Followers

Labels

Powered By Blogger

Thursday, January 17, 2013

“तिलिस्म”





मीलों लम्बे सफ़र
             मीलो लम्बे कारवां,
तलाशते जिंदगी
अनाड़ियों की तरह

पंखो की थकान
मन का भटकाव,
एक अंतहीन सफ़र
पानी के बुलबुलों की तरह

तेज बहती धारा
मंद –मंद बहती हवा,
सोते हुए लोग
भागते तेज बदलो की तरह

पैगाम एक दुसरे का
एक-दुसरे की जुबान पर,
अस्थिर जीवन फीकी रौशनी
यहाँ सब कुछ एक तिलिस्म की तरह

अमर ====


9 comments:

  1. बेहतरीन.....
    बहुत अच्छी रचना.

    अनु

    ReplyDelete
  2. बहुत बेहतरीन,,,लाजबाब अभिव्यक्ति,

    recent post: मातृभूमि,

    ReplyDelete
  3. अगला पल क्या, यह न जाना,
    सब लगता रहस्य, अद्भुत सा

    ReplyDelete
  4. सच ..जिंदगी में अनिश्चित ता का ही नाम है ...
    बहुत बढ़िया ..
    ..कृपया बदलो के जगह
    .. बादलों ... लिख लें

    ReplyDelete
  5. सब रहस्य ही रहस्य है ...इस जिंदगी का कोई ठोर-ठिकाना नहीं है

    ReplyDelete
  6. आपकी हर रचना की तरह यह रचना भी बेमिसाल है !

    ReplyDelete