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Saturday, June 30, 2012


'सफ़ेद हंस' 

इक दिन
रह जाओगे ,
समुंदर में मोती की तरह 
बेशकीमती, पर,
कैद अपने ही दायरे में 
अपनी ही तनहाइयों के साथ ..........

कितनी ही परते 
चढ़ी होंगी तुम पर ,
कितने ही कठोर 
बन चुके होंगे तुम 
फिर भी 
ढून्ढ ही लेगा मोती चुगने वाला 'सफ़ेद हंस' 
तुम्हे, 

तोडकर तुम्हारा अभिमान 
बिखरा देगा 
धरातल पर , 
पल भर में तोड़ देगा,
तुम्हारा झूठा गुरुर 

सोच कर वो दिन 
मै आज से हैरान हूँ, 
तुम मेरे लिए न सही 
मै तुम्हे सोचकर परेशान हूँ ........

===="अमर"====
30.06.2012 

22 comments:

  1. बहुत गहन अभिव्यक्ति।

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  2. बहुत खूब ....लेखिनी भी धवल सी ...

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  3. सोच कर वो दिन
    मै आज से हैरान हूँ,
    तुम मेरे लिए न सही
    मै तुम्हे सोचकर परेशान हूँ ........
    वाह ... बेहतरीन

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  4. बहुत सुन्दर....

    कोमल भावों से सजी, प्यारी सी रचना.....

    अनु

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  5. सोच कर वो दिन
    मै आज से हैरान हूँ,
    तुम मेरे लिए न सही
    मै तुम्हे सोचकर परेशान हूँ ........ कोमल भावो की अभिवयक्ति......

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  6. सुंदर रचना ..!!
    शुभकामनायें ..!!

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  7. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    --
    इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (01-07-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
    सूचनार्थ!

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    Replies
    1. Shukriya Shastri ji , aapka sneh hi to hame likhne ke liye prerit kerta hai.......aabhar

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  8. सोच कर वो दिन
    मै आज से हैरान हूँ,
    तुम मेरे लिए न सही
    मै तुम्हे सोचकर परेशान हूँ .

    बहुत खूबशूरत भावों की अभिव्यक्ति ,,,
    सुंदर संम्प्रेषण,,,,अमरेन्द्र जी बधाई ,,,

    MY RECENT POST काव्यान्जलि ...: बहुत बहुत आभार ,,

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  9. कोई हमारा मोल तो समझे..

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  10. काश!



    बहुत ही उम्दा!

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  11. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति

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  12. इक दिन
    रह जाओगे ,
    समुंदर में मोती की तरह
    बेशकीमती, पर,
    कैद अपने ही दायरे में
    अपनी ही तनहाइयों के साथ

    ढूंढ ही लेगा कोई हंस. बहुत सुंदर.

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  13. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति....

    ReplyDelete
  14. इक दिन
    रह जाओगे ,
    समुंदर में मोती की तरह
    बेशकीमती, पर,
    कैद अपने ही दायरे में
    अपनी ही तनहाइयों के साथ ..........


    बहुत सुन्दर शब्दों में अभिव्यक्ति है.

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  15. बहुत सुन्दर शब्दों में अभिव्यक्ति है.

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  16. समय में अनंत सम्भावनायें छिपी हैं!

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  17. बहुत खूबशूरत अभिव्यक्ति ......अमरेन्द्र जी

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  18. बहुत खूबशूरत अभिव्यक्ति .....अमरेन्द्र जी

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  19. बहुत सुन्दर रचना, बधाई.

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  20. waah bahut acchi abhiwayakti ...padhkar dil khush ho gaya ...

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