जब तक
तुम्हारी खुशिया तुम्हारे साथ है
तुम कही भी रहों,
पर जब भी तुम उदास होना
आँखों में बारिश का अहसास होना
चाहो तुम किसी अपने के,
काँधे पे सर रख कर रोना
तब बिन बताये
बिन बुलाये
चले आना
मै इन्तेजार करूँगा तुम्हारा
मै भी साथ दूंगा तुम्हारा
अभी मुझ पे तुम्हारा एहसान बाकी है
मै बहुत रोया था उस रात
जो तुमने सहारा दिया था,
अपने आँचल का
"बहुत भीगा था उस रात
वो आँचल तुम्हारा,
उसकी वो नमी अब भी तेरे रुखसार पे है,"
तब से अब तक न रो सका हूँ मै
जब कि आँसू-ए- समुन्दर अपने सबाब पे है
चले आना इसी बहाने,
क्या पता ये बाँध कब टूट जाये
और इस सैलाब में,
मै बह जाऊ,
इससे पहले तुम चले आना
इसे बहाने.........
जब भी आना बिन बताये'
बिन बुलाये;
बुलाया तो गैरों को जाता है
अपने तो बस चले आते है ,
अपनों से मिलने
तुम भी चले आना'