मेरे दिल कि हसरतो का
'गुबार' अभी बाकी है
रुक जा ओ मेरे यार
तेरा- मेरा प्यार अभी बाकी है
दो घडी को तो ठहर
अभी 'इबादत ए रात' बाकी है
रोज मिलते है बेगानी राहों में
अभी 'तेरा मेरा साथ' बाकी है
तेरा आना,
यु बिन श्रृंगार
य़े बात अभी बाकी है
इजहारे -ए-मोहब्बत का
वो लम्हा- ए-सुहानात अभी बाकी है
होकर मेरे, गैरों से मिलना
य़े कैसी आदत है तेरी
बेवजह तो नहीं,
तेरा सज धज के निकलना
गैरों के लिए
य़े किस्सा-ए-ख्यालात अभी बाकी है
मेरी आँखों से बरसना
रुक रुक के तेरा
कैसे मुमकिन है य़े
जबकि मेरे लबो पे तेरा नाम अभी बाकी है
रुक जा ओ मेरे यार
तेरा- मेरा प्यार अभी बाकी है
रुसवाई ही सही, तेरी,
मेरे लिए,
कुछ तो है
तेरे मेरे दरम्यान
इसी इक रिश्ते का मज्मात अभी बाकी है
रुक जा ओ मेरे यार
तेरा- मेरा प्यार अभी बाकी है
अमरेन्द्र 'अमर'