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Thursday, August 23, 2012

"मेरी बेटी-मेरा प्रतिबिम्ब"


"मेरी बेटी-मेरा प्रतिबिम्ब"

साँसें ठहरी रही,
मेरे सीने में
एक लम्बे अरसे तक,
जैसे,
एक तेज महक की घुटन ने,
मानो जिंदगी को जकड रक्खा हों,

मैंने भी ठान रक्खी थी जीने की,
और अपने आप को (मेरी बेटी) जिन्दा रखने की,

इसी जद्दोजहद में ...
मुझ पर हकीकतों के लबादे चढ़ते रहे,
और मेरे आँगन में अहिस्ता-अहिस्ता कस्तूरी महकती रही
ये बात और है की भूख के निरंतर दंश ने
उसे एक तेज़ सीली चुभन सा बना दिया था
क्योंकि भूख यक्ष सी होती है
और जिसका प्रतिकार लगभग असंभव सा होता है ,

आँख - मिचौली के इस खेल संग
मेरी कस्तूरी (मेरी बेटी) भी आज सोलह की खुशबू से महक उठी
मै एक बार फिर सहम उठी हूँ
वर्षों पहले के घटनाक्रम की पुनरावृत्ति के डर से
जब अपनों ने ही मनहूसियत के ठप्पे के साथ मुझे पराया कर दिया था
बेघर और बेसहारा भी .....,

क्या बेटी कोई गुनाह है ..
या फिर मै अकेली ही वजह हूँ इसकी ....
फिर सज़ा मुझे ही क्यों ....
इसके जवाब का उत्तरदायित्व एक बड़े प्रश्नचिन्ह के साथ
मैंने समाज को (आप सबको) सौंप दिया है ,

और आज मै ...एक औरत ..एक माँ ने
अपनी बेटी को सम्मान सहित विदा करने का हौसला भी दिखाया है ,

अब मै एक बार फिर अकेली हूँ
पर आज पूरे आत्मसम्मान और संतुष्टि से गौरवान्वित भी !!!
अमर====
 

25 comments:

  1. बेटी ईश्वर का दिया सबसे खूबसूरत तोहफा है...
    बेटियों से ही घर की रौनक बढ़ती है...
    प्रश्न के साथ सुंदर पोस्ट !!

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  2. मन का संकल्‍प है बेटियां दिल की उमंग हैं बेटियां
    प्रकृति के सीने में जैसे हरीतिमा का रंग हैं बेटियां ।
    भावमय करते शब्‍दों का संगम ... मन को छूती पोस्‍ट

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  3. बेटियाँ इश्वर का एक अमूल्य वरदान हैं ..... बहुत सुन्दर पोस्ट

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  4. का कीजियेगा अमर जी! बेटी है त जइबे करेगी पराये घर... बेटवा लोग के बस का कहाँ है ई सब के पराये घर जा के नई दुनिया बसा सकें...दोइये दिन बाद झगड़ा करके भाग आयेगा। तभिये न हमरा संसकृति मं लोग बेटी को अतना सम्मान दिये हैं। सृजन का क्षमता हर किसी में नहीं नू होता है। बेटिये के सम्मान से समाज परतिष्ठित होई ...न त न होई। राउर के भावाभिव्यक्ति आदर के जोग बा।

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  5. बहुत सुन्दर भाव....प्यारी पोस्ट..

    अनु

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  6. मुझे भी अपनी सी लगती है बिटिया।

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  7. और आज मै ...एक औरत ..एक माँ ने
    अपनी बेटी को सम्मान सहित विदा करने का हौसला भी दिखाया है
    ..भले ही आज अकेले दिखती हैं माँ लेकिन एक बेटी ही माँ को बेहतर समझती है देखती हैं ..
    बहुत सुन्दर प्रस्तुति ,

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  8. क्या बेटी कोई गुनाह है .... बिल्कुल नहीं (*_*)
    या फिर मै अकेली ही वजह हूँ इसकी .... नहीं बिल्कुल नहीं
    फिर सज़ा मुझे ही क्यों .... किसी को कोई हक़ नहीं
    इसके जवाब का उत्तरदायित्व एक बड़े प्रश्नचिन्ह के साथ ?
    मैंने समाज को (आप सबको) सौंप दिया है
    मुझे अनुभव तो नहीं ,समझ से जबाब देने की कोशिश की हूँ !

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  9. बेटियां ईश्वर का दिया सबसे सुन्दर उपहार होती हैं, जो वह सबको नहीं देता, जैसे हमको नहीं मिला, किस्मत वालों को मिलता है ये उपहार... सुन्दर प्रस्तुति

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  10. जिनके घर बेटियों का,ईश्वर देता उपहार,
    बेटों से ज्यादा मिलता ,बेटियों का प्यार,,,

    RECENT POST ...: जिला अनूपपुर अपना,,,

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  11. "हव्वा "न होती तो "आदम "क्या भाड़ झोंकता ?हम सब की "आदि माँ " एक अफ़्रीकी नारी थी .शिव शक्तियां हैं बेटियाँ ...
    कृपया यहाँ भी पधारें -
    "आतंकवादी धर्मनिरपेक्षता "-डॉ .वागीश मेहता ,डी .लिट .,/ http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/
    ram ram bhai/

    बृहस्पतिवार, 23 अगस्त 2012
    Neck Pain And The Chiropractic Lifestyle
    Neck Pain And The Chiropractic Lifestyle

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  12. बेटियाँ हैं तो सृष्टि है ..... बहुत सुंदर

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  13. बहुत भावपूर्ण अभियक्ति. बेटियाँ कस्तूरी है सुगंध फैलाती है. शुभकामनाएँ.

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  14. लाजवाब हिम्मत ...बेहतरीन रचना !
    मंगल कामनाएं आपके लिए !

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  15. साँसें ठहरी रही,
    मेरे सीने में
    एक लम्बे अरसे तक,
    जैसे,
    एक तेज महक की घुटन ने,
    मानो जिंदगी को जकड रक्खा हों...

    बेहतरीन रचना ....

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  16. बेटियाँ जरुरी हैं हर परिवार के लिए ...इस बात को समझना और समझाना होगा सबको ....आज के समाज को आईना दिखाती रचना ...बेहद खूबसूरत भाव :)))

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  17. अच्छी भावाभिव्यक्ति है

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  18. बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना ।
    हार्दिक शुभकामनाएं........।

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  19. अच्छी पंक्तियाँ... सच्चा भाव, आत्मीय शब्द संचय...

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  20. बहुत सुंदर...हार्दिक शुभकामनाएं...|

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  21. बहुत सुंदर रचना....

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  22. waah dil ke sare bhawon ka sangam .......

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    From India

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  24. मन को छू लेने वाली भावपूर्ण रचना....

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