकी वजह से
अब तुम्हारी सोचने समझने की
क्षमता भी जाती रही .....
तुम्हारी पल भर की जीत ने अँधा बना दिया है तुम्हे
तुम्हे कुछ दिखाई नहीं दे रहा
मदमस्त हो उस जीत के हर्षौल्लास में ....
और हो भी क्यूँ न
तुमने उस जीत के लिए क्या कुछ नहीं किया
क्या मेरा , क्या मेरे आँगन का
सब कुछ तो दाव पर लगा दिया तुमने
तुम तो बस जीत जाना चाहते थे
कैसे भी ,किसी भी कीमत पर .........
पर इतना जान लो
कुछ रिश्ते हम नहीं बनाते
वो उपर वाले की मर्जी से बनते है
और उन्हें तोड़ने वाला कभी खुश नहीं रह सकता .......
आज नहीं तो कल
शायद तुम्हारे अक्ल पर पड़ा अहम् का पर्दा हट जाये
तुम बहुत कुछ सोचो
और तुम्हे कुछ न समझ आये
तुम कितना भी हाथ पैर पटको
और नतीजा कुछ न आये,
समझ लेना, तुमने कुछ तो ऐसा किया है
जो किसी को
जिंदगी भर के लिए
एक दर्द भरी दास्ताँ दे गया है
तुम चाहो की सब फिर से पलट जाये
उस वक्त बस इतना समझ लेना
की अब बहुत देर हो गयी !!........
=====अमर=====
Nice
ReplyDeleteवाह !!! बहुत उम्दा प्रस्तुति,,,
ReplyDeleteRECENT POST: गुजारिश,
कुछ रिश्ते हम नहीं बनाते
ReplyDeleteवो उपर वाले की मर्जी से बनते है
और उन्हें तोड़ने वाला कभी खुश नहीं रह सकता .......
बहुत सुन्दर एहसास....
अनु
बेहद सुन्दर प्रस्तुतीकरण ....!
Deleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल बुधवार (10-07-2013) के .. !! निकलना होगा विजेता बनकर ......रिश्तो के मकडजाल से ....!१३०२ ,बुधवारीय चर्चा मंच अंक-१३०२ पर भी होगी!
सादर...!
शशि पुरवार
प्यार-मुनहार ...रूठना-मनाना ये ही तो जिंदगी है .
ReplyDeleteबहुत खूब
मैं और अहम की दिवार गिरा दो ...सब ठीक हो जायेगा ...पहल करो सब सुलझ जायेगा ?
ReplyDeleteशुभकामनायें!
कितना अच्छा हो खेती सूखने के पहले ही बादल बरस जाएँ !
ReplyDeleteबड़े दिनों की अधीर प्रतीक्षा के बाद आज आपका आगमन हुआ है !
ReplyDeleteआपकी हर रचना की तरह यह रचना भी बेमिसाल है !
एक और सुन्दर कविता आपकी कलम से !
बहुत ही सहज शब्दों में कितनी गहरी बात कह दी आपने..... खुबसूरत अभिवयक्ति....
ReplyDeleteबहुत उम्दा!! वाह!!
ReplyDeleteभविष्य को भी सम्हालना पड़ता है, वर्तमान के भावों को यह समझना होगा बिखराव न आये।
ReplyDeleteसमझ लेना, तुमने कुछ तो ऐसा किया है
ReplyDeleteजो किसी को
जिंदगी भर के लिए
एक दर्द भरी दास्ताँ दे गया है
तुम चाहो की सब फिर से पलट जाये
उस वक्त बस इतना समझ लेना
की अब बहुत देर हो गयी !!........
सही कहा । बहुत ही सुंदर प्रस्तुति । जीवन के हकीकत से जुडी ।
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
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